अब सबसे अधिक कृषि से होगा जीडीपी में योगदानः कैलाश चौधरी

अब सबसे अधिक कृषि से होगा जीडीपी में योगदानः कैलाश चौधरी

कोलकाता, 4 जुलाईः केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि देश का जीडीपी बढ़ाने में अब सबसे अधिक योगदान कृषि क्षेत्र का होगा। किसानों को अब तक गरीब ही समझा जाता था। हमेरा देश में कृषि बहुत दिनों तक उपेक्षित रही। पूर्ववर्ती सरकारों ने कृषि की अनदेखी की। लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र को भी समान महत्व दिया गया। कांग्रेस के जमाने में कृषि का बजट मात्र 23 हजार करोड़ तक सीमित था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता में आने के बाद कृषि का बजट बढ़ाकर 1 लाख 32 हजार करोड़ कर दिया। प्रधानमंत्री ने कृषि बजट में छह गुणा की वृद्धि की। अब तो 60 हजार करोड़ रुपए सिर्फ किसान सम्मान नीधि के रूप में सीधे किसानों के खाते में दिए जाते हैं। श्री चौधरी ने सोमवार को बैरकपुर स्थित आइसीआर- क्राइजैफ में आयोजित किसान सम्मेलन में यह बातें कही।

उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के हित में कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की है। किसान भी अब कृषि आधारित अपना उद्योग लगा सकते हैं। किसान अब अपनी फसल का मूल्य पाने के लिए व्यापारियों पर निर्भर नहीं हैं। सहकारी समितियां बनानकर किसान खुद अपने कृषि उत्पाद का मूल्य वसूलने के लिए कृषि उत्पाद की बिक्री कर सकते हैं और यहां तक कि कृषि आधारित उद्योग भी लगा सकते हैं। केंद्र सरकार किसानों को उद्यमी बनाने के लिए एफपीओ योजना के तहत धन उपलब्ध कराती है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सकार की योजनाएं सभी के लिए हैं। हिंदू हो या मुसलमान देश का हर नागरिक केंद्रीय योजनाओं का लाभ उठा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबका साथ सबका विकास का जो नारा दिया है वह साकार हो रहा है। रसोई गैस उज्वला योजना का लाभ देश की सभी गृहणियों को समान रूप से मिल रहा है। हमारी सरकार ने लॉकडाउन में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया। भारत अब गरीब देश नहीं रहा। पहले विश्व में भारत को गरीब देश समझा जाता था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वैश्विक मंच पर भारत संपन्न देश के रूप में उभरा है। आने वाला समय देश के किसानों का है। श्री चौधरी ने पटसन की उन्नत किस्में तैयार करने और खेती में नई तकनीक विकसित करने के लिए सेंट्रल रिसर्च इंस्टीच्यूट फार जूट एंड एलायड फाइबर (क्राइजैफ) के वैज्ञानिकों की प्रशंसा की। उन्होंने वैज्ञानिकों को शोध कार्य का लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिए लैब टू लैंड सिद्धांत पर काम करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लग जाने से फिर जूट निर्मित वस्तुओं की मांग बढ़ेगी और पटसन किसान के लिए स्वर्ण युग आएगा।

क्राइजैफ के निदेशक गौरांग कर ने पटसन की नई किस्में तैयार करने से लेकर उन्नत खेती की तकनीक विकसित करने और संस्थान में किसानों के हित में किए जा रहे शोध कार्य से मंत्री को अवगत कराया। उन्होंने उन्नत किस्में और नई तकनीक अपना कर पटसन का उत्पादन बढ़ाने और निर्यात में वृद्धि करने के लिए संस्थान द्वारा उठाए गए कदमों पर विस्तार से प्रकाश डाला। किसान सम्मेलन में राज्य के विभिन्न जिलों से पटसन की खेती करने वाले किसान व जूट आधारित वस्तुएं तैयार करने वाली महिलाएं व युवक भी उपस्थित थे। इसके पहले श्री चौधरी ने कई एकड़ में फैले क्राइजैफ में घुम कर पटसन की नई किस्में और वैज्ञानिक शोध का निरीक्षण किया। निरीक्षण के के दौरान मंत्री के साथ स्थानीय भाजपा नेता मनोज पांडेय और क्राइजैफ के निदेशक गौरांग कर समेत अन्य कृषि वैज्ञानिक मौदूद थे।