अंग्रेजी के बढ़ते बर्चस्व पर चिंता
10 जनवरी, कोलकाता: विश्व हिंदी दिवस एवं हिंदी विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर एक वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय परिसर में माननीय कुलपति प्रो. दामोदर मिश्र ने झंडोत्तोलन किया। स्वागत गीत अनुवाद विभाग की छात्रा सीमा प्रजापति ने प्रस्तुत किया। प्रथम सत्र में वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी में हिंदी विषय पर भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ शंभुनाथ ने कहा कि हिंदी वह भाषा है जिसने अपनी महान परंपराओं से संबंध बनाए रखा है। साथ ही हिंदी ने धार्मिक और सामाजिक संकीर्णताओं से संघर्ष किया और खुद को बनाए रखा।
आज हिंदी को विविध कलाओं और कौशलों से जोड़ते हुए एक उत्सव के रूप में मनाना चाहिए। विशिष्ट अतिथि डॉ शुभ्रा उपाध्याय ने कहा कि हिंदी पूरे देश को जोड़ने वाली भाषा है।
प्रथम सत्र का विषय प्रवर्तन करते हुए कुलसचिव डॉ सुकीर्ति घोषाल ने कहा कि हिंदी दुनिया की चौथी सबसे बड़ी भाषा है। हिंदी का वैश्विक परिप्रेक्ष्य काफी व्यापक है।अध्यक्षता करते हुए हिंदी विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो.दामोदर मिश्र ने हिंदी के समावेशी रूप की चर्चा करते हुए भारतीय भाषाओं के साथ उसके महत्वपूर्ण संबंधों की चर्चा की।उन्होंने हिंदी के विकास में बंगाल की भूमिका को भी रेखांकित किया।उन्होंने अनुवाद के जरिए भारतीय भाषाओं के जातीय स्वरूप को एक दूसरे से संबद्ध माना।उन्होंने सभी वक्ताओं के विचारों की सराहना करते हुए कहा कि हमें मिलजुलकर अंग्रेजी साम्राज्यवाद का विरोध करना चाहिए।दूसरे सत्र में शिक्षा के माध्यम-भाषा का प्रश्न और हिंदी विषय पर विषय प्रवर्तन करते हुए कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ सत्या उपाध्याय ने त्रिभाषा सूत्र के साथ नई शिक्षा नीति में भाषा की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। मुख्य अतिथि वक्ता प्रो. अमरनाथ शर्मा ने अंग्रेजी के बढ़ते वर्चस्व पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव से हिंदी एवं भारतीय भाषाओं पर संकट गहराता जा रहा है।मातृभाषा के साथ अंग्रेजी को बनाए रखना एक बड़ी साजिश है।हमें सजग होकर अपनी भाषा को बचाने की जरूरत है। विशिष्ट वक्ता डॉ प्रमोद कुमार प्रसाद ने कहा कि हिंदी का व्यापक प्रयोग होने से तथा अनुवाद कार्य को प्रोत्साहन देने से हम अपनी भाषाओं के बीच बेहतर संबंध स्थापित कर सकते हैं।
कार्यक्रम को सफल बनाने में हिंदी विश्वविद्यालय के द्वय समन्वयक प्रतीक सिंह एवं मंटू दास का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ जे.के.भारती एवं डॉ अंजू सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ बिजेंद्र कुमार एवं डॉ श्रीनिवास सिंह यादव ने दिया।इस अवसर पर भारी संख्या में शिक्षक ,विद्यार्थी एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।