तीन दिवसीय इंडियन फिशरीज आउटलुक 2022 (IFO2022) संपन्न

तीन दिवसीय इंडियन फिशरीज आउटलुक 2022 (IFO2022) संपन्न

बैरकपुर, 24 मार्चः तीन दिवसीय इंडियन फिशरीज आउटलुक 2022 भाकृअनुप-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी), बैरकपुर, कोलकाता में गुरुवार को संपन्न हुआ। पहले दिन सम्मेलन का उद्घाटन उद्घाटन राज्य के सुंदरवन विकास मामलों के मंत्री श्री बंकिम चंद्र हाजरा ने किया। तीन दिवसीय सम्मेलन में किसानों, उद्यमियों और जलीय कृषि उद्योगों से संबद्ध हितधारकों के लिए संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया गया। जलीय कृषि उद्योगों से जुड़ें किसानों और मत्स्य क्षेत्र के उद्यमियों ने प्रदशर्नी से व्यवहारिक ज्ञान अर्जित किया।

सम्मेलन में 22 मार्च 2022 को दो विचार-मंथन सत्र आयोजित किए गए थे। पहला सत्र उभरते परिदृश्य में भारतीय जलीय कृषि क्षेत्र में चुनौतियों और अवसरों तथा दूसरा विचार-मंथन सत्र घरेलू स्तर पर विपणन, मछली के प्रसंस्करण, खपत और  वितरण में चुनौतियां व अवसर पर आधारित था। बदलते परिदृश्य में भारतीय मात्स्यिकी क्षेत्र में चुनौतियों पर भी  विस्तार से चर्चा हुई।

सम्मेलन के हिस्से के रूप में 23 मार्च 2022 को आयोजित भारत में जलीय कृषि क्षेत्र की नीतिगत अनिवार्यताओं, अनुसंधान आवश्यकताओं और जन श्रम आवश्यकताओं पर उद्योग-संस्थान समागम पर बैठक हुई। डॉ विक्टर सुरेश, तकनीकी निदेशक(ग्रोवेल फीड्स) , श्री रवि कुमार येलंकी, एमडी( वैशाखी बायो-मरीन प्राइवेट लिमिटेड), श्री एस मोहंती, जीएम( अवंती फीड्स लिमिटेड), श्री एस चंद्रशेखर, यूएस सोया एक्सपोर्ट काउंसिल,  डॉ. मनोज एम. शर्मा, एमडी,( मयंक एक्वा फार्म्स) ने मत्स्य पालन उद्योग का प्रतिनिधित्व किया। इस बैठक के दौरान अनुसंधान संस्थान और उद्योग के बीच संबंधों पर चर्चा की गई।

हिल्सा मछली संवाद पर एक उपग्रह संगोष्ठी- बंगाल की खाड़ी के परिप्रेक्ष्य में आयोजित की गई  जहां भारत, बांग्लादेश और म्यांमार के वक्ताओं ने बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में हिल्सा मत्स्य पालन के संरक्षण और उसकी कायाकल्प के बारे में अपने बहुमूल्य विचार रखे।सम्मेलन के दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं का चयन करने के लिए आईएफएसआई स्वर्ण पदक पुरस्कार प्रदान व युवा मत्स्य पालन प्रतिभा खोज का भी आयोजन किया गया।

समापन सत्र 24 मार्च 2022 को आयोजित किया गया था जिसमें डॉ. डब्ल्यू.एस. लाकड़ा, (पूर्व कुलपति, सीआईएफई, मुंबई) बतौर मुख्य अतिथि समारोह को संबोधित किया। तीन दिवसीय इस सम्मेलन में 500 से अधिक शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, छात्रों और उद्योगों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और विचार-विमर्श किया। पश्चिम बंगाल, गुजरात और अन्य राज्यों के 200 किसानों ने भी इस आयोजन में भागीदारी की। सम्मेलन ने विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, सलाहकारों, छात्रों व अन्य हितधारकों के बीच बातचीत के लिए एक अंतर-अनुशासनात्मक मंच प्रदान किया जिसमें सर्वोत्तम मत्स्य पालन तथा जलीय कृषि क्षेत्र में सतत विकास व लक्ष्य प्राप्त करने में आम सहमति बनाई गई।