सिफरी ने किया दक्षिणेश्वर के गंगा घाट में रैन्चिंग कार्यक्रम का आयोजन

सिफरी  ने किया दक्षिणेश्वर के गंगा घाट में रैन्चिंग कार्यक्रम का आयोजन

नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत हुआय आयोजन

कोलकाता, 1 जूनः भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से एक माना गया है इसलिए मछलियों को पवित्र माना जाता है। भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी), बैरकपुर एक मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान है जो मत्स्य प्रजातियों का संरक्षण तथा पुनरुद्धार की दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है। संस्थान का मुख्य उद्देश्य नदी के वर्तमान मत्स्य स्टॉक का पुनरुद्धार, संरक्षण और विकास है जिससे नदी पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित कर इसे अक्षुण्ण बनाया जा सके।

 पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है जो महान संत श्री रामकृष्ण परमहंस और उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद के आध्यात्मिक यात्रा से जुड़ा हुआ है। भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान ने गंगा की मछलियों के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रीय रैन्चिंग कार्यक्रम’-2022 का शुभारंभ किया है जिसके अंतर्गत देश के चयनित राज्यों में इंडियन मेजर कार्प प्रजातियों की रैन्चिंग की जा रही है। इस क्रम में सिफ़री ने दक्षिणेश्वर में दिनांक 31 मई 2022 को एक रैन्चिंग कार्यक्रम’ का आयोजन किया। इस अवसर पर सर्व सबसे प्रथम इस मंदिर की 167वीं स्थापना वर्ष के प्रति सम्मान देते हुए नदी की अविरल धारा और निर्मल धारा के महत्व पर प्रकाश डाला गया। गंगा नदी के निर्मल धारा को बनाए रखने में मछुआरा समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका है जो राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत अर्थ गंगा के उद्देश्यों की पूर्ति के साथ मछुआरों के आजीविका विकास भी करता है।  इस कार्यक्रम में, दक्षिणेश्वर में 5वें रैन्चिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां गंगा नदी में 2 लाख वाइल्ड इंडियन मेजर कार्प प्रजातियों (लेबियो रोहिता, लेबियो कतला और सिरहिनस मृगला) के जर्मप्लाज्म को छोड़ा गया।

 इस कार्यक्रम में श्री बृजेश सिक्का, वरिष्ठ सलाहकार, एनएमसीजी और डॉ संदीप बेहरा, सलाहकार एनएमसीजी के साथ संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारीगण, परियोजनाकर्मी और स्थानीय मछुआरों ने भाग लिया। श्री बृजेश सिक्का ने गंगा नदी के संसाधन क्षेत्रों और मछली विविधता के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. संदीप बेहरा, सलाहकार, नमामि गंगे परियोजना ने मछुआरों को मछली पकड़ने के गैर-पारंपरिक तरीके जैसे विषाक्त तत्वों और महीन जालछिद्र वाले जालों के निषेध के बारे में जागरूक किया। अब तक, नमामि गंगे के इस कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में गंगा नदी में 52 लाख से अधिक इंडियन मेजर कार्प प्रजातियों के अंगुलिकाओं को छोड़ा गया है जिसका लक्ष्य मत्स्य जैव विविधता संरक्षण और गंगा नदी पर निर्भरशील मछुआरों की आजीविका सुनिश्चित करना है।