पत्रकारिता और साहित्य ने साथ-साथ विकास कियाः प्रो. चौबे

पत्रकारिता और साहित्य ने साथ-साथ विकास कियाः प्रो. चौबे
कोलकाता, 02 अक्टूबर। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र कोलकाता में प्रोफेसर कृपाशंकर चौबे, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग का “विश्व पत्रकारिता और विश्व साहित्य” विषय पर 01 अक्टूबर 2024 को अपराहन 12.30 बजे विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। प्रोफेसर चौबे का स्वागत केंद्र की प्रभारी डॉ. चित्रा माली ने किया। प्रोफेसर चौबे का छात्रों से परिचय केंद्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित राय ने कराया। प्रोफेसर चौबे ने अपने व्याख्यान में कहा कि विश्व पत्रकारिता और आधुनिक विश्व साहित्य ने साथ-साथ विकास किया। दुनिया का पहला मुद्रित अखबार ‘रेलेशन एलर फुर्नामेन अंड गेडेनवर्डिगन हिस्टोरियन’ 1605 में स्ट्रासबर्ग से जब प्रकाशित हुआ तो उसके संपादक-प्रकाशक जोहान कैरोलस की धूम मच गई। वैसी ही धूम उस समय शेक्सपीयर की रचनाओं की मची हुई थी। पत्रकारिता और आधुनिक साहित्य की वह सह यात्रा अनवरत जारी रही। जेम्स पेरी ने जनवरी 1782 में ‘द यूरोपीयन मैगजीन’ लंदन से निकाली। उसी पत्रिका के मार्च 1787 के अंक में विलियम वर्ड्सवर्थ का सानेट छपा तो वे कवि के रूप में प्रसिद्ध हो गए। चेखब की पहली रचना स्टेप सबसे पहले 1888 में रूसी पत्रिका ‘सेवर्नी वेस्टनिक’ में छपी। मैक्सिम गोर्की का विश्वविख्यात उपन्यास  मदर 1906 में छपा। उसी साल वह अंग्रेजी में  ‘एपलिटंस मैग्जिन’ में छपा। एपलिटन एक अंग्रेजी पुस्तक प्रेमी थे और 1903 से ही पत्रिका निकाल रहे थे। जर्मन भाषा के उपन्यासकार फ्रैंज काफ्का की आरंभिक आठ कहानियां ‘हाइपरियन’ पत्रिका के प्रवेशांक में 1908 में छपीं। वर्जीनिया उल्फ, एजरा पाउंड, पाब्लो नेरुदा, रिल्के की रचनाएं भी पहले पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होकर ही चर्चित हुईं। विश्व पत्रकारिता की तरह हिंदी पत्रकारिता और हिंदी गद्य ने भी साथ-साथ विकास किया। प्रोफेसर चौबे ने विश्व साहित्य और विश्व पत्रकारिता के क्रमिक विकास का विस्तारपूर्वक परिचय कराया तथा इनके परस्पर संबंध को भी बताया। ।
प्रोफेसर चौबे ने क्षेत्रीय केंद्र कोलकाता द्वारा 25 सितंबर 2024 को आयोजित “हमारे समय में साहित्य अध्ययन का औचित्य/छायावाद में अनुभूति और कल्पना/टी.एस. इलियट : परंपरा और निर्वेक्तिकता का सिद्धांत” विषयों पर एक दिवसीय अध्ययन कार्यशाला में सहभागी रहे छात्रों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए। व्याख्यान में एम.ए. गांधी एवं शांति अध्ययन व एम.ए. हिंदी साहित्य के प्रथम व द्वितीय छमाही के छात्र -छात्राओं के साथ केंद्र के अनुभाग अधिकारी डॉ. आलोक सिंह, कर्मी सुखैन शिकारी, रीता वैद्य भी उपस्थित थे। संचालन केंद के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित राय ने  किया और धन्यवाद ज्ञापन केंद्र की प्रभारी डॉ.चित्रा माली ने किया।