कोलकाता, 23 अप्रैलः भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी) ने आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत “अन्नदाता देवो भव” अभियान के अवसर पर आभासी मोड में दिनांक 23 अप्रैल, 2022 को एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार का विषय था – प्राकृतिक पद्धति द्वारा मछली पालन। राष्ट्र की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में किसानों के योगदान को विशिष्ट तौर पर दर्शाने के लिए भारत सरकार ने इस राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत की है। इस अवसर पर सिफरी ने पर्यावरण संबंधी अखंडता को अक्षुण्ण रखते हुए खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा में मछली किसानों की भूमिका और प्राकृतिक पद्धति द्वारा मछली पालन के महत्व पर प्रकाश डालने के लिए इस वेबिनार का आयोजन किया।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक, डॉ. बि. के. दास, ने ‘प्राकृतिक पद्धति द्वारा मछली पालन’ विषय पर एक व्याख्यान प्रस्तुत दिया। इसके माध्यम से उन्होंने हमारी प्राचीन एवं पारंपरिक कृषि पद्धति के महत्व के बारे में विस्तार से बताया। अपने व्याख्यान में डॉ. दास ने ‘अग्निहोत्र’ पर प्रकाश डाला। अग्निहोत्र एक संस्कृत शब्द है जो दो शब्दों (‘अग्नि’ और ‘होत्र’ अर्थात उपचार) के मेल से बना है। उन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाने में सामुदायिक भागीदारी के महत्व के साथ जलीय पर्यावरण संरक्षण में प्राकृतिक पद्धति द्वारा मछली पालन के लाभ पर प्रकाश डाला। उन्होंने आगे कहा कि प्राकृतिक रूप से पालित मछलियों के आर्थिक रूप से अधिक लाभदायक हैं क्योंकि इसके लिए फ़ीड, उर्वरक या एंटीबायोटिक के लिए लागत की आवश्यकता नहीं होती है। हानिकारक रसायनों से मुक्त ये मछलियां विशेष रूप से बच्चों और रुग्ण व्यक्तियों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं।
इस वेबिनार में 69 वैज्ञानिकों, 17 तकनीकी अधिकारी, 32 छात्रों और 21 किसानों सहित कुल 228 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें से 89 किसानों, मात्स्यिकी महाविद्यालयों के डीन ने ऑनलाइन मोड में भाग लिया। इस वेबिनार का एक सकारात्मक प्रभाव के साथ यह व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर प्राकृतिक मछली पालन पद्धति को प्रोत्साहित करेगा।