कोलकाता, 15 जनवरीः डॉ. हिमांशु पाठक, माननीय सचिव, डेयरी एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, ने 15 जनवरी को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- केन्द्रीय पटसन एवं समवर्गीय रेशा अनुसंधान संस्थान (क्रिजैफ),बैरकपुर, कोलकाता का दौरा किया और संस्थान के वैज्ञानिकों,कर्मचारियों एवं पटसन कृषकों को संबोधित किया । साथ-ही उन्होने कोलकाता और उसके आसपास स्थित परिषद के विभिन्न संस्थानों, क्षेत्रीय स्टेशनों के निदेशकों और प्रमुखों के साथ बातचीत की। किसानों, खेतिहर महिलाओं, स्वयं सहायता समूह के सदस्यों और वैज्ञानिकों को अपने संबोधन में उन्होंने कृषि अनुसंधान और तकनीकी विकास में किसानों की भागीदारी पर जोर दिया। डॉ. पाठक ने भाकृअनुप-क्रिजैफ के तकनीकियों के प्रचार –प्रसार, पहुंच,इसके द्वारा उपज, गुणवत्ता में सुधार, खेती की लागत में कमी में उनकी प्रभावशीलता पर किसानों की प्रतिक्रिया पर संतोष व्यक्त किया।
उन्होंने किसानों से पटसन की खेती में सबसे महत्वपूर्ण समस्या सामने लाने और वैज्ञानिकों से चर्चा करने को कहा ताकि किसानों के खेत में ऑन-फार्म प्रयोगों के माध्यम से व्यावहारिक समस्या समाधान तकनीक विकसित की जा सके। माननीय सचिव, डेयरी और महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कुछ प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया और महत्वपूर्ण कृषि आदानों (inputs)का वितरण किया।माननीय महानिदेशक ने भा.कृ.अनु.प.-क्रिजैफ के वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों को अपने संबोधन में बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद संस्थानों को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने और परिषद में शुरू किए जा रहे परिवर्तन को पूरा करने के लिए अपनी गतिविधियों में और अधिक जीवंत होना चाहिए।
उन्होंने किसानों के लिए संस्थान में सृजित नई सुविधाओं यथा –“बिक्री काउंटर” और भाकृअनुप-क्रिजैफ में कृषि विज्ञान केंद्र (के.वी.के.), उत्तर-24 परगना (अतिरिक्त) में “किसान छात्रावास” का भी उद्घाटन किया। उन्होंने संस्थान के नव निर्मित मुख्य-द्वार का भी उद्घाटन किया। “बिक्री काउंटर” का उद्घाटन करते हुए डॉ. पाठक ने कहा कि इस तरह की सुविधा इस संस्थान द्वारा विकसित बीज, औजार, पटसन विविध उत्पादों को प्रदर्शित करने, लोकप्रिय बनाने और बेचने के लिए एक अच्छी पहल है। इससे पहले डॉ. गौरांग कर निदेशक, भाकृअनुप-क्रिजैफ ने गणमान्य व्यक्तियों और अतिथियों का स्वागत किया और संस्थान की उपलब्धियों और राष्ट्रीय विकास के लिए पटसन क्षेत्र को बढ़ावा देने की भविष्य की योजना के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने संस्थान द्वारा व्यावसायीकृत तकनीकों और पटसन रेशे की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार पर इसके प्रभाव के बारे में बताया। डॉ. कर ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि संस्थान ने पटसन क्षेत्र में शामिल सभी हितधारकों की वर्तमान जरूरतों को लक्षित करते हुए अनुसंधान परियोजनाओं को नये ढंग से तैयार किया है। संस्थान ने किसानों द्वारा विकसित और अपनाई गई सभी महत्वपूर्ण तकनीकों का व्यावसायीकरण किया है। उन्होंने किसानों से उनके लिए बनाई गई सुविधाओं का उपयोग करने और अपने समस्याओं के समाधान हेतु संस्थान के वैज्ञानिकों एवं कर्मियों से हमेशा संपर्क में रहने का भी आग्रह किया।इस कार्यक्रम में लगभग ढाई सौ लोगों (किसानों, खेतिहर महिलाओं, स्वयं सहायता समूह सदस्यों, वैज्ञानिकों) ने भाग लिया। कार्यक्रम का समापन अध्यक्ष महोदय के धन्यवाद ज्ञापन के साथ समाप्त हुआ।