मेवात की संस्कृति , साहित्य और इतिहास पर संगोष्ठी संपन्न

मेवात की संस्कृति , साहित्य और इतिहास पर संगोष्ठी संपन्न

अलवर, 21 फरवरीः कोलकाता की सदीनामा संस्था ने अलवर के राजगुप्ता सभागार में मेवात की संस्कृति, साहित्य और इतिहास पर एक एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजित की । संगोष्ठी के मुख्य अतिथि थे अलवर के जाने माने समाज सेवक इंद्र कुमार तोलानी और शेर मुहम्मद । अध्यक्ष थे डा०जीवन सिंह मानवी , शहर के वरिष्ठ कवि बलबीर सिंह करूण, साहित्यकार भगवानदास मोरवाल एवम् सिद्दीक अहमद मेव। विषय प्रवर्तन किया एमिट के अध्यक्ष जुगमंदिर तायल और सदीनामा के संस्थापक संपादक जीतेन्द्र जितांशु ने। वक्ता थे डा० हरिशंकर गोयल, रेणुका अस्थाना, जुम्मे खां राय , नूर मोहम्मद, गोकुल चंद्र शर्मा और नानक नवीन। कवयित्री राज गुप्ता ने संगोष्ठी का संचालन किया। कार्यक्रम का संयोजन रेणुका अस्थाना ने किया।

अपनी बात रखते हुए सिद्दीक़ अहमद मेव ने कहा दिल्ली के मेहरौली से लेकर अजमेर तक पूरा इलाक़ा मेवात का था। अलवर में आज भी उन्हीं का एक टोला है। मेव का इतिहास यह है कि जो कन्वर्ट हुए वो भारत में रह गए और जो नहीं हुए वो पाकिस्तान चले गए। मेव सामाजिक रूप से एक समृद्ध समाज को लेकर चल रहे हैं जिसमें आज भी अच्छाई है। मैं दुआ करता हूँ कि यह हमेशा बनी रहे ।भगवानदास मोरवाल का वक्तव्य था- मैं उस मेवात का हूँ जहां से तब्लिगी जमात शुरू हुई, पर क्यों हुई ? मुसलमान तो हर जगह हैं तो यहीं इसकी ज़रूरत क्यों पड़ी … मैं एक साहित्यकार हूं । इसलिए मैं किसी भी बात को साहित्य की दृष्टि से देखता हूँ — मुझे अच्छा लग रहा है कि जितेंद्र जीतांशु जैसा व्यक्ति दूर से आकर मेवात पर काम कर रहा है और हम कुछ नहीं कर रहे। हमें भी कुछ करना चाहिए। कहानीकार रेणुका अस्थाना ( सह संपादक- सदीनामा ) ने भगवानदास मोरवाल के उपन्यास “ काला पहाड़ “ पर अपना वक्तव्य दिया ।उन्होंने कहा “ काला पहाड़ “ मेवात के बनते बिगड़ते इतिहास , संस्कृति और राजनीति को लेकर लिखा एक ऐसा उपन्यास है जिसमें गीत हैं , मुहावरे हैं और रिश्तों की महक भी है। जीवन सिंह मानवी ने कहा – मेवात की नयी पीढ़ी स्मृति विहीन है । घर में अलग भाषा, स्कूल में उर्दू या अंग्रेज़ी बच्चे सीख रहे हैं तो क्या है उनके पास याद करने को। इंद्र कुमार तोलानी ने सबको अपनी शुभकामनाएँ देते हुए कार्यक्रम की प्रशंसा की । अपने अध्यक्षीय भाषण में बलवीर सिंह करूण ने अपने जीवन के कुछ सुंदर अनुभव को साझा करते हुए कहा – आज इस कार्यक्रम में आने से मेरे कई भ्रम टूटे । कई नयी बातें जानने को मिली और जो सबसे अच्छी बात यह है कि बहुत समय बाद अलग-अलग विचारों के लोग आज इस कार्यक्रम के कारण एक साथ एक जंगह इकट्ठे हुए हैं । मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि सदीनामा के संपादक जितांशु ने कलकत्ता से यहाँ आ कर मेवात पर यह कार्यक्रम किया , मैं इसके लिए उन्हें बधाई देता हूँ । जयपुर की लेखिका कविता मुखर एवम् शंभु गुप्त ने कार्यक्रम में अपना पर्चा पढ़ा। कार्यक्रम को सफल बनाने में संतराम जी , बिमल चंद्र अस्थाना, राजेंद्र सिंह शर्मा , नानक चंद शर्मा , रघुवीर दयाल जैन , धर्मवीर पाराशर, सुभाष नकड़ा राजेश कृष्ण सिद्ध , हरीश जी , शिव सागर शर्मा, शेर मुहम्मद , नूर मुहम्मद , प्रवेन्दर पंडित .डा० महेश गोथवाल, त्रिलोक चंद्रशर्मा और  डा० सर्वेश जैन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यक्रम में विशेष सहयोग बिमल चंद्र अस्थाना का रहा। धन्यवाद ज्ञापन राज गुप्ता ने दिया।