कोलकाता पुस्तक मेला में डॉ.कुसुम खेमानी का उपन्यास ‘मारवाड़ी राजबाड़ी’ का लोकार्पण

कोलकाता पुस्तक मेला में डॉ.कुसुम खेमानी का उपन्यास ‘मारवाड़ी राजबाड़ी’ का लोकार्पण

भारतीय भाषा परिषद में वाणी प्रकाशन ने खोला ‘साहित्य घर’

कोलकाता, 4 फरवरी: वाणी प्रकाशन और भारतीय भाषा परिषद द्वारा आज कोलकाता पुस्तक मेला के प्रेस कॉर्नर में संयुक्त रूप से ‘आज का समय और साहित्य’ पर एक संवाद आयोजित हुआ| इस अवसर पर प्रसिद्ध कथाकार कुसुम खेमानी के आत्मकथात्मक उपन्यास ‘मारवाड़ी राजबाड़ी’ का लोकार्पण हुआ| लेखिका ने कहा कि मेरा समस्त लेखन और साधना आपके असीम प्रेम का प्रतिफलन है| इससे पहले वाणी प्रकाशन की प्रबंध निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने अतिथियों का स्वागत किया और लोकार्पित होने वाली पुस्तकों से परिचय कराया। भारतीय भाषा परिषद की अधिकारी बिमला पोद्दार ने भी परिषद की ओर से अतिथियों का स्वागत किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार शंभुनाथ की नई पुस्तक ‘भक्ति आंदोलन और उत्तर-आधुनिक संकट’ और वरिष्ठ लेखक तथा पुलिस महानिदेशक मृत्युंजय कुमार सिंह के उपन्यास ‘गंगा रतन बिदेशी’ के विशेष दूसरे संस्करण और अलका सरावगी के नए उपन्यास ‘गांधी और सरलादेवी चट्टोपाघ्याय’ का भी लोकार्पण हुआ| ये पुस्तकें वाणी प्रकाशन के स्टॉल (३३५) पर उपलब्ध हैं|
संवाद सत्र में साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित कवि अरुण कमल ने कहा कि किताबें कभी खत्म नहीं होंगी। कविता के लिए समय कठिन होने के बावजूद कविताएं लिखी जा रही हैं। आज असंख्य स्त्रियां कविता लिख रही हैं। असंख्य दलित स्त्रियां कविता लिख रही हैं। यह बात आश्वस्त करती है। आज हमारे जीवन में राजनीतिक हस्तक्षेप जितना है उतना पहले कभी नहीं था। साहित्य हमारा अंतिम मोर्चा है। अगर यहां भी हम हार गए तो कभी नहीं बचेंगे। लेखक मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा, ‘मनुष्य के दैनिक संघर्ष का परिणाम है साहित्य। आज बाजार के बीच से संवेदना और सौंदर्य को खींचकर लाना है|’ प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो.हितेंद्र पटेल ने कहा, ‘साहित्य के साथ व्यक्तिक्ता से अधिक सामाजिकता की जरूरत है। साहित्य का संबंध संस्कृति से है। साहित्य सदियों से घृणा, हिंसा और दमन के समानांतर मानवता की निश्छल आवाज है| मानवता को बचाना है तो पुस्तक पढ़ने की सस्कृति को बचाना होगा|’
अध्यक्षीय वक्तव्य रखते हुए शंभुनाथ ने कहा कि पुस्तक हमें जिंदा रखती है। अपनी संस्कृति को जिंदा रखना है तो पुस्तकों को जिंदा रखें।
 प्रो. संजय जायसवाल ने संचालन करते हुए कहा कि कोलकाता पुस्तक मेला अद्वितीय है| यह पुस्तक प्रेम जाग्रत करते हुए मिलने-जुलने की संस्कृति को भी जीवित रखता है| इस अवसर पर मराठी लेखक हेमंत दिवटे ने कहा कि आज की पीढ़ी बहुत समझदार है। वे विभिन्न माध्यमों से ज्ञानार्जन करते हैं। सुनील कुमार शर्मा ने अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया। अपने विचार रखे|
आज सबेरे भारतीय भाषा परिषद के प्रांगण में वाणी प्रकाशन के ‘साहित्य घर’ का उद्घाटन कवि अरुण कमल ने किया| यह महानगर के केंद्र में हिंदी पुस्तकों की नई दुकान होगी| प्रकाशन की ओर से अरुण माहेश्वरी ने बताया कि परिषद में नए खुले बुक कैफै के ‘साहित्य घर’ में विद्यार्थियों को विशेष छूट दर पर नई पुस्तकें उपलब्ध होंगी|