पीवीटीजी (PVTG) के 28 लाख आदिवासियों के समक्ष अस्तित्व का संकट

पीवीटीजी (PVTG) के 28 लाख आदिवासियों के समक्ष अस्तित्व का संकट

अनवर हुसैन

कोलकाता, 29 दिसंबरः भारत में करीब 18 राज्यों में फैले 75 आदिवासी समूह  Particularly Vulnerable Tribal Groups (PVTGs) का अस्तित्व संकट में है। इनकी आबादी 28 लाख के करीब है। आपको जानकर आश्चर्य होगा पीवीटीजी की यह आबादी दुनिया में कम आबादी वाले कुछ उन्नत देशों से कई गुणा ज्यादा है। शुद्ध प्राकृतिक परिवेश और जंगल झाड़ियों के बीच वास करने के बावजूद वे कृषि कार्य के तरीकों से अनभिज्ञ हैं। आजादी के 76 वर्षों बाद देश के विभिन्न आदिवासी बहुल क्षेत्रों में फैले लगभग 28 लाख की आबादी मूलभूत सुविधाओं जैसे स्वास्थ, शिक्षा, खाद्य और आजीविका से लगभग वंचित है। जब वे भोजन के लिए अन्न पैदा करने के तरीकों से अनजान है तो उनकी आर्थिक सामाजिक स्थिति की बात करना बेमानी है।  कहने को तो देश में आदिवासी मामलों का मंत्रालय है जिसके पास आदिवासी बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए भारी भरकम बजट है। इसके अतिरिक्त ढेर सारे एनजीओ आदिवासियों के हित के लिए बीहड़ क्षेत्रों में काम करने का दावा करते रहते हैं। इसके बावजूद भारत के 18 राज्यों में करीब 75 आदिवासी समूहों का अस्तित्व खतरे में हैं तो इस पर सवाल उठना लाजिमी है। जंगल झाड़ियों के बीच रहने वाली इतनी बड़ी आबादी को यदि समय रहते संकट से उबारने का प्रयास नहीं किया गया तो प्राकृतिक मनोरम वादियों की गोद में पलने वाली एक प्राचीन मानव जाति विलूप्त हो जाएगी।

प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक देश भर में जिन 75 आदिवासी समूहों का अस्तित्व संकट में है उसमें सबसे अधिक ओड़िसा में 15 है। आंध्र प्रदेश में 12, बिहार और झारखंड में 9, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में 7, तमिलनाडू में 6, केरल में 5 और गुजरात में 5 है। पीवीटीजी की कम संख्या वाले राज्यों में महाराष्ट्र (3) पश्चिम बंगाल (3) कर्नाटक (2) और उत्तराखंड (2) है। वहीं राजस्थान, त्रिपुरा और मणिपुर में एक-एक पीवीटीजी हैं। इनकी कुछ संख्या केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार में भी है। अनुसूचित जनजाति( एसटी) में इन 75 आदिवासी समूहों की स्थिति बद से बदतर है।

मानव वैज्ञानिक व इंडियन इंस्टीच्यूट आफ बायो-सोशल रिसर्च( इबराड) के चेयरमैन प्रो. एसबी राय ने कहा कि देश के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में 75 पीवीटीजी के बदहाल स्थिति में होने की जानीकारी मिली है। केंद्र सरकार ने आदिवासियों के हित में काम करने वाले संबंधित मंत्रालयों, सरकारी विभागों, कुछ एनजीओ और शोध संस्थानों से संपर्क कर पीवीटीजी की स्थिति में सुधार लाने की योजना बनाई है। संकट से जूझ रहे इन आदिवासी समूहों की अस्तित्व रक्षा के लिए इबराड ने भी सरकार को अपना ठोस सुझाव देने का निर्णय किया है। श्री राय ने कहा कि देश भर में आदिवासी समूहों की लगभग 600 जातियां है। पीवीटीजी के तौर पर जिन 75 जातियों की पहचान की गई है वे ससबसे प्राचीन मानव जातियों में से हैं। यदि एक प्राचीन मानव जाति विलूप्त होने के कगार पर हो तो यह आधुनिक मानव सभ्यता के लिए सबसे चिंता का विषय है।