हिल्सा संवादः सिफरी की उपग्रह संगोष्ठी संपन्न

हिल्सा संवादः सिफरी की उपग्रह संगोष्ठी संपन्न

बैरकपुर, 13 अप्रैलः भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफ़री), बैरकपुर ने प्रथम भारतीय मात्स्यिकी आउटलुक 2022 और आजादी का अमृत महोतस्व के एक भाग के रूप में 23 मार्च 2022 को ‘हिल्सा संवाद पर एक उपग्रह संगोष्ठी: बंगाल की खाड़ी (बीओबी) परिप्रेक्ष्य’ का आयोजन किया। संगोष्ठी की परिकल्पना एक क्षेत्रीय विकास के लिए की गई थी। भारत, बांग्लादेश, म्यांमार और नॉर्वे से हिल्सा विशेषज्ञों ने हिल्सा संरक्षण और वैज्ञानिक तरीकों से उसके प्रचार प्रसार के लिए नीति और प्रबंधन योजनो पर एक दूसरे से अपने विचारों को साझा किया।

संगोष्ठी में प्रो. अब्दुल वहाब, सलाहकार, वर्ल्डफिश (बांग्लादेश), डॉ. माइकल एकेस्टर, कंट्री डायरेक्टर (वर्ल्डफिश), म्यांमार, डॉ. एटल मोर्टेंसन, कनकवा, नॉर्वे, डॉ. पी. कृष्णन, निदेशक बे ऑफ बंगाल प्रोजेक्ट, भारत, डॉ. बी.पी. मोहंती, सहायक महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), भाकृअनुप, नई दिल्ली, प्रो. आशिम कुमार नाथ(जूलॉजी के प्रोफेसर), सिद्धो कान्हो विश्वविद्यालय, डॉ. मोहम्मद जलीलुर रहमान, वैज्ञानिक (इकोफिश II) वर्ल्डफिश, बांग्लादेश और डॉ. के.के. वास, आईसीएआर-सीआईएफआरआई के पूर्व निदेशक, कार्यक्रम में शामिल हुए.

भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफ़री), बैरकपुर के निदेशक डॉ. बी.के.दास ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के सहयोग से आईसीएआर- केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफ़री), बैरकपुर द्वारा शुरू किए गए गंगा नदी में हिल्सा सुधार कार्यक्रम पर प्रकाश डाला. डॉ. दास ने कहा कि हिल्सा की बढ़ोतरी के लिए गंगा के अपस्ट्रीम में फरक्का बैराज के अपस्ट्रीम में 55000 से अधिक वयस्क हिल्सा मछलियों का पालन किया गया है। विपरित दिशा की ओर रुख करने वाली 2200 से अधिक वयस्क हिल्सा को चिन्हित कर उनको फिर सही दिशा में छोड़ा गया। एक अध्ययन में यह जानकर आश्चर्य हुआ कि हिलसा 5 दिनों में 225 किमी की दूरी तय कर सकती है.  डॉ. दास ने बताया कि भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफ़री), बैरकपुर सफल प्रजनन कार्यक्रम की दिशा में हिल्सा स्पर्मेटोजोआ के साइरो-संरक्षण के लिए काम कर रहा है। डॉ. दास ने सुझाव दिया कि संतोषजनक नतीजा पाने के लिए 10 वर्षों की  दीर्घकालिक योजना पर काम करने की जरूर है। संगोष्ठी में मत्स्य विशेषज्ञों, विद्वानों और छात्रों सहित 70 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।