आईसीएआर-सिफ़री ने राष्ट्रीय मिशन के तहत अभिनव दृष्टिकोण अपनाया
भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने फरक्का में एनटीपीसी, फरक्का के सहयोग से गंगा नदी में स्वदेशी मछली प्रजातियों के संरक्षण और बहाली की दिशा में भारतीय मेजर कार्प (आईएमसी) रैन्चिंग, हिल्सा सह डॉल्फिन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (नमामी गंगे) के सहयोग से कार्यक्रम आयोजित हुआ और इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री आर.डी.देशपांडे, महाप्रबंधक, फरक्का बैराज प्राधिकरण द्वारा किया गया। कार्यक्रम में श्री अभिजीत कुमार, डीजीएम (ईएनजी) एनटीपीसी, श्री संदीप कुमार, एस.ई., एफबीए, डॉ. दीपक नायक (प्रभारी, आईसीएआर-सीआईएसएच क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशन, मालदा) और डॉ.शैलेश कुमार, एसएमएस, केवीके मालदा उपस्थित थे। इस अवसर पर हिल्सा टैगिंग एवं रैन्चिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
गंगा नदी में 80,000 से अधिक भारतीय प्रमुख कार्प के अंगुलिमीनों का रैन्चिंग किया गया। इसके साथ ही राष्ट्रीय मिशन के एक हिस्से के रूप में फरक्का बैराज के ऊपरी हिस्से में हिलसा का टैगिंग और रैन्चिंग किया गया। 2018 से एनएमसीजी और एनटीपीसी की सीएसआर गतिविधियों के तहत गंगा नदी के फरक्का खंड में 5 लाख से अधिक अंगुलिमीनों और 78,000 हिल्सा की रैन्चिंग की गई। इसके अलावा हिलसा रैन्चिंग स्टेशन फरक्का में एक जन जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें 100 से अधिक मछुआरों ने भाग लिया और गंगा नदी में हिल्सा और डॉल्फिन संरक्षण, भारतीय प्रमुख कार्प प्रजनन और अंगुलिमीनों के प्रतिपालन के बारे में उन्हें जागरूक किया गया।
श्री आर.डी. देशपांडे, महाप्रबंधक, एफबीए ने हिल्सा और डॉल्फ़िन संरक्षण की दिशा में आईसीएआर-सिफ़री द्वारा की गई पहल की भी प्रशंसा की। सिफ़री के निदेशक और परियोजना के पीआई डॉ. बसंत कुमार दास ने स्वागत भाषण में एनएमसीजी कार्यक्रम के तहत गंगा नदी में हिल्सा और डॉल्फिन संरक्षण की दिशा में सिफ़री द्वारा ली गई पहल पर प्रकाश डाला। इसके अलावा, डॉ. दास ने गंगा नदी में भारतीय प्रमुख कार्प की संख्या में सुधार के लिए गंगा से ब्रूडस्टॉक संग्रह, प्रजनन, अंगुलिमीनों के पालन की दिशा में उठाए गए कदम को विस्तार से बताया।