हिंदी मेला में ‘युगल किशोर सुकुल पत्रकारिता सम्मान’ से पुरस्कृत अनवर हुसैन

हिंदी मेला में ‘युगल किशोर सुकुल पत्रकारिता सम्मान’ से पुरस्कृत अनवर हुसैन

भारतीय भाषा परिषद में  सात दिवसीय 27वां  हिंदी मेला संपन्न

कोलकाता 1 जनवरीः सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा भारतीय भाषा परिषद के सह योगदान से आयोजित सप्ताह व्यापी 27वां हिंदी मेला नए साल के अभिनंदन और उदार मानवता के आह्वान के साथ शनिवार को संपन्न हुआ। समापन समारोह में युवा पत्रकार अनवर हुसैन को ‘युगल किशोर सुकुल पत्रकारिता सम्मान’ से पुरस्कृत किया गया। उन्हें यह सम्मान हिंदी पत्रकारिता में विशेष योगदान के लिए भारतीय भाषा परिषद के खचाखच भरे सभागार में विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति में प्रदान किया गया। यूको बैंक के अधिकारी अजय व्यास और नरेश कुमार ने सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के अध्यक्ष डॉ. शंभुनथ और अन्य विशिष्ठ अतिथियों की उपस्थिति में अनवर हुसैन को शाल, श्रीफल, प्रशस्ती पत्र व नकद राशि देकर पुरस्कृत किया। डॉ. राजेश मिश्र ने मानपत्र का वाचन किया।

अनवर हुसैन ने अपने वक्तव्य़ में कहा कि युगुल किशोर सुकुल पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित होकर वह गर्व महसूस कर रहे हैं। यह सम्मान मिलने के बाद उनकी पत्रकारिता के प्रति जिम्मेदारी और दायित्व और बढ़ गया है। वह आगे भी पूरी निष्ठा के साथ हिंदी पत्रकारिता की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। उन्होंने इस मौके पर छात्र जीवन में ही संडे मेल, जनसत्ता और करंट पोस्टमार्टम आदि समाचार पत्रों के साथ फ्रीलांसर से लेकर 20 वर्षों से अधिक समय के अपने पत्रकारीय करियर में दैनिक जागरण, प्रभात खबर तथा सांध्य दैनिक ‘महानगर’ तक में एक पत्रकार के रूप में अपने जीवन संघर्षों और अनुभव को साझा किया। अनवर ने कहा कि लॉकडाउन के पहले ‘दैनिक जागरण’ के साथ अपनी 15 वर्षों तक की स्थाई नौकरी छोड़ने के बाद कुछ बड़े मीडिया संस्थानों के साथ काम करने का आफर भी मिला लेकिन वह अपनी साहित्यिक पत्रिका ‘पैरोकार’ के बैनर तले पत्रकारिता के क्षेत्र में कुछ नया करने के लिए ही किसी संस्थान के साथ नहीं जुड़े। उन्होंने कहा कि वह अपनी साहित्यिक पत्रिका ‘पैरोकार’ को केंद्र में रख कर डिजिटल प्लेटफार्म पर इसका विस्तार करने के प्रयास में जुटे हैं।

समापन समारोह को संबोधित करते हुए हिंदी मेला के संरक्षक रामनिवास द्विवेदी ने कहा कि हिंदी मेला नई सांस्कृतिक ऊर्जा पैदा करता है। इसमें स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी और नौजवान अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। उन्होंने डॉ कुसुम खुमानी, अजय व्यास, नरेश कुमार, अमल दास और तमाम संस्कृतिकर्मियों का अभिनंदन करते हुए सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। अजय व्यास ने कहा कि हिंदी मेला एक सांस्कृतिक आंदोलन की तरह है। यह अच्छी बात है कि सभागार में अयोजन के साथ-साथ इसका ऑनलाइन में भी विस्तार हुआ है।

प्रो. संजय जायसवाल ने कविता, नृत्य, संगीत, लोकगीत आदि की भव्य प्रस्तुतियों के बाद कहा कि 27 सालों से हिंदी मेला का आयोजन हिंदी और मातृभाषा से प्रेम पैदा करने के लिए होता है ताकि हम आधुनिक विकास के साथ हिंदी की मर्यादा को खोने न दें। इस अवसर पर लगभग 200 विजयी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह, उपहार और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। 27 वर्षों से जारी हिंदी मेला सभी के स्नेह, सहयोग और विश्वास का प्रतीक है। इस अवसर पर अवधेश प्रसाद सिंह, डॉ केयूर मजूमदार, अनिता राय और सुशील पाण्डेय उपस्थित थे। मृत्युंजय ने अतिथियों को धन्यवाद दिया। रचनात्मक लेखन का शिखर सम्मान सूर्य देव रॉय, प्रथम स्थान निशा गहलौत, दिल्ली विश्वविद्यालय, द्वितीय स्थान रूपेश कुमार यादव, विद्यासागर विश्वविद्यालय, तृतीय स्थान पंकज सिंह, विद्यासागर विश्वविद्यालय और विशेष पुरस्कार अभिषेक पाण्डेय, कलकत्ता विश्वविद्यालय को मिला। कार्यक्रम का सफल संचालन विकास जायसवाल, पूजा गुप्ता, पूजा सिंह,आकांक्षा साव,सपना कुमारी, इंद्रेश कुमार ,विनोद यादव मास्टर जी और सुशील पांडे ने किया व धन्यवाद ज्ञापन अनीता राय ने  दिया।