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26 दिसंबर से शुभारंभ होगा सात दिवसीय हिंदी मेला

26 दिसंबर से शुभारंभ होगा सात दिवसीय हिंदी मेला

प्रसिद्ध कथाकार अलका सरावगी करेंगी हिंदी मेला का उद्घाटन

प्रो. रवि भूषण और प्रो. मंजुरानी सिंह को कल्याणमल लोढ़ा– लिली लोढ़ा शिक्षा सम्मान

प्रदीप शुक्ला युगल किशोर सुकुल पत्रकारिता सम्मान से होंगे पुरस्कृत

कोलकाता, 15 दिसंबरः 29वें हिंदी मेला में रांची विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रवि भूषण और विश्वभारती, शांतिनिकेतन की प्रो. मंजुरानी सिंह को इस वर्ष का प्रो. कल्याणमल लोढ़ा– लिली लोढ़ा शिक्षा प्रदान किया जाएगा। यह शिक्षा सम्मान कलकत्ता विश्वविद्यालय में स्वतंत्र हिंदी विभाग की स्थापना तथा हिंदी के लिए विपुल कार्य करने वाले अपने समय के लोकप्रिय प्रो. कल्याणमल लोढ़ा और उनकी पत्नी की स्मृति में है। 21 हजार की राशि, शाल और श्रीफल के साथ यह सम्मान हिंदी शिक्षण के क्षेत्र में विशेष योगदान करने वाले एक पश्चिम बंगाल तथा एक बंगाल के बाहर के हिंदी प्राध्यापक को दिया जाता है। आज सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से प्रो. संजय जायसवाल ने भारतीय भाषा परिषद में आयोजित संवाददाता सम्यमेलन में यह घोषणा की। निर्णायक समिति के अध्यक्ष डा. शंभुनाथ थे। ये पुरस्कार श्रीमती
 लिली लोढ़ा के सौजन्य से दिए जा रहे हैं।
2023 के शिक्षा सम्मान से पुरस्कृत प्रो. रवि भूषण ने दीर्घ काल तक रांची विश्वविद्यालय में प्राध्यापन के अलावा विपुल लेखन किया है और उनकी कई पुस्तकें हैं। प्रो. मंजुरानी सिंह ने कुछ समय जालान गर्ल्स कालेज में रहने के बाद रवींद्रनाथ की विश्वभारती में प्राध्यापन किया। वे कला और संस्कृति के क्षेत्र में विशेष रुचि और सक्रियता के कारण जानी जाती हैं। दोनों विद्वानों को स्त्री साहित्य पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के दिन 31 दिसंबर को फेडरेशन हाल में सम्मानित किया जाएगा।
पत्रकारिता के क्षेत्र में  लंबे समय तक योगदान करने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप शुक्ला को इस बार युगल किशोर सुकुल पत्रकारिता सम्मान से पुरस्कृत किया जाएगा। वहीं प्रसिद्ध हिंदी रंगमंच कर्मी सुबांती बनर्जी को माधव शुक्ल नाट्य सम्मान दिया जाएगा।
पिछले लगभग तीन दशकों से चल रहे हिंदी मेला में देश भर से 40 स्त्री कवि-कथाकार और विचारक भाग ले रहे हैं। उनमें प्रमुख हैं कथाकार अलका सरावगी, रोहतक विश्वविद्यालय की प्रो. रोहिणी अग्रवाल, केरल विश्वविद्यालय की प्रो.एस.आर.जयश्री, जेएनयू की प्रो. गरिमा श्रीवास्तव, चर्चित आदिवासी कवयित्री निर्मला पुतुल, दलित लेखिका सुशीला टाकभौरे और शर्मिला बोहरा जालान, सुजाता, पूनम सिंह, प्रो.सुनीता गुप्ता (पटना), अल्पना नायक, डॉ. श्रद्धांजलि सिंह, दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय की पन्ना त्रिवेदी तथा अन्य कई स्त्री रचनाकार और लेखिकाएं। इस बार हिंदी मेला में चर्चा का विषय है- ‘स्त्री साहित्य : नए परिप्रेक्ष्य’। वर्तमान समस्याओं के बीच स्त्री के अधिकारों तथा उसकी समस्त रचनात्मकता पर विमर्श 29वें हिंदी मेला का लक्ष्य है।
