संयुक्त राष्ट्र के अस्तित्व पर संदेह नहीं किया जा सकता : सौगत राय

संयुक्त राष्ट्र के अस्तित्व पर संदेह नहीं किया जा सकता : सौगत राय

संयुक्त राष्ट्रसंघ का कोई विकल्प नहीं : सीताराम शर्मा

संयुक्त राष्ट्र ने स्वयं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साबित किया है जो बदलते समय के अनुरूप विकसित हुआ है। इसने संप्रभु राज्य के विचार की विजय को बरकरार रखा है जैसा कि इसके सदस्यों की बढ़ती संख्या में देखा जा सकता है। हालाँकि, संयुक्त राष्ट्र को उम्मीदों के संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसके ऊंचे आदर्शों को न तो पूरी तरह से प्राप्त किया जा सकता है और न ही छोड़ा जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप शाश्वत विश्वसनीयता/उपलब्धि का अंतर पैदा होता है। फिर भी संयुक्त राष्ट्र के अस्तित्व पर कभी संदेह नहीं है और इसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सभी देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वास्तुकला की आधारशिला के रूप में स्वीकार किया जाता है। पश्चिम बंगाल के माननीय सांसद एवं वेबफूना के अध्यक्ष श्री सौगत राय ने शुक्रवार को  सीताराम शर्मा की पुस्तक युनाइटेड नेशंस: अ जर्नी फ्रॉम होप टू डेस्पेयर का विमोचन करते हुए अपने ये विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के संरक्षण और इसके अच्छे कार्यों — इसके विकासात्मक, सामाजिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक एजेंडे, इसके मानवीय प्रयासों, मानदंड-निर्धारण भूमिकाओं, विशेष एजेंसियों के समन्वय और शांति अभियानों में यूएन की प्रमुख भूमिका बनी रहेगी। दुनिया को एक बेहतर जगह बनाना जारी रहेगा।
श्री शर्मा के विषय में बोलते हुए उन्होंने कहा कि सीताराम शर्मा ने अपनी पुस्तकों के माध्यम से एवं गत पांच दशकों से विभिन्न पदों पर रहते हुए संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों और उद्देश्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाया है। उनकी पुस्तक “यूएन: एन एंथोलॉजी” संयुक्त राष्ट्र को क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर जनता के करीब लाने के इनके निरंतर प्रयासों का एक हिस्सा है। यह रचना विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच संयुक्त राष्ट्र की समझ को गहरा करने और इसके लिए समर्थन बनाने में योगदान देगा।
इस अवसर पर मुख्य वक्ताओं में रिटायर्ड एयर चीफ मार्शल अरूप राहा, जादवपुर विश्वविदयालय के पूर्व वाइस—चांसलर प्रो. सुरंजन दास, कोलकाता में अमेरिकन सेंटर की डायरेक्टर एलिजाबेथ ली, अलायंस फ्रेंचाइजे फ्रांस के डायरेक्टर निकोलस फसीनो, जापान के डेप्युटी कंसुल जनरल मतसुतारो यामासाकी एवं सीनियर जर्नलिस्ट अदिति राय घटक उपस्थित थे।
अपने वक्तव्य में एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने कहा कि पुस्तक का विषय बिल्कुल सटीक है। संयुक्त राष्ट की प्रासंगिकता आज कम होती जा रही है। इसे अपनी जमीनी हकीकत को समझने एवं इसे दूर करने की आवश्यकता है। आज संयुक्त राष्ट की जगह दूसरे सामानांतर संगठन अपना वर्चस्व स्थापित कर रहे हैं।
प्रो. सुरंजन दास ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र से संबंधित मुद्दों पर भाषणों और बयानों का यह संकलन शिक्षाविदों और सामान्य पाठकों के लिए सबसे उपयोगी है। यह संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में सुधार के लिए चल रहे प्रयासों पर प्रकाश डालता है लेकिन स्वीकार करता है कि सफलता प्राप्त करना एक लंबा और कठिन कार्य होगा जो निकट भविष्य में राजनयिकों और कार्यकर्ताओं को व्यस्त रखेगा।
सीताराम शर्मा ने अपने वक्तव्य में बताया कि पुस्तक का शीर्षक आशा से निराशा तक का सफर ने अपने आप में कई प्रश्न उठाया। मेरे कुछ मित्र निराशा शब्द से खुश नहीं थे, लेकिन तथ्य यह है कि संयुक्त राष्ट्र को अक्सर अपने काम के बारे में अपर्याप्त सार्वजनिक ज्ञान और जागरूकता से गंभीर नुकसान उठाना पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र का परीक्षण संघर्षों, मानवीय संकट और अशांत परिवर्तनों द्वारा किया गया है। फिर भी यह जीवित है और इसने दुनिया भर के लोगों के लिए बहुत कुछ हासिल किया है। हालाँकि, कुछ मामलों में संयुक्त राष्ट्र हमारे समय की बदलती वास्तविकताओं के साथ तालमेल बिठाने में विफल रहा है और निश्चित रूप से कई बड़ी बाधाएँ और आलोचनाएँ हैं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र को अभी भी दूर करना बाकी है। पूरे शीतयुद्ध काल के दौरान इसे कार्य करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। आज संयुक्त राष्ट्र स्वयं को एक महत्वपूर्ण दहलीज पर पाता है। संयुक्त राष्ट्र का इतिहास, आज तक, कुछ शक्तिशाली देशों की संयुक्त राष्ट्र के संस्थागत ढांचे और नीति पर जबरदस्त प्रभाव डालने की क्षमता से चिह्नित है।
संयुक्त राष्ट्र के स्थान पर किसी नई संस्था या प्रणाली को लाने का कोई भी प्रस्ताव अवास्तविक है। संयुक्त राष्ट्र का कोई विकल्प नहीं है। सच तो यह है कि यदि विश्व, विशेष रूप से प्रमुख शक्तियां संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए इच्छुक नहीं हैं, तो यह एक और सार्थक संस्था बनाने का प्रयास भी नहीं करेगा। मूलतः राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और दूरदर्शी नेतृत्व परिवर्तन में मुख्य बाधा है।
सीनियर जर्नलिस्ट अदिति राय घटक ने पुस्तक को प्रेरणा का स्त्रोत बताया। अमेरिकन सेंटर की डायरेक्टर एलिजाबेथ ली, अलायंस फ्रेंचाइजे के डायरेक्टर निकोलस फसीनो एवं जापान के डेप्युटी कंसुल जनरल मतसुतारो यामासाकी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन वेबफूना के सेक्रेटरी जनरल डॉ. राहुल वर्मा ने किया।