भारत के किसान राजाराम त्रिपाठी को भारतरत्न क्यों मिलना चाहिए?

भारत के किसान राजाराम त्रिपाठी को भारतरत्न क्यों मिलना चाहिए?

यशवंत सिंह 

देश के प्रथम किसान का आज जन्मदिन है.
प्रथम किसान इसलिए कहता हूं क्योंकि खेती-किसानी में सर्वाधिक नवाचार का जनक है ये किसान.
खेती-किसानी को आर्थिक समृद्धि के अत्याधुनिक मॉडल की तरफ ले गया है ये किसान.
खेती-किसानी को एक्सपोर्ट, हर्बल और मेडिसीन फील्ड से कनेक्ट करने में कामयाब हुआ है ये किसान.
खेती किसानी में देश में पहली बार हेलीकाप्टर का इस्तेमाल करने जा रहा है ये किसान.
खेती-किसानी से आम किसानों के जीवन में बदलाव का वाहक बना है ये किसान.
खेती-किसानी में अपने दर्जनों प्रयोगों का पेटेंट हासिल कर भारत का मस्तक उंचा करने में कामयाब हुआ है ये किसान.
तो ऐसे प्रथम किसान राजाराम त्रिपाठी को आज जन्मदिन की ढेरों बधाई.
मैं हमेशा कहता हूं कि भारत रत्न जैसे एवार्ड के असली हकदार राजाराम त्रिपाठी जैसे लोग हैं. लेकिन इन्हें खुद की ब्रांडिंग, लाबिंग करना पसंद नहीं. इसके लिए वह मेहनत से अर्जित धन लुटाने को तैयार नहीं. वह ब्यूरोक्रेसी को मक्खन लगाने के लिए उत्सुक नहीं. वह नेताओं सरकारों की जैजै करने के लिए राजी नहीं. तो भारत रत्न इन्हें भला क्यों मिले.
लेकिन जो सच्चे भारत रत्न होते हैं वे किसी भारत रत्न अवार्ड के भूखे नहीं होते. वे जनता के प्यार पर जीते हैं. राजाराम त्रिपाठी जी बस्तर के जिस कोंडागांव इलाके में रहते हैं, वहां कदम कदम पर लोग उन्हें जानते पहचानते और सलाम करते हैं. इसके पीछे उनकी वर्षों की तपस्या है. वे देश भर के किसानों के कई बड़े छोटे संगठनों के अगुवा हैं. उन्हें देश का छोटा बड़ा हर एक किसान नेता जानता है. खेती किसानी में प्रयोगों को जीने वाला देश भर का प्रगतिशील किसान उन्हें श्रद्धा से प्रणाम करता है.
राजाराम जी सरकार की कृषि नीतियों की खामियों के कटु आलोचकों में से रहे हैं. वे बुरे को बुरा मुंह पर कह देते हैं. वे खेती किसानी से जुड़ी सरकारी बैठकों में नौकरशाहों के मुंह पर उनकी अज्ञानता की गांठें परत दर परत खोल देते हैं जिससे वे सब तुनक जाते हैं.
तो ऐसे औघड़ व्यक्तित्व वाले किसान को भारत रत्न दिए जाने का रिकमेंडेशन भला कौन सरकार कौन नेता कौन मंत्री कौन अफसर करेगा…
लोक जीवन और लोक संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु ढेर सारी साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के हिस्सा राजाराम त्रिपाठी जी हम लोगों के दौर के एक एसेट हैं. इन्हें संभाल कर संजो कर रखा जाना चाहिए. वे समाज और सरकार को राह दिखाने वालों में से हैं. वे कई पत्र पत्रिकाओं के संपादक भी हैं. इनके अनुभवों, इनके ज्ञान, इनके विजन का लाभ उठाना चाहिए. लेकिन आज के आत्ममुग्ध और रंगरोगन वाले दौर में जो जेनुइऩ लोग हैं, उनकी पर्याप्त कद्र कहां कौन करता है. हर कोई तो अपने ही प्रमोशन में लगा है.
मेरी तरफ से बड़े भाई आदरणीय राजाराम त्रिपाठी जी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं….
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा मीडिया के विशेषज्ञ विश्लेषक हैं तथा भड़ास मीडिया के प्रमुख हैं।)