लेखिका अलगा सरावगी ने किया सात दिवसीय हिंदी मेला का उद्घाटन
प्रसिद्ध रंगकर्मी सुबांती बनर्जी माधव शुक्ल नाट्य सम्मान से सम्मानित
कोलकाता, 26 दिसंबर। हिंदी मेला पिछले 30 सालों से नौजवानों को साहित्य और कलाओं के लिए काम कर रहा है।यह हर कट्टरता के समानांतर सृजन, संवेदना और विवेक का उत्सव है। साहित्य की आधुनिक परंपरा तथा हाशिए की आवाजों की रक्षा 29 वें हिंदी मेला का प्रमुख रुझान है। ये बातें आज सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा आयोजित हिंदी मेला के उद्घाटन सत्र में वक्ताओं ने कही।
उद्घाटन करते हुए कथाकार अलका सरावगी ने अपने अनुभव के आधार पर कहा कि देश में हो रहे लिटेररी फेस्टिवल अब मनोरंजन पार्क में बदल गए हैं। ऐसे में कोलकाता हिंदी मेला आशा की किरण है। इस अवसर पर प्रसिद्ध रंगकर्मी सुबांती बनर्जी को माधव शुक्ल नाट्य सम्मान प्रदान किया गया।
उद्घाटन सत्र का संचालन करते हुए प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि हिंदी मेला सृजन की आवाज है। यह कोलकाता के लेखकों, शिक्षकों और युवाओं के संकल्प का उदाहरण है जो लगातार 29 सालों से चल रहा है। मिशन के अध्यक्ष शंभुनाथ ने कहा कि कोलकाता हिंदी मेला भारतीय संस्कृतियों का आंगन है। यह युवा प्रतिभाओं का अपना मंच है और वे ही इसके मजबूत खंभे हैं।
रामनिवास द्विवेदी ने धन्यवाद देते हुए कहा कि हिंदी मेला नई पीढ़ी निरंतर उज्ज्जवल रूप देगी। इसमें भारत की आत्मा बोलती है।
नाट्य प्रस्तुतियों में स्त्री जागरण के विषयों की प्रधानता थी।
अनिता राय ने संचालन करते हुए कहा कि कोलकाता में विभिन्न कॉलेजों के युवाओं की भारी भागीदारी रंगमंच की संभावनाओं का संकेत है। इस प्रतियोगिता में स्टडी मिशन,खिदिरपुर कॉलेज, विद्यासागर विश्वविद्यालय, कल्याणी विश्वविद्यालय, ऋषि बंकिम चंद्र कॉलेज फार वुमेन,खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज, नैहाटी रंगकर्मी, हाजीनगर आदर्श हिंदी विद्यालय, ग्रुप बालार्क, खड़गपुर साऊथ साइड स्कूल,हमारा प्रयास, संस्कार भारती स्कूल,ऋषि बंकिमचंद्र सांध्य कॉलेज,श्री ज्ञान भाष्कर,नाट्य कलाकार, नाट्य मंजरी, हाजीनगर आदर्श बालिका विद्यालय, सनसाइन अकादमी और सोहनलाल देवरालिया संस्थाओं ने हिस्सा लिया।