सभी भाषाओं के प्रति उदार और मानवीय होने की जरूरतः डॉ. शंभुनाथ

सभी भाषाओं के प्रति उदार और मानवीय होने की जरूरतः डॉ. शंभुनाथ

कोलकाता 21 फरवरी। सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा विश्व मातृभाषा दिवस के  अवसर पर कविता पाठ का आयोजन किया गया। इसमें देश के अलग-अलग राज्यों के साथ-साथ नेपाल से भी कवियों ने हिस्सा लिया। स्वागत वक्तव्य देते हुए मधु सिंह ने कहा कि मातृभाषा दिवस का संबंध सिर्फ अभिव्यक्ति और ज्ञान का मामला नहीं है बल्कि यह हमारी पहचान और संस्कृति का हिस्सा है। यह दिवस मातृभाषाओं के सम्मान के साथ परस्पर सृजन एवं संवाद का भी दिन है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मिशन के अध्यक्ष डॉ शम्भुनाथ ने कहा कि हिंदी मातृभाषा की अड़तालीस माताएं हैं। हमें सभी भाषाओं के प्रति उदार और मानवीय होने की जरूरत है।आज एक मंच पर तमाम भारतीय भाषाओं के कवियों का काव्यपाठ ही भाषा की संस्कृति है। इस अवसर पर सेराज खान बातिश (हिंदी), अंजुमन आरा (उड़िया), रावेल पुष्प (पंजाबी), सुमन पोखरेल (नेपाली), परवेज अख़्तर (उर्दू), अयाज खान (उर्दू), अभिजीत सेनगुप्त( बांग्ला), श्यामाचरण हेम्ब्रम (संथाली), हिमाद्रि मिश्र (मैथिली), जीवन सिंह (भोजपुरी), सुनीता करोथवाल (हरियाणवी) और सत्येंद्र कुमार (मगही) ने अपनी कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का सफल संचालन सूर्यदेव रॉय और धन्यवाद ज्ञापन  देते हुए संजय जायसवाल ने कहा कि सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन का यह मंच तमाम भारतीय भाषाओं के लिए एक पुल की तरह है जहां सभी आकर एक दूसरे से मिलते हैं और एक सृजनात्मक संवाद करते हैं। इस अवसर पर उदयराज सिंह,रामनिवास द्विवेदी, प्रो. रामप्रवेश रजक,आदित्य गिरी सहित बड़ी संख्या में साहित्य एवं संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे ।