क्रिजैफ ने महिला कृषकों को दिया पटसन उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण

क्रिजैफ ने महिला कृषकों को दिया पटसन उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण

महिला किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण का सार्थक प्रयास

कोलकाता, 18 अप्रैलः भाकृअनुप-क्रिजैफ ने सुंदरवन क्षेत्र की महिलाओं को आत्म निर्भर बनने के लिए पटसन से विविध उत्पाद तैयार करने के लिए व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया। आईसीएआर- सेंट्र्ल रिसर्च इंस्टीच्यूट फार जूट एंड एलायड फाइबर (क्रिजैफ) ने एक पटसन हस्तशिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसका आयोजन 11-16 अप्रैल, 2022 तक संस्थान के बैरकपुर स्थित परिसर में किया गया। यह एक बहुराष्ट्रीय (ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भारत और इंडोनेशिया) परियोजना है, जिसमें “सुंदरवन जो कि एक विश्व धरोहर स्थल के वन एवं पटसन-आधारित पारिस्थितिक तंत्र पर प्राकृतिक खतरों के प्रभाव का आकलन के साथ-साथ पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा और कृषकों की आजीविका स्तर को बनाए रखना है “। इसे एशिया पैसिफिक नेटवर्क फॉर ग्लोबल चेंज रिसर्च (APN-GCR) और यूनिवर्सिटी ऑफ सनशाईन  कोस्ट, ऑस्ट्रेलिया द्वारा वित्त पोषितकिया गया है।

यद्यपि सुंदरवन के द्वीपों में रहने वाले लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि है, लेकिन यहाँ जलवायु परिस्थितियों के कारण उत्पादकता और आय क स्तर बहुत कम है। इस सुदूर क्षेत्र के किसानों की आय में सुधार के लिए आजीविका के वैकल्पिक स्रोत का पता लगाने के लिए, भाकृअनुप-क्रिजैफ ने कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है जिसमें कृषि महिलाओं की वैकल्पिक कृषि आय सृजन और किसानों की आय बढ़ाने के लिए सतत खेती हेतु वैज्ञानिक विधि से मिट्टी, पानी और फसल प्रबंधन के लिए आजीविका सुरक्षा के लिए कौशल वृद्धि शामिल है। इस छह दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान, प्रशिक्षकों ने महिला कृषकों को पटसन के रेशे से निर्मित गहने और अन्य सजावटी सामान बनाने का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया।

समापन सत्र में, डॉ. गौरांग कर, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिजैफ ने प्रशिक्षुओं द्वारा बनाए गए उत्पादों की गुणवत्ता की सराहना की और कार्यक्रम में उनकी सफल भागीदारी के लिए बधाई दी। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पटसन आधारित विविध उत्पादों के महत्व के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संस्थान राज्य सरकार के साथ भी चर्चा करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा और इस क्षेत्र में काम कर रहे अन्य गैर सरकारी संगठन पटसन हस्तशिल्प के लिए बेहतर विपणन और मूल्य को व्यवस्थित करने के लिए सतत प्रयास करेगा। डॉ. कर ने यह भी कहा कि संस्थान सुंदरवन में इस तरह की गतिविधियों को स्वरोजगार की दिशा में विशेष जोर देने और गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न परियोजनाओं के तहत उपयुक्त कार्यक्रम विकसित करेगा। प्रशिक्षुओं ने कहा कि प्रशिक्षण उनके लिए बहुत उपयोगी था क्योंकि, इससे वे पटसन रेशा से बने गहने और अन्य वस्तुओं को डिजाइन करने और बनाने में सक्षम हो सके साथ ही इस तरह के कार्यों को भविष्य में कर पाने का विश्वास हासिल हुआ है। समापन सत्र में गणमान्य व्यक्तियों ने सभी प्रशिक्षुओं को भागीदारी प्रमाण पत्र वितरित किये । इस प्रशिक्षण में बारह महिला कृषकों, सुंदरवन के एनजीओ प्रतिनिधियों और अन्य प्रशिक्षकों ने भाग लिया। इस कार्य में ग्राम ट्रस्ट जो कि एक एनजीओ है, ने सुंदरवन क्षेत्र के दूरस्थ क्षेत्रों के प्रशिक्षुओं के समन्वय के लिए एक कड़ी के रूप में कार्य किया।