नराकास (कार्यालय-2), कोलकाता की प्रथम अर्धवार्षिक बैठक संपन्न

नराकास (कार्यालय-2), कोलकाता की प्रथम अर्धवार्षिक बैठक संपन्न

अनवर हुसैन

कोलकाता, 17 मईः नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति(नराकास)(कार्यालय-2), कोलकाता की वर्ष 2024 की प्रथम अर्धवार्षिक बैठक दिनांक 02.04.2024 को अपराह्न 3:00 बजे समिति के अध्यक्ष कार्यालय सीएसआईआर-केंद्रीय काँच एवं सिरामिक अनुसंधान संस्थान (सीजीसीआरआई), कोलकाता के मेघनाद साहा सभागार में आयोजित की गई जिसमें सदस्य कार्यालयों के कार्यालय प्रमुख एवं हिंदी प्रतिनिधि मिलाकर कुल 98 सदस्य शामिल हुए।

बैठक की अध्यक्षता समिति की अध्यक्ष एवं सीएसआईआर-सीजीसीआरआई की निदेशिका डॉ. सुमन कुमारी मिश्र द्वारा की गई। बैठक का औपचारिक शुभारंभ मुख्य अतिथि तथा राजभाषा विभाग के अधिकारियों के स्वागत से हुआ। तत्पश्चात श्री सितेन्दु मंडल, मुख्य वैज्ञानिक एवं उपाध्यक्ष, रा.भा.का.स., सीएसआईआर-सीजीसीआरआई ने अपने स्वागत सम्बोधन में बैठक हेतु उपस्थित सभी कार्यालय प्रमुखों एवं हिंदी प्रतिनिधियों का स्वागत किया तथा बताया कि आज की बैठक की मुख्य कार्यसूची पिछले छः महीनों में सदस्य कार्यालयों में राजभाषा के क्षेत्र में हुई प्रगति की समीक्षा करना एवं इसे बेहतर बनाने के बारे में चर्चा करना है, ताकि हमें राजभाषा के कार्यों में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने में मदद मिल सके।

स्वागत सम्बोधन के पश्चात श्री निर्मल कुमार दूबे, सहायक निदेशक (राजभाषा), क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय (पूर्व), कोलकाता द्वारा सदस्य संस्थानों से प्राप्त तिमाही प्रतिवेदनों के आधार इन कार्यालयों में राजभाषा के प्रगामी प्रयोग की समीक्षा प्रस्तुत की। श्री दूबे ने कार्यालयवार समीक्षा में न केवल कार्यान्वयन में कमियों की ओर प्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट किया, बल्कि बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित करने हेतु कुछ कार्यालयों की प्रशंसा भी की। आगे उन्होंने सभी कार्यालयों से हिंदी के प्रग्रामी प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु राजभाषा विभाग द्वारा जारी वार्षिक कार्यक्रम का अनुसरण करने की अपील की। उन्होंने बताया की राजभाषा नियमों के अनुसार नराकास की छमाही बैठक में सभी कार्यालय प्रमुखों की भागीदारी आवश्यक है। श्री दूबे ने विभिन्न सदस्य कार्यालयों के प्रतिनिधियों से यह भी अनुरोध किया कि वे अपनी तिमाही रिपोर्ट अपने मुख्यालय/मंत्रालय के साथ-साथ नराकास सचिवालय एवं क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय (पूर्व) को भी अवश्य भेजें ताकि इसकी छमाही समीक्षा कर उचित सुझाव दिए जा सकें। राजभाषा विभाग की ओर से बैठक में उपस्थित श्री जे. पी. सिंह, सहायक निदेशक (राजभाषा) ने हिंदी शिक्षण योजना की कक्षाओं (प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ एवं पारंगत) के बारे में जानकारी दी तथा और वर्ष 2025 से पहले प्रशिक्षण पूरा करने की बाध्यता के बारे में सबका ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने यह भी बताया कि प्रशिक्षण संबंधी जानकारी केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान (CHTI) एवं राजभाषा विभाग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। श्री जितेंद्र प्रसाद, उप-निदेशक (आशुलिपि एवं टंकण) ने राजभाषा विभाग द्वारा संचालित आशुलिपि/टंकण कक्षाओं के बारे में जानकारी दी। राजभाषा विभाग के प्रतिनिधियों द्वारा सम्बोधन के पश्चात समिति की सचिव, श्रीमती कृष्णा भट्टाचार्य ने मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) राम आह्लाद चौधरी, विभागाध्यक्ष (हिंदी), कलकत्ता विश्वविद्यालय का परिचय प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि के व्याख्यान से पूर्व उन्हें समिति के अध्यक्ष डॉ. सुमन कुमारी मिश्र द्वारा स्मृति चिह्न से सम्मानित किया गया।

