*इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्रोत साहित्य है*

*इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्रोत साहित्य है*
कोलकाता 29 अप्रैल: भारतीय इतिहास पर चर्चा में इधर ऐसी धारणाएं सामने आ रही हैं जिनका तथ्यों से संबंध नहीं है। इतिहास को विवादास्पद बनाया जा रहा है। इतिहासकार को ऐसा होना चाहिए जो शोध से प्राप्त नए तथ्यों के आधार पर अपनी पूर्व स्थापनाओं में सुधार करे। खासकर इतिहास का एक प्रमुख स्रोत साहित्य हो सकता है। आज भारतीय भाषा परिषद तथा भारतीय इतिहास और साहित्य अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित एक लोकार्पण समारोह में ये बातें रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के प्रो.हितेंद्र पटेल ने कही। वे चिन्ना राव तथा खुद अपने द्वारा प्रसिद्ध इतिहासकार सब्यसाची भट्टाचार्य पर संपादित पुस्तक पर बोल रहे थे। इस अवसर पर भारतीय भाषाओं में इतिहास लेखन पर बल देते हुए सब्यसाची जी के अवदान पर चर्चा हुई।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो. चिन्ना राव ने सब्यसाची जी के साथ तीस वर्षों तक काम करने के अनुभवों को साझा किया। मुंगेर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गिरीशचंद्र पांडेय ने कहा कि इतिहास महान प्रेरणा देने का काम करता है। इसका सही दृष्टिकोण से अध्ययन करना चाहिए।  मालविका भट्टाचार्य ने अपने पति को याद करते हुए कुछ रोचक बातें बताईं। अध्यक्षता करते हुए परिषद के निदेशक डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि आज हमारे देश में दो चीजें गहरे संकट में हैं इतिहास और विज्ञान। आज तक ये आम लोगों की सामाजिक चेतना के अंग नहीं बन पाए। खासकर इतिहास विभेद का औजार बना दिया गया। उन्होंने प्रो. हितेंद्र पटेल तथा प्रो. चिन्ना राव को इस अनूठी पुस्तक के लिए बधाई दी। इस पुस्तक में हिंदी साहित्यकारों पर भी चर्चा है। सभा का संचालन अरिंदम घोष ने किया।