कोलकाता, 1 जनवरी 2023। हिंदी मेला के सातवें दिन कविता, संगीत,नृत्य और अन्य साहित्यिक प्रदर्शनों के साथ नये साल का अभिनंदन करते हुए हिंदी मेला संपन्न हुआ। इस दिन विश्वविद्यालय, कॉलेज और स्कूल के विद्यार्थियों ने सुरुचि संपन्न साहित्यिक प्रदर्शनों से सैकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर हिंदी मेला के संरक्षक रामनिवास द्विवेदी ने कहा कि हिंदी मेला नौजवानों के सांस्कृतिक जीवन का अंग बन चुका है। इसमें बंगाल ही नहीं आस-पास के राज्यों से भी नौजवान आने लगे हैं।
हिंदी मेला के समापन के अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार श्री सुरेंद्र सिंह को पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी प्रतिबद्धता और उत्कृष्टता के लिए युगुल किशोर सुकुल पत्रकारिता पुरस्कार प्रदान किया गया। इस अवसर पर रायपुर से आए हिमांशु कुमार ने कहा कि दुनिया के सारे धर्म,सारी भाषाएं और सभी देश अच्छे हैं। सभी से प्रेम का भाव रखना चाहिए। दलित चिंतक मोहनदास नैमिशराय ने कहा कि हिंदी मेला ने नौजवानों को बड़े पैमाने पर जोड़ने का काम किया है। रविभूषण (रांची) ने कहा की हिंदी मेला ने हमें अभिभूत कर दिया।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. अवधेश प्रधान ने कहा कि हिंदी मेला जैसे आयोजन पटना, बनारस और इलाहाबाद में होने चाहिए। प्रसिद्ध कथाकार भगवानदास मोरवाल ने कहा कि हिंदी मेला देश को जोड़ने और सद्भावना के लिए का कर रहा है। मेले का एक पुरस्कार असम के संगीतकार भूपेन हजारिका के नाम पर होना चाहिए। गजलकार विनोद शलभ ने कहा कि हिंदी मेला कोलकाता के कला और प्रेम से भरे माहौल का उदाहरण है।
सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के अध्यक्ष डा. शंभुनाथ ने कहा कि कोलकाता पत्रकारिता और आधुनिक हिंदी की जन्मभूमि है। आज टीवी और इलेक्ट्रिक मीडिया की तुलना में अखबार और प्रिंट मीडिया अधिक विश्वसनीय है, क्योंकि इसपर तथ्यों का दबाव ज्यादा होता है। हिंदी मेला का संदेश है विश्वबन्धुत्व, पर इससे पहले अपने राष्ट्र में बंधुत्व जरूरी है। प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि हिंदी मेला इस धारणा को लेकर चलता है कि जो रचेगा, वही बचेगा और वही बचाएगा। महासचिव डा. राजेश मिश्र, अनिता राय और उत्तम ठाकुर ने नौजवानों और विद्यार्थियों के पुरस्कार कार्यक्रमों का संचालन किया।