मुख्य अतिथि प्रो. राम आह्लाद चौधरी ने “21वीं सदी में हिंदी कविता और उसका दर्शन” विषय पर एक रोचक व्याख्यान प्रस्तुत किया जिससे श्रोताओं को इस विषय पर अंतर्दृष्टि मिली। अपने व्याख्यान में उन्होंने विभिन्न कालखंड में हिंदी कविता के स्थिति की समीक्षा करते हुए यह बताया कि कविता हर दौर मे प्रासंगिक रही है और यह समाज को नए सिरे से सृजित करने का कार्य करती है। आगे उन्होंने 21वीं सदी में हिंदी कविता के बदलते स्वरूप पर चर्चा करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी एवं सोशल मीडिया के इस दौर में कविता के मानव संवेदना से जुड़ाव को रेखांकित किया।

मुख्य अतिथि द्वारा व्याख्यान के पश्चात नराकास अध्यक्ष, डॉ. सुमन कुमारी मिश्र ने अध्यक्षीय सम्बोधन प्रस्तुत किया। अध्यक्ष महोदया ने इस बैठक में निदेशकों/कार्यालय प्रमुखों की कम उपस्थिति पर असंतोष व्यक्त करते हुए प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे अपने कार्यालय प्रमुखों को उनकी इस चिंता से अवश्य अवगत करवाएं। उन्होंने उल्लेख किया कि नराकास की अर्द्धवार्षिक बैठकों में कार्यालय प्रमुखों का स्वयं शामिल होना आवश्यक है तथा यह भी रेखांकित किया कि संसदीय समिति के निरीक्षण में इस बात पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। उन्होंने सभी कार्यालय प्रमुखों/प्रतिनिधयों से अपने-अपने संस्थान/कार्यालय में राजभाषा संबंधी प्रावधानों का प्रभावी रूप से कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। आगे अध्यक्ष महोदया ने राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी सहायता हेतु सदस्य कार्यालयों से आपसी सहयोग करने तथा राजभाषा विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु हर संभव प्रयास करने का भी आह्वान किया। उन्होंने आँकड़े भिजवाने में देरी पर ध्यान आकर्षित करते हुए सभी से आग्रह किया कि आँकड़े समय से नराकास सचिवालय को भेजे जाएं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सदस्य कार्यालयों के हिंदी अधिकारी/ हिंदी प्रतिनिधि आपस में संपर्क में रहें ताकि राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी सहयोग सुनिश्चित किया जा सके।

अध्यक्ष महोदया ने सम्बोधन के पश्चात सभी प्रतिनिधियों से हिंदी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ावा देने के बारे में सुझाव मांगे एवं उन पर चर्चा की। केंद्रीय न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक श्री बी. बडोनिया ने सुझाव दिया कि यदि संभव हो तो अर्द्धवार्षिक बैठक के अतिरिक्त संस्थान/कार्यालय प्रमुखों की एक बैठक अलग से भी बुलाई जा सकती है। अध्यक्ष महोदया ने सूचित किया कि अर्द्धवार्षिक बैठक में संस्थान/कार्यालय प्रमुखों का शामिल होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त यदि आवश्यक हो तो संस्थान/कार्यालय प्रमुखों की अलग से भी एक बैठक बुलाने पर विचार किया जा सकता है। श्री बडोनिया ने यह भी सुझाव रखा कि कार्यालयों के छोटे-छोटे समूह बनाकर राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी कार्यशाला/कार्यक्रम आदि आयोजित किए जा सकते हैं। अध्यक्ष महोदया ने सूचित किया कि राजभाषा नियमों एवं वार्षिक कार्यक्रम के अनुसार सभी कार्यालयों में हर तिमाही में हिंदी कार्यशाला का आयोजन कर हिंदी में कार्य करने हेतु कार्मिकों का ज्ञानवर्धन करना आवश्यक है। यदि कुछ निकटवर्ती कार्यालय मिलकर एक स्थान पर अपने कार्मिकों हेतु कार्यशाला/कार्यक्रम आदि करवाना चाहें तो वे आपस में संपर्क कर सकते हैं। भारतीय विज्ञान काँग्रेस संस्था के कार्यकारी सचिव डॉ. अतुल कुमार ने सुझाव रखा कि तिमाही रिपोर्ट में आँकड़े भरने के बारे में नराकास स्तर पर कोई कार्यक्रम किया जा सकता है। अध्यक्ष महोदया ने इस संबंध में बताया कि सभी कार्यालयों द्वारा तिमाही रिपोर्ट भेजा जाना एक अनिवार्य एवं नियमित कार्य है। इस कार्य में हिंदी अधिकारी/अनुवादक सक्षम होते हैं। जिन कार्यालयों में हिंदी अधिकारी/अनुवादक नहीं हैं वे सहयोग हेतु क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय (पूर्व), निजाम पैलेस, कोलकाता को संपर्क कर सकते हैं। यदि आवश्यक हो तो नराकास सचिवालय से भी संपर्क किया जा सकता है। राष्ट्रीय परीक्षण शाला (पूर्वी क्षेत्र) के निदेशक श्री शेर सिंह ने माह के प्रथम एवं अंतिम कार्यदिवस को अर्द्धवार्षिक बैठक आयोजित न करने का सुझाव दिया जिस पर अध्यक्ष महोदया द्वारा सहमति जताई गई। भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के हिंदी अधिकारी श्री प्रशांत तिवारी ने सुझाव दिया कि नराकास के स्तर पर संसदीय प्रश्नावली भरने के बारे में एक कार्यशाला करवाई जा सकती है। अध्यक्ष महोदया ने बताया कि संसदीय प्रश्नावली में कार्यालय में राजभाषा नीति के कार्यान्वयन, पत्राचार, प्रशिक्षण आदि से संबंधित आँकड़े ही भरे जाते हैं। यदि कार्यालय में राजभाषा नीति/नियमों के कार्यान्वयन, तिमाही रिपोर्ट, प्रशिक्षण आदि के आँकड़े ठीक से संग्रहीत किए जाते हों तो संसदीय प्रश्नावली भरने में असुविधा होने कि संभावना नहीं है। हिंदी अधिकारी इस कार्य हेतु सक्षम होते हैं। यदि आवश्यक हो तो संबंधित कार्यालयों द्वारा सहयोग हेतु नराकास सचिवालय से भी संपर्क किया जा सकता है। जवाहर नवोदय विद्यालय बानीपुर के प्रतिनिधि श्री पंकज कुमार सिन्हा ने बताया कि उनके कार्यालय में कोई हिंदी अधिकारी/अनुवादक पदस्थापित नहीं है। इसलिए उन्हें राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी नियमों की सही जानकारी नहीं हो पाती है। अध्यक्ष महोदय ने सूचित किया कि उन्हें राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी महत्वपूर्ण प्रावधानों की एक प्रति भेजी जाएगी।

