वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

सीएसटीटी द्वारा तैयार शब्दावली का अधिक से अधिक प्रयोग करने का आह्वान

अनवर हुसैन

कोलकाता, 24 दिसंबरः कमिशन फार साइंटिफिक एंड टेकनिकल टर्मोलॉजी (सीएसटीटी) की ओर इंडियन स्टेटिकल इंस्टीच्यूट (आईएसआई), कोलकाता में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (21-22 दिसंबर) विशेषज्ञों और दर्जनों प्रतिभागियों की उपस्थिति में गहन विचार मंथन के साथ संपन्न हुई। आयोजक सिमित के तौर पर आईएसआई की लिंग्यूस्टिक रिसर्च यूनिट( एलआरयू) ने संगोष्ठी को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

21 दिसंबर को आईएसआअई के प्लोटिनम जुबली सभागार में एलआरयू के प्रमुख निलाद्री शेखर दास के स्वागत भाषण के साथ संगोष्ठी की शुरूआत हुई जो लगातार दो दिनों तक कई सत्रों में चलकर संपन्न हुई। स्वागत भाषण में आईएसआई की निदेशक संघमित्रा बंद्योपाध्याय ने कहा कि उनका संस्थान भाषा के क्षेत्र में भी अहम योगदान करने के लिए अपनी कार्य क्षमता का विस्तार कर रहा है। बतौर मुख्य वक्ता सीएसटीटी के चेयरमैन गिरिश नाथ झा ने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृ भाषा में शिक्षण प्रशिक्षण पर विशेष जोर दिया गया है। इसे ध्यान में रखकर सीएसटीटी समाज विज्ञान समेत हर क्षेत्र क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली नई शब्दावली तैयार कर ने की दिशा में काम कर रहा है। नए-नए विषयों को ध्यान में रखकर हिंदी समेत अन्य भारतीय भाषाओं में भी वैज्ञानिक व तकनीकी शब्दावली तैयार किए जा रहे हैं। शेल्फी और ई मेल जैसे व्यवहार में आने वाले शब्दों को भी आयोग द्वारा तैयार किए गए शब्दकोश में शामिल कर लिया गया है। आयोग ने अपने पुराने शब्दोकोषों का अद्यतीकरण किया है। नई वैज्ञानिक व तकनीकी शब्दावली पर आधारित 75 परियोजनाओं को मूर्त रूप देने पर काम चल रहा है। श्री झा ने संगोष्ठी में शामिल सभी विशेषज्ञों व प्रतिभागियों से शिक्षण प्रशिक्षण को ध्यान में रखकर लिखी जाने वाली नई पुस्तकों में अधिक से अधिक आयोग द्वारा तैयार शब्दावली का उपयोग करने का अनुरोध किया। अन्होंने कहा कि आयोग राष्ट्रीय स्तर पर इसका प्रचार प्रसार कर रहा है। हिंदी के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में भी सीएसटीटी वेबसाइट तैयार करेगा ताकि स्कूली स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक वैज्ञानिक व तकनीकी शब्दावली सहज रूप से सबके लिए उपलबध हो सके। एक विशेष साफ्टवेयर के माध्यम से इसे सहज रूप से सबको उपलब्ध कराया जाएगा।

सीएसटीटी के सहायक निदेश शहजाद अहमद अंसारी ने कहा कि आयोग शब्दावली तैयार करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा अधिकृत है। नए शब्दों के चयन में लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाने पर ध्यान दिया जाता है। आयोग द्वारा तैयार शब्द पर अगर कोई विशेषज्ञ अपनी राय देता है तो उस पर भी गंभीरता से विचार किया जाता है।

विषय विशेषज्ञ के रूप में जोधपुर राजस्थान के डॉ. दिनेश कुमार गहलोत ने कहा कि सीएसटीटी द्वारा तैयार की गई शब्दावली सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मान्य है। आयोग अंग्रीज शब्दों के लिए हिंदी समेत अन्य देशी भाषाओं में उपयुक्त शब्द तैयार करता है। संदर्भ के अनुसार शब्दों को परिभाषित भी करता है। उन्होंने कैग, इंपीचमेंट और यूनियन जैसे अंग्रेजी शब्दों के लिए हिंदी शब्दावली का उदाहरण देकर विस्तृत रूप से तकनीकी शब्दों की व्याख्या की। रवींद्र भारती यूनिवर्सिटी के राजनीति विभाग के प्रो. विश्वनाथ चक्रवर्ती और आईएसआई के डॉ. संदीप मित्रा ने भी अपने-अपने विषय पर सारगर्भित व्यख्यान दिए।

दूसरे दिन आईएसआई के मनोविज्ञान शोध इकाई के प्रमुख डॉ. देवदुलाल ने मानसिक रोग के निदान में रवींद्र संगीत व अन्य शास्त्री संगीत के प्रभावों का गहन विश्लेषण किया। हिरालाल मजूंदार मेमोरियल कॉलेज फार वीमेन की प्रिंसिपल डॉ. सोमा घोष ने समाज विज्ञान के लिए एक कॉमन शब्दकोष तैयार करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि विज्ञान की तरह समाज विज्ञान भी काफी महत्वपूर्ण है। इसे विज्ञान से कमतर नहीं समझना चाहिए। जीवन के हर क्षेत्र में समाज विज्ञान का प्रभाव है। सीएसयू, एकलव्य कैंपस त्रिपुरा के डॉ. परितोष दास ने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत है। न्यू अलीपुर कॉलेज कोलकाता के डॉ. अनिरुद्ध कर ने भी समाज विज्ञान शब्दों पर विस्तार से प्रकाश डाला। समापन सत्र में एलआरयू की शोध छात्रा पूजा गोराई ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संगोष्ठी के सभी प्रतिभागियों को सीएसटीटी और आईएसआई की एलआरयू की ओर से प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।