दलित साहित्य लेखन के लिए दलित चेतना का निर्माण भी जरूरी है:मनोरंजन व्यपारी

दलित साहित्य लेखन के लिए दलित चेतना का निर्माण भी जरूरी है:मनोरंजन व्यपारी

डॉ.अम्बेडकर और आधुनिक भारत पुस्तक का लोकार्पण

निष्पलक पत्रिका द्वारा आयोजित संगोष्ठी में डॉ. कार्तिक चौधरी के संपादित  ‘डॉ.अम्बेडकर और आधुनिक भारत’ पुस्तक का लोकार्पण चर्चित लेखक एवं पश्चिम बंगाल दलित साहित्य आकदेमी के अध्यक्ष मनोरंजन व्यपारी , मनोहर मौली विश्वास, मुकुल बैराग्य, कल्याणी ठाकुर चराल, अनंत आचार्य, मृणमय प्रमाणिक, आशीष हीरा, कनिष्क चौधरी, अशोक चट्टोपाध्याय, अशोक मुखर्जी, अमिताभ चक्रवर्ती, गालिब, बिनोद कुमार , प्रेम बहादुर मांझी द्वारा हुआ।कार्यक्रम में निष्पलक के दलित जीवन और संग्राम भाग -2 का भी लोकार्पण किया गया।चर्चित साहित्यकार मनोरंजन व्यपारी ने कहा कि  दलित साहित्य के रचना के लिए सिर्फ़ दलित समाज से आना ही जरूरी नहीं बल्कि उसमें दलित चेतना का निर्माण भी अवश्य होना चाहिए।डॉ.बिनोद कुमार ने पुस्तक को केंद्र में रखकर कहा कि बाबा साहेब के विचार हम सभी को एक स्वस्थ समाज के निर्माण पर बल देती है।बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों  पर डॉ.अम्बेडकर और आधुनिक भारत पुस्तक वर्तमान परिप्रेक्ष्य को निर्धारित करती है ।डॉ कार्तिक ने अपने पुस्तक के संदर्भ में कहा कि यह पुस्तक हिंदी दलित  साहित्य के चर्चित लेखक जयप्रकाश कर्दम के विभिन्न समयों पर बाबा साहेब के संदर्भ में दिए गए वक्तव्यों का संग्रह है।जिसमें मौजूदा समय के स्थितियों को बाबा साहेब के विचारों से जोड़कर देखने का प्रयास किया गया है।कार्यक्रम का दूसरा सत्र ‘भारत के स्वतंत्रता के 75 वर्ष :दलित साहित्य और राजनीति’ विषय पर रहा ।जिसमे मुख्य वक्ता मृणमय प्रमाणिक और अध्यक्षता मनोहर मौली विश्वास ने किया।

कार्यक्रम का संचालन दलित साहित्य आकदमी प.ब.के सह सभापति आशीष हीरा ने और धन्यवाद ज्ञापन निष्पलक के सह संपादक सहाबुल इश्लाम गाज़ी ने किया।और अंत में सभी विशेष अतिथियों को निष्पलक विशेष सम्मान से प्रदान किया गया।