सीएसआईआर-सीजीसीआरआई के हिंदी अधिकारी श्री संजीव कुमार सिंह ने ‘हिंदी पत्रिका प्रतियोगिता’ हेतु सभी संस्थानों/कार्यालयों से अपनी हिंदी पत्रिकाएं शीघ्र भेजने का आग्रह किया। बैठक के अंत में नराकास अध्यक्ष द्वारा नराकास के तत्वावधान में हिंदी प्रतियोगिताओं के आयोजक संस्थानों को स्मृति चिह्न से सम्मानित किया गया। अध्यक्ष महोदया द्वारा हिंदी प्रतियोगिताओं के विजेता कार्मिकों को प्रशस्ति पत्र से भी सम्मानित किया गया। सीएसआईआर-सीजीसीआरआई की प्रशासनिक अधिकारी श्रीमती मुनमुन गुप्ता ने नराकास  (कार्यालय-2), कोलकाता को सही दिशा देने के लिए समिति की अध्यक्ष एवं सीएसआईआर-सीजीसीआरआई की निदेशिका डॉ. सुमन कुमारी मिश्र को धन्यवाद दिया। उन्होंने नराकास (कार्यालय-2), कोलकाता की अर्धवार्षिक बैठक में उपस्थित रहने के लिए सदस्य कार्यालयों के कार्यालय प्रमुखों और अधिकारियों के प्रति भी आभार व्यक्त किया। श्रीमती गुप्ता ने राजभाषा विभाग के प्रतिनिधियों को विशेष रूप से धन्यवाद दिया जिन्होंने राजभाषा नियमों, प्रक्रियाओं तथा प्रशिक्षण के बारे में सबका ज्ञानवर्धन किया। उन्होंने अत्यंत उपयोगी व्याख्यान प्रस्तुत करने के हेतु मुख्य अतिथि प्रो. राम आह्लाद चौधरी के प्रति भी आभार व्यक्त किया तथा बैठक के आयोजन में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहयोग करने वाले सभी विभागों एवं कार्मिकों के प्रति आभार जताया। अंततः श्रीमती गुप्ता ने बैठक के सफल आयोजन के लिए संस्थान के निदेशक, उपाध्यक्ष रा.भा.का.स., प्रशासन नियंत्रक, समिति के सचिव, कोषाध्यक्ष एवं हिंदी अधिकारी के प्रति आभार व्यक्त किया।

इस बैठक का समन्वय श्रीमती कृष्णा भट्टाचार्य, वरिष्ठ हिंदी अधिकारी एवं सचिव नराकास, (कार्यालय-2), कोलकाता और कार्यक्रम का संचालन श्री संजीव कुमार सिंह, हिंदी अधिकारी द्वारा किया गया। बैठक की समाप्ति राष्ट्रगान से हुई।