मछली के विपरण में स्वास्थ्यकर परिवेश जरूरीः डॉ. बिके दास

मछली के विपरण में स्वास्थ्यकर परिवेश जरूरीः डॉ. बिके दास

कोलकाताः आसीएआर- सेंट्रल इनलैंड फीसरीज रिसर्च इंस्टीच्यूट( ICAR-CIFRI), बैरकपुर के निदेशक डॉ. बिके दास ने कहा है कि मछली के उत्पादन में पश्चिम बंगाल देश का रोल मॉडल बन सकता है। मछली के विपरण में यहां ढांचागत सुविधा विकसित करने के साथ स्वास्थ्यकर स्थितियों पर ध्यान देने की जरूरत है। देश के सबसे पुराना हावड़ा मछली बाजार में ढांचागत सुविधाएं विकसित करने पर सरकार जोर दे रही है। हावड़ा थोक मछली बाजार में नवाचार व त्रिस्तरीय स्वास्थ्यकर ढांचागत सुविधाएं विकसित करने की योजना पर काम चल रहा है। डॉ. दास ने सोमवार को सिफरी सभागार में मत्स्य विपरण( हावड़ा थोक मछली बाजार) में ढांचागत सुविधा विकसित करने की जरूरत व आधुनिक मत्स्य विपरण व्यवस्था पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में यह बातें कही। सिफरी ने राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद, नई दिल्ली और पश्चिम बंगाल के मत्स्य विभाग के सह योगदान से एक दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण का आयोजन किया था।

डॉ. दास ने कहा कि मछली के विपरण में सभी मछली विक्रेताओं, मछुआरों और संबंधित हितधारकों को जागरूक करना होगा। मछली के विपरण के लिए एक स्वस्थ्य प्रणाली विकसित करने की जरूत है। देखा जाता है कि जहां-जहां फुटपाथ किनारे भी मछली विक्रेता बैठते हैं। सुव्यस्थित तरीके से मछली के विपरण करने से खरीददार उसे कुछ अधिक मूल्य पर भी खरीद सकते हैं। फुटपाथ के किनाारे और जहां तहां मछली विक्री करने वाले को अच्छा दाम नहीं मिलेगा। इसलिए कि ऐसे जगहों पर गरीब लोग ही जाते हैं और कम दाम में खरीदना चाहते हैं। पोषण की दृष्टि से देखा जाए तो मछली में प्रोटिन और कार्बोहाइड्रेट समेत अन्य कई खनीज तत्व पाए जाते हैं। भोजन की पूर्ति में मछली का भी महत्वपूर्ण स्थान है। बंगाली समाज में विभिन्न अवसरों  भोजन मेंं मछली को शामिल करना शुभ माना जाता है। स्वास्थ्यकर रूप से मछली के विपरण करने के लिए सभी को जागरूक करना होगा। मत्स्य पालन से लेकर मछली विपरण  से जुड़े सभी लोगों को इस काम में आगे आना होगा।

राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद, कोलकाता के उप निदेशक सुमन माइती ने स्वागत भाषण दिया। राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद, नई दिल्ली के ( कृषि व्यवसाय समूह) के निदेशक एसपी सिंह ने मत्स पालनलन में कृतिम मेधा(एआई) के इस्तेमाल पर विशेष रूप से प्रकाश डाला। पश्चिम बंगाल सरकार के मत्स्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. उत्पल कर ने भी मत्सय पालन, विपरण और उत्पादन बढ़ाने पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्य़शाला में राज्य के विभिन भागों से 250 से अधिक लोगों ने भाग लिया जिसमें त्स्य पालक, थोक मछली विक्रेता और खुदरा विक्रेता समेत अन्य हितधारक शामिल थे।