अनवर हुसैन
कोलकाता, 26 अप्रैलः बुधवार को प्रेस क्लब, कोलकाता में प्रो. सैयद अली मुज्तबा की पुस्तक ‘’चेंजिंग नेचर आफ इंडियन स्टेट’’ का लोकार्पण हुआ। मुख्य वक्ता के तौर पर पूर्व नौकरशाह व राज्यसभा के सांसद जवहर सरकार, शिक्षाविद् व अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ ओमप्रकाश मिश्रा, आलिया यूनिवर्सिटी की प्रो. गजाला यास्मिन और प्रेस क्लब, कोलकाता के अध्यक्ष स्नेहाशीष सूर उपस्थित थे। समारोह में वरिष्ठ पत्रकार उत्तम सेनगुप्ता और पूर्व टीवी पत्रकार सादिय अजीम समेत अन्य विशिष्ट व्यक्तियों व बुद्धिजीवियों की गरिमय उपस्थिति रही।
पुस्तक के विषय वस्तु के बारे में जानकारी देते हुए लेखक प्रो. सैयद अली मुज्तबा ने कहा कि इस किताब में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक के कार्यकाल में हुए महत्वपूर्रण घटनाओं पर आधारित अलग-अलग विद्वानों के गंभीर लेख है। पुस्तक नेहरू काल और देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर भी विस्तार से प्रकाश डालती है। अलग अलग विद्वान लेखकों के लेखों से संग्रहित यह पुस्तक पठनीय ही नहीं बल्कि संग्रहणीय भी है। राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों सहित क्षेत्रीय पार्टियों और यहां तक कि देश में मुस्लिम राजनीति पर भी यह पुस्तक गंभीर अध्ययन प्रस्तुत करती है। पुस्तक में संघीय ढांचा में केंद्र और राज्यों के बीच संबंधों का गहन विश्लेषण है। कुल मिलाककर यह पुस्तक आम पाठकों और यहां तक शोधार्थियों के लिए भी उपयोगी है। अमेन पर 50 प्रतिशत छूट के साथ पुस्तक सबके लिए उपलब्ध है।
जवहर सरकार ने कहा कि वर्तमान में बहुमत के जोर पर केंद्र महत्वपूर्ण विध्येयकों को संसद में पारित करा रहा है। यह संसदीय राजनीति के लिए अच्छा नहीं है। किसी भी विधेयक को संसद में पारित कराने से पहले उस पर विस्तृत बहस होनी चाहिए। ओमप्रकाश मिश्रा ने कहा कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के लिए 50 के दशक में गरीबी देश के लिए चुनौती नहीं थी। उनके लिए देश की वैविध्य संस्कृति को बचाए रखना सबसे बड़ी चुनौती थी। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर इस बात को स्वीकार किया था। आज यह बात सच साबित हो रही है। हमारी बहु भाषी, बहु संस्कृति और विविधता वाली साझी संस्कृति पर संकट गहराता जा रहा है। स्नेहाशीष सूर ने कहा कि पंडित नेहरू के राजनीतिक विचार अपने आप में दर्शन है। नेहरू ने ही सबसे पहले देश में सार्वजिनक उपक्रम, आईआईटी, आईआईएम और औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया था। कार्यक्रम का संचालन प्रो. गजाला यास्मिन ने किया। इस मौके पर पत्रतकारिता के छात्र व पत्रकार भी उपस्थित थे।