आदिवासियों के (PVTG) के उत्थान के लिए 25 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी सरकार

आदिवासियों के (PVTG) के उत्थान के लिए 25 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी सरकार

श्री राजेश

कोलकाता, 12 जनवरीः आदिवासी समाज के विकास के लिए भारत सरकार ने 25 हजार करोड़  रुपए खर्च करने की योजना बनाई है। लेकिन आर्थिक सामाजिक रूप से पिछड़े आदिवासी समाज (ST) के अंतिम व्यक्ति के तक इस योजना का लाभ कैसे पहुंचेगा, यह स्पष्ट नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2023 में 18 राज्यों में फैले 75 आदिवासी समूह  Particularly Vulnerable Tribal Groups (PVTGs) के उत्थान के लिए 25 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की है। लेकिन इस योजना को सफलता पूर्वक लागू करने के लिए कोई ठोस तंत्र नहीं है। आजादी के 75 वर्षों में आदिवासियों के विकास के लिए दर्जनों सरकारी योजनाएं तैयार की गई। लेकिन उनकी स्थिति में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ। आदिवासियों की संख्या के आधार पर दो अलग राज्य झारंखड और छत्तीसगढ़ भी अस्तित्व में आय़ा लेकिन विकास की रोशनी आदिसियों की अंधरी झोपड़ी तक नहीं पहुंच सकी। आज स्थिति यह है कि 18 राज्यों में 75 आदिवासी समूह  Particularly Vulnerable Tribal Groups (PVTGs) के रूप में चिन्हित किए गए है जिनकी आबादी 28 लाख के करीब है।

अब केंद्र सरकार उनके सामाजिक और आर्थिक उत्थान को लेकर हरकत में आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीवीटीजी को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अन्य कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की है जिसमें प्रधानमंत्री वनधन विकास योजना(PMVDY) और प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान(PM-JANMAN) मुख्य है।

पीएमवीडीवाई के तहत  (Non Timber forest product( NTFP) जंगलों से संग्रह कर उसे बाजार में पहुंचाने और उसका उसका उचित मूल्य आदिवासियों तक पहुंचाने की योजना बनाई गई है। मानव वैज्ञानिक व इंडियन इंस्टीच्यूट फार बायो सोशल रिसर्च एंड डेवलपमेंट (इबराड) के चेयरमैन श्री भगवान राय ने बातचीत में कहा कि फूल, पत्ते और महूआ समेत 300 से अधिक वन्य सांग्रियों का चयन किया गया है जिसकी बाजार में काफी मांग है। इन सामग्रियों को जंगल से कुशलता पूर्वक संग्रह कर बाजार तक पहुंचाने के लिए उनकी संस्था इबराड ने प्रशिक्षण देने का काम शुरू किया है। इबराड आदिवासी बहुल क्षेत्रों में इस योजना को सफल बनाने के लिए मार्केटिंग का गुर भी सिखाएगा। 15 आदिवासी सदस्यों को लेकर स्वयं सहायता समूह (Self help group)  बनाकर 500 वन धन केंद्र तैयार कर इस योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान(PM-JANMAN) के तहत पीवीटीजी प्रभाव वाले 22000 गांवों में विकास कार्य तेज किया जाएगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इन गांवों में करीब 5 लाख पक्के घर बनाएं जाएंगे। निकटवर्ती कसबों से गांवों को जोड़ने के लिए 8000 किलो मीटर रोड तैयार किया जाएगा। गांवों में 1000 चलायमान स्वास्थ्य इकाइयां संचालित की जाएंगी। 2500 आंगनबाड़ी केंद्र तैयार किए जाएंगे। करीब 3000 गांवों में मोबाइल टावर भी लगाएं जाएंगे ताकि आदिवासी बहुल क्षेत्रों में संचार सुविधा भी उपलब्ध हो सके। आदिवासियों के लिए 24104 करोड़ रुपए की इस योजना में केंद्र की भागीदारी 15336 करोड़ और संबंधित राज्यों की भागीदारी 8768 करोड़ रुपए की होगी। योजना को मूर्त रूप देने का काम आदिवासियों के हित में काम करने वाले संबंधित मंत्रालयों और सरकारी विभागों का होगा। कुछ एनजीओ और शोध संस्थान भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाएंगे।