दिवंगत प्रो. रेखा सिंह की स्मृति में 25 जून 2024 की शाम चार बजे से जनसंसार के सभाकक्ष में एक स्मरण सभा का आयोजन किया गया। सभा में उपस्थित उनके मित्रों एवं छात्र -छात्राओं ने भरे मन से उन्हें याद किया।
सभा का संचालन करते हुए मधु सिंह ने कहा कि इस बीते एक साल में बार- बार मैडम की याद आती रही है। वह भले ही सशरीर हमारे बीच उपस्थित नहीं हैं लेकिन अदृश्य रूप से हमें प्रेरणा देती रही हैं। तान्या चतुर्वेदी ने निर्गुण गाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। शगुफ्ता ने कहा कि मैम के अंदर बड़ी हिम्मत थी। उनसे बहुत स्नेह और मार्गदर्शन मिला। हमेशा सहयोग करती थीं। उमा झुनझुनवाला ने रेखा दी के साथ बिताए अपने बचपन के शरारत भरे दिनों को याद किया। हितेन्द्र पटेल ने कहा कोई अपना तब तक नहीं मरता जब तक हम नहीं मरते। हमें अपनी स्मृतियों को संजोना सीखना चाहिए । रेखा सिंह की वाचन शैली बहुत प्रभावशाली थी। जीवन के ढेरों उतार -चढ़ाव देखे जिनसे हमें सीखना चाहिए। उनकी कहानी लोगों के सामने आनी चाहिए। शिक्षक और मित्र वत्सल रेखा को याद रखना चाहिए। इतु सिंह ने कहा कि मैंने विश्वविद्यालय में रेखा दी को देखा तो उनकी भाषण शैली से खूब प्रभावित हुई। वह मेरे लिए ठंडी हवा के झोंके की तरह थीं। आदित्य गिरि ने उन्हें याद करते हुए कहा कि 2010 में उनसे मुलाकात हुई थी। उनसे घंटों बातें होती थीं। विद्यार्थियों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं। मेरे अवसाद के दिनों में मेरी खूब मदद की।
चंद्रा पांडेय जी ने कहा- आकाशवाणी के बांग्ला शिक्षण के एक कार्यक्रम में मैंने जिन दो विद्यार्थियों को बांग्ला सिखाई, उनमें एक रेखा सिंह थी। वहीं से उससे मेरा संपर्क बना जो निरंतर प्रगाढ़ होता गया। वह राजनीति में सक्रिय होने लगी। वह मेरी तरह शिक्षण करते हुए राजनीति में सक्रिय रहना चाहती थीं। रेखा जिंदगी को जीना जानती थी। उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। उनकी सहकर्मी डॉ. शारदा ने कहा कि जयपुरिया कॉलेज में काम करने के दौरान जब भी कोई समस्या आई तो मैंने रेखा दी को अपने निकट पाया। अपनी तकलीफ के बावजूद हमेशा दूसरों के तकलीफ में साथ खड़ी रहती थीं। उनमें बड़ी जिजीविषा और मानवीयता थी। शारदा ने रवींद्र संगीत गाकर उन्हें याद किया।संजय जायसवाल ने कहा कि रेखा दी साहसिकता, विवेकपरकता और सह्दयता की त्रिभुज थीं।उन्होंने हमेशा निडरता के साथ अपने और विद्यार्थियों के पक्ष को रखा।कई अवसरों पर वे जरूरतमंद विद्यार्थियों को आर्थिक और मानसिक स्तर पर सहायता देती थीं।गीता दूबे ने उनके जीवट और जिजीविषा को याद करते हुए उनके साथ बिताए विभिन्न पलों को याद किया। उन्होंने कहा कि रेखा सिंह हिन्दी पट्टी की लड़कियों के लिए एक आदर्श थीं। जीवन को अपनी शर्तों पर भरपूर जीया। कठिन बीमारी के बावजूद जिंदगी के प्रति उनकी ललक खत्म नहीं हुई थी। जिंदादिली की जीवंत मिसाल थीं।इस अवसर पर इंदु दा, संजय दास,प्रेम कपूर ,मार्टिना ,सुषमा कुमारी सहित कई उनके चाहने वालों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।