आप आज में जीते हैं या कल में!

आप आज में जीते हैं या कल में!

हम भ्रम से बचने के लिए क्या-क्या नहीं करते हैं। कौन ऐसा है जिसको भय नहीं लगता। लोग तो ट्रकों में, कारों में भगवान की फोटो लगाते हैं ताकि हमारी रक्षा करना। क्यों रक्षा करना ? क्या आपने प्लान बनाया हुआ है एक्सीडेंट करने का! भय होता है लोगों को! संशय होता है। आप क्या हैं ? जिस मिट्टी पर आप बैठे हैं उसी के आप बने हैं। जिस मिट्टी को आप साबुन से धोते हैं अपने शरीर से, उसी के आप बने हुए हैं और उसी मिट्टी से आपको नफरत है। जो जवान हैं उनको इसकी परवाह नहीं है। जो वृद्ध हैं उनको अच्छी तरीके से मालूम है। ऐसा जैसा अब मालूम है, ऐसा पहले कभी मालूम नहीं था। दो दीवार हैं। एक दीवार से आये और एक दीवार से जाना है और बीच में है आपकी जिंदगी। कहाँ से आये किसी को नहीं मालूम और कहाँ जायेंगे ये भी किसी को नहीं मालूम। दो दीवारों के बीच में है आपका खेल। इन दो दीवारों के बीच में हैं आपके रिश्ते, आपके दोस्त, आपका सुख, आपका दुःख, आपकी चिंताएं सब इन दो दीवारों के बीच में है। हमें जो समय मिला है उस समय में हम इन दो दीवारों के बीच के बारे में नहीं सोचते हैं। सोचते हैं कि दीवार के उस तरफ क्या है! ये सोचने का कोई फायदा नहीं है। क्योंकि वो तो होना ही है। दूसरी दीवार है और उसके नजदीक आ रहे हैं, आ रहे हैं और कुछ नहीं कर सकते। कुछ नहीं कर सकते हैं वो आएगी। वो दीवार आएगी और जब आएगी आप चले जायेेंगे। यही होता है।

कहां फंसे हुए हैं सब लोग! अपनी-अपनी धारणाओं में — मुझे ये चाहिए, मेरे साथ ये होना चाहिए। परिवार में लोग क्लेश करते हैं। लोग एक-दूसरे से क्लेश करते हैं। पड़ोसी एक-दूसरे से क्लेश करते हैं। उसके पास ये है, मेरे पास नहीं है। अगर आप सौ साल भी जियें तो उसके 36,500 दिन ही बनते हैं। 36,500 दिन बस। जब सौ साल जियें तब और वह आसान नहीं है।

जबतक हम अपनी आंखें खोलकर देखेंगे नहीं कि सच्चाई क्या है। सच्चाई बुरी नहीं है, सच्चाई अच्छी है। पर बात है आज की और कल की। आप कहाँ हैं   – आज में या कल में!  आपका ध्यान आज में जाता है या कल में जाता है। कल में रहंेगे तो आज गया। और अगर आज में रहेंगे तो कल गया। एक ने जाना है। दोनों में रहेंगे तो न आज होगा, न कल होगा ठीक ढंग से। क्या चाहिए आपको — आज या कल?

जो बिज़नेस वाले हैं सब कल में फंसे हुए हैं। जो स्टूडेंट्स हैं वो कल में फंसे हुए हैं। सब कल का चिंतन करते हैं। कल ये होगा, कल वो होगा। कल ये करेंगे, कल वो करेंगे। सारी जिंदगी हमने यही पाठ पढ़ा है — कल का। फिर कोई संत आते हैं और कहते हैं आज में भी ख्याल करो। आज को भी पकड़ो। हम कहते हैं क्या मतलब है आज का। हम तो कल के लिए जीते हैं। वो समझाते हैं कि आप कल के लिए जीते हैं पर कल है ही नहीं। आप जीते हैं किसके लिए ? किसी चीज के लिए नहीं। कल कभी नहीं आ सकता है। कल अगर आएगा तो आज बनकर आएगा जो आज है। कल नहीं है, परन्तु हमारा ध्यान आज को छोड़कर के कल में जाता है, जो कल है ही नहीं।

जब हम दूसरी दीवार तक पहुंचने लगते हैं तो ऐसा लगता है कि अभी तो जीवन को ठीक तरह से जिया ही नहीं। यह तो बहुत जल्दी हो गया। हकीकत यह है कि सचमुच में आप नहीं जीये। क्योंकि कल में रहे, आज को छोड़ दिया। आज में अगर होते तो जीते। जो आज में जीता है, उसको ये संकोच नहीं कि ये बहुत जल्दी हो गया। जो आज में जीता है वह हर क्षण के लिए अपने जीवन में आभारी है और उसे आभार प्रकट करने के लिए कोई संकोच नहीं है।

आपके अंदर क्या हो रहा है! यह स्वांस चल रहा है और इस पर ध्यान दीजिये। अगर इस स्वांस में ध्यान लगाएंगे तो अपने बनानेवाले से आपका नाता बनेगा, उसको जानेंगे और उसको पहचानेंगे। अपने आपको जानिये, अपने को पहचानिये। हमको कोई चीज अच्छी चाहिए, तो यह संभव  है। हमारे जीवन में अच्छा हो सकता है। अगर ये हो गया हमारे जीवन के अंदर तो सचमुच में जीवन में आनंद ही आनंद हो जायेगा।

अन्तर्राष्ट्रीय शांतिदूत प्रेम रावत जी पिछले पांच दशकों से से भी अधिक वर्षों से सभी को शांति और मानवता का संदेश दे रहे हैं। शांति के इन प्रयासों के लिए उन्हें बहुत-सारे पुरस्कारों से नवाजा गया और उन्हें 20 से भी अधिक देशों के शहरों की ‘‘चाबियों’’ देकर सम्मानित किया गया। प्रेम रावत जी एक लेखक भी हैं। उनकी किताब ‘‘हियर योरसेल्फ’’ अंग्रेजी एवं अन्य कई भाषाओं में रिलीज़ हुई है और बहुत ही कम समय में यह एक ‘‘बेस्ट सेलर’’ किताब बन गयी है। उन्होंने इस किताब के माध्यम से सरल तरीके से मूल विषय “हृदय की आवाज़ को कैसे सुन सकते हैं“ के बारे में लोगों तक अपने अनुभव को साझा किया है। उन्होंने लाइव इवेंट्स के साथ-साथ टीवी और रेडियो के माध्यम से विश्व के कई देशों में करोड़ों लोगों को संबोधित किया है। उनका संदेश सरल है और सभी मनुष्यों के लिए है, चाहे वे किसी भी सभ्यता व संस्कृति से जुड़े हुए हों। उनके संदेश के संबंध में अधिक जानकारी वेबसाइट www.rajvidyakender.org और www.premrawat.com द्वारा प्राप्त की जा सकती है।