प्रथम “बस्तर-भूषण” बने डॉ राजाराम त्रिपाठी

प्रथम “बस्तर-भूषण” बने डॉ राजाराम त्रिपाठी

बस्तर व जनजातीय समुदायों की दीर्घकालिक निस्वार्थ सेवा के लिए मिला सम्मान

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साथी समाजसेवी संस्थान द्वारा राउंड टेबल गुरुकुल के वार्षिकोत्सव एवं बस्तर की विशिष्ट विभूतियों के सम्मान समारोह में पद्मश्री धरमपाल सैनी जी के मुख्य आतिथ्य एवं पद्मश्री हेमचंद मांझी वैद्यराज जी के विशेष आतिथ्य में सुप्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक,जैविक कृषि के अगुआ,ककसाड़ पत्रिका के संपादक, वरिष्ठ साहित्यकार और समसामयिक चिंतक डॉ राजाराम त्रिपाठी को उनके द्वारा बस्तर तथा विशेष रूप से जनजातीय समुदाय विशेषकर वहां की महिलाओं के सर्वांगीण उत्थान के लिए विगत तीन दशकों की दीर्घकालिक निस्वार्थ सेवा, पर्यावरण रक्षा के लिए किए गए प्रयासों तथा कृषि क्षेत्र में निरंतर सफल नवाचारों के सकारात्मक योगदान हेतु प्रथम ‘बस्तर-भूषण’ सम्मान से सम्मानित किया गया।
 इस अभूतपूर्व कार्यक्रम की अध्यक्षता भी डॉ राजाराम त्रिपाठी के द्वारा की गई।
कोंडागांव  कुम्हारपारा के साथी राउंड टेबल गुरुकुल में आयोजित यह दो दिवसीय वार्षिक उत्सव एवं सम्मान समारोह पूर्ण भव्यता एवं गरिमा के साथ संपन्न हुआ। गुरुकुल के बच्चो द्वारा शिक्षको के नेतृत्व में शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बेहतरीन प्रस्तुतियां दी गई, इसी भव्य कार्यक्रम में कोंडागांव जिले के 3 नेशनल अवॉर्ड प्राप्त शिल्पकारों श्री तिजुराम विश्वकर्मा, श्री पंचूराम सागर तथा श्री राजेंद्र बघेल को भी शिल्प शिरोमणि सम्मान से सम्मानित किया गया तथा 2 शिक्षको ठाकुर राजेंद्र सिंह राठौर एवं श्री आर के जैन जी को शिक्षा गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके अलावा बस्तर संभाग की दो महान विभूतियों पद्मश्री धरमपाल सैनी जी को उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए विनोबा सम्मान तथा पद्मश्री हेमचंद मांझी जी को धनवंतरी सम्मान से सम्मानित किया गया।  इस अवसर पर स्वागत भाषण में श्री हरिभाई ने उपस्थित आगंतुकों तथा अभिभावकों का स्वागत किया, डॉक्टर रत्ना वर्मा संस्थापक सदस्य साथी संस्था ने गुरुकुल विद्यालय की वर्तमान स्थिति पर अपने विचार रखे, संस्था अध्यक्ष भूपेश तिवारी ने विद्यालय की 20 वर्षों की यात्रा की जानकारी देते हुए बताया की हमारा विद्यालय बच्चो को सीखने का अवसर देने के साथ साथ उनकी प्रतिभा को तराशने का कार्य करता है उन्होंने विद्यालय की उपलब्धियों, चुनौतियों सहित भविष्य की कार्य योजना की जानकारी दी. कार्यक्रम अध्यक्ष की आसंदी से बस्तर के प्रथम ‘बस्तर-भूषण’ डॉ राजाराम त्रिपाठी जी ने साथी संस्था के बारे में बताया की  मैने जब अपनी बैंक की जॉब छोड़ी तो उस दौर में मुझे भाई भूपेश तिवारी और उनके साथियों से बड़ी सकारात्मक प्रेरणा मिली। डॉक्टर त्रिपाठी ने अपनी संघर्ष यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि कैसे वे  अपने गांव ककनार से रोज 50 किलोमीटर साइकिल चलाकर जगदलपुर पढ़ने जाते थे और नौकरी छोड़ने के बाद समाज सेवा के कार्य में तरह तरह के मुश्किल हालातो का सामना करना पड़ा, पर उन्होंने अपनी जिद नहीं छोड़ी।
       सभी अतिथियों ने बच्चो द्वारा लगाई गई अनूठी कला, शिल्प व विज्ञान प्रदर्शनी का अवलोकन किया एवं बच्चो का उत्साह वर्धन भी किया।कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य प्रभा कुंभकार ने सभी का आभार व्यक्त किया, कार्यक्रम का आकर्षक संचालन अंचल की लोकप्रिय उद्घोषिका वरिष्ठ साहित्यकार मधु तिवारी एवं संतोष तिवारी के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में स्थानीय वरिष्ठ शिल्पकारों , कलाकारों , साहित्यकारों, गणमान्य हस्तियों के अलावा देश के भागों से भी पधारी विभूतियां  शामिल हुईं।