विश्व भर में बढ़ रही है जूट निर्मित वस्तुओं की मांग
बैरकपुर, 30 दिसंबरः डॉ. गौरांग कर, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिजैफ ने कहा है कि अपने आस-पास के परिवेश को स्वच्छ रखना हमारी जिम्मेदारी है। हमारे स्वस्थ्य के लिए भी स्वच्छता जरूरी है। पटसन औकर किसानों के हित में काम करने वाला उनका संस्थान पर्यावरण प्रदूषण दूर करने में भी अहम भूमिका निभाता है। प्लास्टिक से फैलने वाले प्रदूषण को खत्म करने में उनका संस्थान अहम भूमिका निभा रहा है। पर्यावरण प्रदूषण खत्म करने के लिए विश्व भर में जूट की मांग बढ़ रही है। डॉ. कर शुक्रवार को भाकृअनुप-क्रिजैफ परिसर में आयोजित स्वच्छता पखवाड़ा के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक से बढ़ते हुए प्रदूषण को देखते हुए प्रशासन ने उसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। प्लास्टिक की जगह लोगों को जूट निर्मित थैलों का इस्तेमाल करना चाहिए। क्रिजैफ दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएं तैयार करने के लिए किसानों को प्रशिक्षण देता है जिसमें महिलाएं भी शामिल होती हैं। उन्होंनों कहा कि मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए किसानों को प्लास्टिक और रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता पखवाड़ा लोगों को जागरूक करने के लिए आयोजित किया जाता है। लेकिन यह एक दिन का काम नहीं है। आम लोगों को और किसानों को स्वस्छता अपने व्यवहार में लाना होगा। डॉ. कर ने इस मौके पर खुद अपने सहकर्मियों और क्रिजैफ के अन्य कर्मियों के साथ झाड़ूं लगाकर सफाई अभियान का नेतृत्व किया।
भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय पटसन एवं समवर्गीय रेशा अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने उच्च कृषि आय के लिए प्लास्टिक की जगह प्राकृतिक रेशा का उपयोग करने और स्वच्छ और हरित भारत बनाने के लिए किसान दिवस और जागरूकता अभियान का आयोजन किया था। भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय पटसन एवं समवर्गीय रेशा अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर एक प्रमुख संस्थान है जो पटसन आधारित पर्यावरण-कृषि को बढ़ावा देने और कृषि अपशिष्ट के पर्यावरण के अनुकूल रूपांतरण को धन में बदलने में नेतृत्व प्रदान कर रहा है। पटसन के आर्थिक महत्व के अलावा, संस्थान हरित और टिकाऊ पर्यावरण के प्रति प्राकृतिक रेशों की सकारात्मक भूमिका को उजागर करने पर जोर देता है। इस संदर्भ में, भा.कृ.अनु.प.-क्रिजैफ ने पटसन और अन्य प्राकृतिक रेशों की उन्नत वैज्ञानिक खेती तकनीक का विस्तार करने के प्रमुख उद्देश्य के साथ स्वच्छ और हरित भारत के लिए प्लास्टिक की जगह प्राकृतिक रेशों के उपयोग को बढ़ाने के लिए दिनांक 23दिसम्बर को किसान दिवस और जागरूकता अभियान का आयोजन किया ताकि किसानों को इन फसलों से उच्च आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ प्राप्त हो सके ।
श्री सौरव बारिक, एस.डी.ओ., बैरकपुर ने मुख्य अतिथि के रूप में इस अवसर की शोभा बढ़ाई और हरे और स्वच्छ वातावरण के लिए किसानों और समाज के हर वर्ग के लोगों के बीच पटसन की फसल और पटसन आधारित उत्पादों को लोकप्रिय बनाने में भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय पटसन एवं समवर्गीय रेशा अनुसंधान संस्थान (क्रिजैफ), बैरकपुर के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने प्लास्टिक से उत्पन्न कई समस्याओं पर भी प्रमुख चिंता व्यक्त की और किसानों से फसल को “सुनहरे रेशा” के रूप में फिर से स्थापित करने के लिए बड़े पैमाने पर पटसन उगाने का आग्रह किया। श्री बारिक ने ज़ोर देकर कहा कि उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी को अपनाने के बाद निश्चित रूप से किसान की उत्पादकता और आय में वृद्धि होगी और कृषि समुदाय से उत्पादकता और आय में वृद्धि के लिए उन्नत, वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने का आग्रह किया।
किसानों ने भाकृअनुप-क्रिजैफ द्वारा पटसन की खेती के विकास के लिए निर्मित फाइबर संग्रहालय, प्रदर्शनी हॉल, इन-सीटू पटसन रेटिंग तालाब आधारित एकीकृत फ़ार्मिंग मॉडल, कंपोस्टिंग इकाइयों और उन्नत कृषि मशीनरी का दौरा किया। किसान-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रमों में वैज्ञानिकों ने पटसन की नई किस्मों, एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन (आई.एन.एम.), एकीकृत कीट प्रबंधन (आई.पी.एम.), कृषि मशीनरी और सड़न तकनीकों के बारे में जानकारी साझा की। पटसन की टिकाऊ खेती के लिए किसानों के बीच नए उन्नत बीज, जैव नियंत्रण एजेंट, वनस्पति कीटनाशक और छोटे कृषि उपकरण भी वितरित किए गए। इस किसान दिवस में 200 से अधिक किसान, वैज्ञानिक, स्वयं निर्भर गोष्ठी (एस.एच.जी.) और कृषक उत्पादन संगठन (एफ.पी.ओ.) के सदस्य उपस्थित थे। क्रिजैफ परिसर में सफाई अभियान के साथ 30 दिसंबर को स्वच्छता पखवाड़ा संपन्न हुआ।