किसानों के पास पहुंचानी होगी पटसन की उन्नत किस्मेः डॉ. गौरांग कर

किसानों के पास पहुंचानी होगी पटसन की उन्नत किस्मेः डॉ. गौरांग कर

बैरकपुर, 5 मार्चः सेंट्रल रिसर्च फार जूट एंड एलायड फाइबर (क्राइजैफ) के निदेशक डॉ. गौरांग कर ने कहा है कि किसानों के पास पटसन की कम से कम 4-5 उन्नत किस्मे अवश्य पहुंचानी होगी। किसान जानकारी के अभाव में अक्सर एक ही किस्म के पटसन की खेती करते हैं। किसानों को क्राइजैफ द्वारा विकसित सोना बीज के बारे में जानकारी देनी हेगी। साथ ही पटसन की विभिन्न उन्नत किस्मों का इस्तेमाल कर उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करना होगा। पटसन का उत्पादन बढ़ाने में नई तकनीक की भी मदद लेनी होगी। डॉ. कर ने शनिवार को पटसन की खेती में आधुनिक कृषिजनित अभ्यास विषय पर आयोजित सम्मेलन में यह बातें कही। आईसीआर-क्राइजैफ, नेशनल जूट बोर्ड और भारतीय जूट निगम की ओर से संयुक्त रूप से जूट-आईकेयर योजना के तहत सम्मेलन का आयोजन किया था। सम्मेलन में पटसन से संबंधित सभी एजेसिंया और संबंधित विभागों के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी उपस्थित थे। सम्मलेलन में 100 से अधिक प्रतिनिधयों ने भाग लिया। डॉ. कर ने कहा कि उन्नत रेसा तैयार करने के लिए क्रइजैफ ने विज्ञान अधारित सड़न पद्धति विकसित की है। किसानों को पटसन की खेती में इस आधुनिक सड़न पद्धति से परिचित कराना होगा। इसके अतिरिक्त भी उत्पादन बढ़ाने के लिए कई वैज्ञानिक तरीके इजाद किए गए है। किसान इस शोध संस्थान द्वारा विकसित तकनीक का इस्तेमाल कर लाभान्वित हो सकते हैं।

डॉ. डीबी शकयवर, निदेशक एनआईएनएफइटी ने कहा कि जूट-आईकेयर पटसन विकास से संबंधति एक सफल योजना है। इस योजना को अधिकांश किसानों तक पहुंचाने में सफलता मिली है। कमलेश कुमार, महाप्रबंधक, नाबार्ड ने कहा कि आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर पटसन का उत्पादन बढ़ाना संभव है। नाबार्ड जूट के रेसे का विपणन और किसानों की आय बढ़ाने में वित्तीय सहयोग करने के लिए तत्पर रहता है। सम्मेलन में जूट आयुक्त एमसी चक्रवर्ती, एके जोली, एमडी, जेसीआई और असम की अतिरिक्त सचिव एसथर कथार(पी एंड आरडी) समेत अन्य वक्ताओं ने भी सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त किए।