नैहाटी में हुआ बहुभाषी काव्य उत्सव एवं पुस्तक का लोकार्पण
कोलकाता/नैहाटीः सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से 17 जुलाई को भारतीय भाषा परिषद के सभाकक्ष में सांस्कृतिक एवं साहित्यिक पर्व का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ शंभुनाथ ने कहा कि नई पीढ़ी के रचनाकार साहित्य के सूर्य किरण हैं।हम रचनाधर्मिता को अपना मूलमंत्र मानते हैं।मृत्युंजय श्रीवास्तव ने कहा कि साहित्य और संस्कृति हमें सदभाव से जोड़ती है।रामनिवास के व्यक्तित्व में राम जैसा सदभाव निवास करता है। प्रियंकर पालीवाल ने कहा द्विवेदी जी का व्यक्तित्व हर दिलअजीज है।उन्होंने पत्रकारिता को संरक्षित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया।इस अवसर पर काव्य गीत,लोकगीत,काव्य आवृत्ति एवं काव्यपाठ का आयोजन किया गया।डॉ अवधेश प्रसाद सिंह,मंजु श्रीवास्तव,डॉ राजेश मिश्र,डॉ अनीता राय,अमरजीत पंडित,सुरेश शॉ,डॉ रमाशंकर सिंह,आदित्य गिरि, डॉ इबरार खान,डॉ मधु सिंह,आशुतोष राऊत,आदित्य तिवारी ने अपनी प्रस्तुति दी।इस अवसर पर सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के संरक्षक श्री रामनिवास द्विवेदी जी का उनके जन्मदिन के अवसर पर अभिनंदन किया गया।इस आयोजन को सफल बनाने में श्रीमती द्रौपदी द्विवेदी, दिनेश साव, उमा डगवान,संजय दास,अमित द्विवेदी, शैवालिनी द्विवेदी,असित पांडे,संजय यादव,अनिल साह,विकास कुमार, प्रगति दुबे,कंचन भगत, कुसुम भगत,मधु साव,फरहान अजीज,कृष्णा दीक्षित ने विशेष सहयोग दिया।कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए प्रो. संजय जायसवाल ने कहा सृजनात्मकता का यह प्रयास नई पीढ़ी को उच्चतर मूल्यों से जोड़ने के साथ साहित्य और कला को संरक्षित करने का संस्कार निर्मित करती है।
वंदे मातरम के रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी की जन्मभूमि नैहाटी में नैहाटी कल्चरल सोसाइटी और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के संयुक्त तत्वावधान में पिछले सप्ताह समरेश बसु कक्ष में हिंदी, बांग्ला और उर्दू में बहुभाषी काव्य उत्सव और पुस्तक लोकार्पण का आयोजन हुआ। मंजू श्रीवास्तव के संपादन में ‘राम सुंदर लाल चयनित गीत चयनित ग़ज़लें’ का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर श्री रामनिवास द्विवेदी ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि मंजू श्रीवास्तव जी ने जिस तरह से समय की धूल से राम सुंदर लाल के गज़लों का संग्रह किया है वह अपनी सार्थकता के साथ भविष्य में अन्य धूमिल रचनाकारों को प्रकाश में लाने की प्रेरणा बिंदु बनेगी। डॉ. अवधेश प्रसाद सिंह ने कहा कि समकालीन यथार्थ को प्रस्तुत करता यह संग्रह विमर्शों के दौर में एक जरूरी काव्य दस्तावेज है।प्रो. ममता त्रिवेदी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत करते हुए इस भाषायी मेल बंधन की बहुत जरूरत है।डॉ. सुशील कुमार पाण्डेय ने कहा बहुभाषी काव्य पाठ से सांस्कृतिक आयोजनों को बल मिलेगा। मंजू श्रीवास्तव ने कहा कि यह गज़ल संग्रह न केवल जीवन बल्कि समाज के बुनियादी चीजों एवं मुद्दों को बेहद बारीक़ी से हमारे समक्ष रखती है और न सिर्फ रखती है बल्कि हम सें प्रश्न भी करती। इस अवसर पर सेराज खान बातिश,राज्यवर्धन, परवेज अख़्तर, अतनु मजूमदार, इंदु सिंह, सोमनाथ कर, सुजीत पाल, मंजू श्रीवास्तव, राजेश पांडे,सुशील कांति, असित पाण्डेय, कलावती कुमारी, अमरजीत पंडित, आनंद गुप्ता, सीता चौधरी,शकील अख्तर, मनीषा गुप्ता,इबरार खान, राहुल गौंड़, विशाल साव, सूर्यदेव राय,सुषमा कुमारी, ज्योति चौरसिया,संजय यादव, चंदन भगत, प्रभाकर साव और फरहान अजीज में काव्य पाठ किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में नैहाटी कल्चरल सोसाइटी के सचिव प्रो.मंटू दास ने विशेष सहयोग दिया। इस अवसर पर उपस्थित थे राजभाषा अधिकारी राजेश साव,नारायण साव,संजय दास,संजीव पंडित, पतित पावन रेड्डी, डॉ विकास साव,धीरज केसरी, विकास साव,संजय यादव,विकास कुमार,रोहित गुप्ता,विकास गुप्ता, कंचन भगत,अनिल साह,कुसुम भगत,कृष्णा दीक्षित, मंजीत दास सहित सैकडों साहित्य एवं कला प्रेमी। कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए डॉ. संजय जायसवाल ने कहा इस तरह के आयोजन वरिष्ठ कवियों एवं युवा कवियों में एक सेतु का कार्य करेगी जिससे भविष्य में साहित्य एवं सृजन के क्षेत्र में कई नये अवसर खुलेंगे।कविताएं हमें मनुष्य बनाती हैं तथा धन्यवाद ज्ञापन सुबोध गुप्ता ने दिया।