नहीं रहे हेमचंद्र सिंह राठौर, ‘ककसाड़’ ने दी श्रद्धांजलि

नहीं रहे हेमचंद्र सिंह राठौर, ‘ककसाड़’ ने दी श्रद्धांजलि

-अनवर हुसैन

बस्तर( छत्तीसगढ़)­। ­हेमचंद्र सिंह राठौर, सबके चहेते  हेम भैय्या विगत रात्रि (08-10-2021) को हम सब को बिलखता छोड़ अनंत यात्रा को निकल गए। आप तिरानवे वर्ष की आयु में भी पूरी तरह फिट थे। आप तपे हुए वरिष्ठ कांग्रेसी, सामाजिक चिंतक, मूर्धन्य लेखक,व जबरदस्त गजलकार थे, हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं के साथ ही हल्बी,गोंडी आदि स्थानीय बोलियों के भी बहुत अच्छे जानकार थे। आपकी रचनाएं “ककसाड़” सहित देश की चोटी के पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं।

“ककसाड़” पत्रिका को तो आपका विशेष स्नेहाशीष प्राप्त था। आप समय-समय पर ककसाड़ के लिए सारगर्भित लेख लिखते रहे हैं। विशेष रूप से ककसाड़ के लिए   केसकाल के इतिहास पर लिखा गया  आपका तथ्यपूर्ण लेख अद्वितीय दस्तावेज है। कुछ समय पूर्व आपका विस्तृत बहुआयामी साक्षात्कार भी ककसाड़ पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। कोंडागांव की  साहित्यिक गोष्ठियों की तो आप जान थे। आप छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद कोंडागांव के सही मायनों में संरक्षक थे। आप की गिनती देश के चोटी के शिकारियों में होती थी। आपने अंचल को कई आदमखोर शेरों के आतंक से निजात दिलाई थी। आपके संस्मरण लेख विशेषकर “शिकार संस्मरण”  बेहद रोचक तथा लोकप्रिय हैं। बस्तर के इतिहास के तो आप चलते फिरते इनसाइक्लोपीडिया थे। आपके जाने के साथ थी बस्तर के इतिहास का एक पन्ना सदा सदा के लिए गुम हो गया है। आपकी कमी  किसी भांति पूरी नहीं की जा सकती।

आपसे हमारी पीढ़ी  ने बहुत कुछ सीखा और उम्मीद है आगे भी नई पीढ़ी आपकी दी गई सीखों व नसीहतों पर चलने की पूरी इमानदारी से कोशिश करेगी। डॉ राजाराम त्रिपाठी,जनजातीय सरोकारों की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका “ककसाड़” , छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद कोंडागांव, मां दंतेश्वरी हर्बल समूह, संपदा समाजसेवी संस्थान,कोंडागांव बस्तर छत्तीसगढ़, एवं हम सब टीम ककसाड़ के सदस्य, कोंडागांव बस्तर के समस्त साहित्यकार,मित्र, परिजन आप को अश्रुपूर्ण हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।