रोजगार मूलक सरकारी योजनाओं से युवाओं को जोड़ने की जरूरतः भूपेंद्र यादव

रोजगार मूलक सरकारी योजनाओं से युवाओं को जोड़ने की जरूरतः भूपेंद्र यादव

नई दिल्ली, 2 अप्रैलः केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि सरकारी योजनाओं में जहां रोजगार की अपार संभावनाएं हैं उससे युवाओं को जोड़ने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोजगार स़ृजित करने और आर्थिक सामाजिक विकास के लिए स्टारर्टअप समेत कई रोजगार मूलक योजनाएं लागू की है। इन रोजगार मूलक योजनाओं से समाज के हर तबके के शिक्षित व मुस्लिम युवाओं को जोड़ने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना होगा। श्री यादव ने शनिवार को इंडियन इस्लामिक कल्चरल सेंटर में इंडियन मुस्लिम फार प्रोग्रेस एंड रिफार्म( इम्पार) द्वारा आयोजित इम्पार लीडरशिप कांफ्रेंस के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्यय अतिथि यह बातें कही। उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज टेक्नोलॉजी के दौर में कोई भी समाज से कटकर अलग थलग नहीं रह सकता। जिनको टेक्नोलॉजी में महारत हासिल है वह समाज में परिवर्तन ला सकता है। आज का युग ज्ञान को साझा करने और एक दूसरे से सहयोग कर आगे बढ़ने का है। जिनके अंदर आगे बढ़ने की व्यक्तिगत क्षमता है उन्हें कोई रोक नहीं सकता। श्री यादव ने इम्पार द्वारा सामाजिक सुधार और विकास के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि पहले भी मुस्लिम समाज में सुधार के गंभीर प्रयास हुए है। सर सैयद अहम खान ने आधुनिक शिक्षा के लिए सुधारात्मक कदम उठाया तब जाकर अलीगढ़ मुसिल्म यूनिर्वसिटी की स्थापना हुई। उन्होंने दावा किया कि पिछले सात वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बिना भेद भाव किए कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया जिसका सीधा लाभ समाज के हर तबके को मिला है। सुधार और उन्नति को वर्तमान समय के संदर्भ से जोड़कर देखा जाना चाहिए। आज जिसके अंदर सहयोग करने और सहयोग लेने की भावना नहीं होगी वह कभी आगे नहीं बढ़ सकता है।

सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हकीकत को समझने के लिए मुस्लिम समाज को अपनी नजरिया बदलनी चाहिए। भारत में बहुत ऐसे मुस्लिम महापुरुष है जिनपर देश को गर्व है। लेकिन खुद मुस्लिम समाज के लोग ऐसे महापुरुषों का नाम लेने की जरूरत नहीं समझते। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजी अब्दुल कलाम से बड़ा कोई वैज्ञानिक नहीं है। रहीम, रसखान, अमीर खुसरो और अलम शेख आदि मुस्लिम कवियों ने गंगा जमुनी तहजीब की अलख जगाई। फिल्मों में कभी साहिर, मजरूह सुल्तानपुरी और कैफी आजमी के गीत सुने जाते थे। ऐसी सख्शियतों पर मुस्लिम समाज को गर्व करनी चाहिए। मुसलमानों पर निष्ठा और विश्वास नहीं करने की धारणा गलत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मेदी ने आसिफ इब्राहिम को आईबी प्रमुख नियुक्त किया था। एक मुस्लिम अधिकारी को सरकार में इतना महत्वपूर्ण पद देने के बाद किसी को शक संदेह की बात नहीं करनी चाहिए। मुसलमानों के आंतरिक धार्मिक मामलों में भारत में किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं है। लेकिन धार्मिक मामलों से अलग के क्षेत्रों में समाज का दृष्टिकोण बदलना होगा।

सांसद जफर इस्लाम ने कहा कि मुसलमानों के पोशाक और रहन सहन को लेकर एक तरह की जो नकारात्मक धारणा बनी है उसे बदलने की जरूरत है। समाज में संस्थागत नेतृत्व क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इम्पार ने सामाजिक स्तर पर सुधार और तरक्की के लिए जो प्रयास शुरू किया है वह सराहनीय है। इस तरह सुधारात्मक और तरक्की पसंद कार्यों से जितना अधिक समाज को जोड़ा जाएगा उतना ही लाभ होगा। इडियन इस्लामिक कल्चरल सेंटर के अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैसी ने भी इम्पार के सुधारात्मक कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इम्पार का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है। मुसलमानों की समस्या सरकार तक पहुंचाने और उसका समाधान निकालने की दिशा में इम्पार एक माध्यम बन सकता है।

दूसरे सत्र में सामाजिक चुनौतियां और पुल बनने की पहल शीर्षक से आयोजित सम्मेलन में ख्वाजा इफ्तखार अहमद, न्यायाधिश जिकउल्ला खान, वरिष्ठ पत्रकार विनित नारायण, लेखिका शिबा असलम फहेमी और डॉ आमना मिर्जा ने अपने बहुमूल्य विचार रखे। इस सत्र का संचालन एबीपी के न्यूज एंकर रोमाना इशार खान ने किया। तरक्की के लिए सुधार विषयक सत्र में पत्रकार कमर आगा और पूर्व आइएएस अधिकारी ख्वाजा शहिद आदि विशिष्ट वक्ताओं ने अपने विचार पेश किए। इस सत्र का संचालन सीएनएन न्यूज 18 के राजनीतिक संपादक मारिया शकिल ने किया।

भविष्य तैयार विषयक निष्कर्ष सत्र में जावेद युनूश, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की कार्यकारी निदेशक खैरुल निसा, नेक्सजेन प्राइवेट लि. के नगम अब्बासी और आसमा हुसैन ने वक्तव्य रखा। इस सत्र का संचालन इम्पार के कार्यकारी निदेशक खालिद अंसारी ने किया।

स्वागत भाषण देते हुए इम्पार के अध्यक्ष डॉ. एमजे खान ने कहा कि कोरोना काल की शुरूआत में तबलीगी जमात को लेकर मीडिया ने जिस तरह नकारात्मक माहौल बनाया और जो अजीबीगरीब परिस्थिति पैदा हुई उससे निजात पाने के लिए एक संस्था के रूप में इम्पार सामने आया। कोरोना के दौरान संस्था ने बहुत अच्छा काम किया और समाज में एक सकारात्मक संदेश गया। दो वर्ष पूरे होने पर इम्पार लीडरशिप कांफ्रेंस का आयोजन हुआ। अब कोरोना टलने के बाद कुछ सकारात्मक करने का अवसर है। इम्पार अधिक से अधिक सामाजिक कार्यों के लिए लोगों के बीच जाएगा। आर्थिक सामाजिक समस्याओं को हल करने तथा शिक्षा व रोजगार को बढ़ाने के लिए इम्पार जिला स्तर पर संस्था का विस्तार करेगा और अधिक से अधिर लोगों को जोड़ने का प्रयास करेगा।