स्त्री रचनाकार सम्मिलन के कविता पाठ में भाग लेंगी विभिन्न शहरों से आने वाली निर्मला तोदी, मनीषा झा, श्रद्धा सुनील, गीता दूबे, अनुराधा ओस, ज्योति शर्मा, रंजीता सिंह, चाहत अन्वी, कविता विकास, ज्योति रीता, वंदना गुप्ता, अलका सोनी, शिप्रा मिश्रा, नमिता जैन, नीता अनामिका, रौनक अफरोज, नीतू सिंह भदौरिया, मनीषा गुप्ता, कलावती कुमारी, सुषमा कुमारी।
हिंदी मेला में इस बार पश्चिम बंगाल के 75 से अधिक शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। चित्रकला का इस बार विषय है-‘स्त्री उत्पीड़न और  हिंसाः विविध रूप’। हिंदी मेला हिंदी के स्वाभिमान और सामाजिक जागरण का पर्व है जिसकी प्रतीक्षा कोलकाता, हावड़ा, उत्तर 24 परगना, हुगली के अलावा बर्दवान और आसनसोल क्षेत्र तक के विद्यार्थी करते हैं।
सात दिनों का हिंदी मेला आगामी 26 दिसंबर को शुरू हो रहा है। इसका उद्घाटन प्रसिद्ध कथाकार अलका सरावगी मानिकतला के राममोहन हाल में लघु नाटक मेला के साथ करेंगी। बाकी 6 दिनों का आयोजन पास के फेडरेशन हॉल सोसाइटी में है।
इस बार हिंदी मेले का एक मुख्य आकर्षण विभिन्न भाषाओं के गान पर नृत्य और मल्टीमीडिया काव्य प्रस्तुति है। हिंदी मेला में देश के दूसरे राज्यों के विश्वविद्यालयों के भी विद्यार्थी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। हिंदी मेला विद्यार्थियों और नौजवानों के बीच खासतौर पर लोकप्रिय है और कोलकाता का गौरव है। हिंदी मेला भारत में अपनी तरह का अनोखा है। यह बच्चों, विद्यार्थियों और नौजवानों के बीच साहित्य के लोकप्रियकरण का अभियान है। इसमें पश्चिम बंगाल के विभिन्न कोनों से 3000 से अधिक बच्चे, विद्यार्थी और नौजवान भाग ले रहे हैं। हिंदी मेले का उद्देश्य युवाओं के मन में हिंदी भाषा, साहित्य और उदार भारतीय संस्कृति के प्रति अनुराग पैदा करना है और युवाओं की सृजनात्मक प्रतिभा को प्रकाश में लाना है।
हिंदी मेला हिंदी की अखंडता और भारतीय भाषाओं के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए एक विशिष्ट आवाज है। उल्लेखनीय है कि हिंदी मेला शिक्षकों, लेखकों और साहित्य प्रेमियों के आर्थिक सहयोग के साथ हो रहा है। जमीन से जुड़ा इस तरह का हिंदी मेला अन्य हिंदी राज्यों में भी आयोजित होना चाहिए।इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष डॉ शंभुनाथ, उपाध्यक्ष डॉ अवधेश प्रसाद सिंह,मृत्युंजय श्रीवास्तव,डॉ अनीता राय,संरक्षक श्रीरामनिवास द्विवेदी, संयुक्त महासचिव डॉ राजेश मिश्र एवं प्रो. संजय जायसवाल सहित मिशन के अन्य संस्कृतिकर्मी भी उपस्थित थे।
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