विद्यासागर विश्वविद्यालय में रवीन्द्र जयंती का आयोजन

विद्यासागर विश्वविद्यालय में रवीन्द्र जयंती का आयोजन
 मिदनापुर, 9 मईःविद्यासागर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से रवींद्र जयंती के अवसर पर परिचर्चा,कविता कोलाज,काव्यपाठ एवं रवींद्र संगीत का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत रवींद्रनाथ की तस्वीर पर माल्यार्पण के साथ हुई और चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा श्रेया और राया सरकार ने उद्घाटन गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर ‘रवींद्रनाथ का साहित्य एवं चिंतन’ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रो. दामोदर मिश्र ने कहा कि रवींद्र जयंती की अवधारणा ही भारतीयता की अवधारणा है। रवींद्रनाथ का साहित्य विपुल और विराट है।बांग्ला विभाग के प्रो सुजीत पाल ने कहा कि रवींद्रनाथ जितने बांग्ला के हैं उतने ही भारतीय भाषा के भी हैं। विभागाध्यक्ष डॉ प्रमोद कुमार प्रसाद ने कहा कि रवींद्रनाथ बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।उन्होंने भारतीय लेखकों को बहुत हद तक प्रभावित किया है।डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि रवींद्रनाथ बंगाल के सांस्कृतिक पुरूष हैं।उन्होंने साहित्य परिसर को भौगोलिक सीमाओं के पार पहुंचाया, जहां सार्वभौमिकता और मनुष्यता का भाव ही उनका विश्वबोध बन गया है।इसीलिए वे विश्वभारती की स्थापना करते हैं।
डॉ श्रीकांत द्विवेदी ने कहा मेरा संबंध शांतिनिकेतन से रहा है।उन्होंने रवींद्रनाथ और हजारी प्रसाद द्विवेदी का संस्मरण सुनाते हुए बताया कि हिंदी और बांग्ला के बीच के संबंधों का जिक्र किया।डॉ मधु सिंह ने निराला की पुस्तक ‘रवींद्र कानन कविता’ का उल्लेख करते हुए रवीन्द्रनाथ की काव्य संवेदना का पर प्रकाश डाला।रवीन्द्रनाथ ने आत्मसंकुचन की जगह आत्मविस्तार को महत्व दिया।शोधार्थी सुषमा कुमारी ने रवींद्रनाथ की कविताओं में देशप्रेम और जागरण विषय पर,मिथुन नोनिया ने बंगभंग आंदोलन के आलोक में और मदन साह ने स्वदेशी के मुद्दे पर रवींद्रनाथ की चर्चा की।
इस अवसर पर टीना परवीन,  नीशू कुमारी, बेबी सोनार,श्रेया सरकार,लक्ष्मी यादव ने स्वरचित कविता पाठ किया।रवींद्रनाथ की कविताओं पर आधारित कोलाज में प्रगति दुबे, निशा शर्मा, मुस्कान अग्रवाल, मारिया फ्रांसिस, स्नेहा शर्मा, कुंडल कुमारी, राया सरकार, मधु साव, लक्ष्मी, प्रिया गुप्ता, सिंपल, सत्यम पटेल, त्रिना दास और श्रेया सरकार ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का सफल संचालन  संजय जायसवाल तथा धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी उस्मिता गौड़ ने दिया।