आज के पत्रकारों को मलिहाबादी के बताए रास्ते पर चलना चाहिएः वसीमूल हक

आज के पत्रकारों को मलिहाबादी के बताए रास्ते पर चलना चाहिएः वसीमूल हक

ईरान सोसाइटी में एएस मलिहाबादी पर दो दिवसीय सेमिनार संपन्न

कोलकाता, 25 फरवरीः अखबार-ए-मशरिक के संपादक व बुजुर्ग पत्रकार मोहम्मद वसीमूल हक ने कहा है की अहमद सईद मलिहाबादी की पत्रकारिता अवाम, मुल्क और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए एक मिशाल थी। नई पीढ़ी के पत्रकारों को मलिहाबादी के बताए रास्तों पर चलनी चाहिए। वसीमूल हक ने शनिवार को उर्दू पत्रकारिता, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता में अहमद सईद मलिहाबादी के योगदान पर ईरान सोसाइटी द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्री सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता के तौर पर यह बातें कही। उन्होंने कहा कि अहमद सईद मलिहाबादी के पत्रकारिता कोलकाता महानगर से शुरू हुई और यहीं परवान चढ़ी। उर्दू दैनिक आजाद हिंद के वे लंबे समय तक संपादक रहे। बाद में वह राजनीति से जुड़े और राज्यसभा में गए। लेकिन पत्रकारिता में उनके लिए अवाम सर्वोपरि थी। उन्होंने कभी पत्रकारिता के वसूलों से समझौता नहीं किया। आजाद हिंद कोलकाता से प्रकाशित होता था लेकिन पूरे देश में और यहां तक कि मुल्क से बाहर भी उसकी अपनी साख थी। आजाद हिंद में संपादक रहते अहमद सईद मलिहाबादी ने कई नौजवान पत्रकारों को तैयार किया।

हिंदी दैनिक छपते छपते के संपादक विश्वंभर नेवर ने कहा कि अहमद सईद मलिहाबादी बड़े संपादक होने के बावजूद बहुत ही साधारण व्यक्ति की तरह रहते थे। धर्म और जाति के नाम पर वह कभी भेद-भाव नहीं करते थे। वह सच्चे देश भक्त थे। उन्होंने उर्दू पत्रकारिता को एक नई उंचाई दी। आज पत्रकारिता के क्षेत्र में गिरावट आई है। ऐसे में अहमद सईद मलिहाबादी को याद कर हम पत्रकारिता के आदर्श को बनाए रख सकते हैं। यूएनआई के पूर्व संपादकीय प्रभारी अब्दुस सलाम असीम ने कहा कि अहमद सईद मलिहाबादी किसी का धौंस बर्दाश्त नहीं करते थे। उन्होंने पत्रकारिता में अपने वसूलों से कभी समझौता नहीं किया। आजाद हिंद के संपादक रहते उन्होंने नए पत्रकारों की एक पीढ़ी तैयार की थी।

पत्रकार अनवर हुसैन ने सेमिनार में बेलारूस के मानद कंसुल सीताराम शर्मा का उद्घाटन भाषण पढ़ा। अनवर ने सीताराम शर्मा के हवाले से कहा कि अहमद सईद मलिहाबादी का अखबार आजाद हिंद कलकत्ता से प्रकाशित न केवल सबसे प्रतिष्ठित उर्दू दैनिक था बल्कि मुस्लिम समाज में और पश्चिम बंगाल की सरकार में उनकी आवाज को बड़ी गंभीरता से सुना जाता था। मलिहाबादी साहब के जीवन पर मौलाना अबुल कलाम आजाद का बहुत बड़ा प्रभाव था। देश में कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनका अभाव उनके जाने के बाद बहुत खटकता है। मलिहाबादी साबह उसमें से एक थे। राज्य में सांप्रदायिक शांति एवं सौहार्द में उनके अखबार आजाद हिंद व उनकी व्यक्तिगत भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है।

आनंद बाजार पत्रिका के पूर्व संवाददाता काजी गुलाम गौस सिद्दिकी ने अपने वक्तव्य  में अहमद सईद मलिहाबादी के साथ व्यक्तिगत संबंधों का हवाला देते हुए उनके धर्मनिरक्षता और राष्ट्रीय एकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। कवल सिंह वालिया ने स्वागत भाषण दिया। डॉ. एम फिरोज ने इस तरह के एकेडमिक सेमिनार आयोजित करने में इरान सोसाइटी को योगदान का वर्णन किया। ईरान सोसाइटी के महासचिव के जावेद यूनुश ने संचालन किया और धन्यवाद ज्ञापन सेमिनार कमेटी के चेयरमैन फुआद हलीम ने किया। रविवार को भी पत्रकारिता क्षेत्र के कई विद्वानों ने सेमिनार में अपना वक्तव्य रखा जिसमें फेसिन एजाज, अब्दुस सलाम असीम, डॉ. इफ्तेखार अहमद, डॉ. फुआद हलीम, प्रो. गजाला यासमिन और डॉ. राम अह्लाद चौधरी आदि शामिल थे।