ए नैरो लेन एंड अदर स्टोरीजः आधुनिक भारत की जटिल समस्याओं की पड़ताल करती कहानियां

ए नैरो लेन एंड अदर स्टोरीजः आधुनिक भारत की जटिल समस्याओं की पड़ताल करती कहानियां

पुस्तक समीक्षा

“ए नैरो लेन एंड अदर स्टोरीज” सादिया आज़िम का पहला कहानी संग्रह है, जो आधुनिक भारत के विवादास्पद मुद्दों का गहरा अन्वेषण करता है। सांप्रदायिक तनाव से लेकर हाशिए पर पड़े लोगों के कठोर यथार्थ तक इसकी बारह आधुनिक कहानियां समाजिक उथल-पुथल से जूझ रहे देश के सामान्य जनों के संघर्षों में गहराई तक जाती हैं।
पद्मश्री श्री आनंद कुमार ने  ट्विटर पर इस पुस्तक की तारीफ की और इसे पठनीय बताया है। उन्होंनों आज की ज्वलंत समस्याओं से रूबररू कराते इस कहानी संग्रह को पढ़ने के लिए पाठकों से अनुरोध किया है।
लंबे समय तक मुख्य धारा की टीवी पत्रकारिता में  रह चुकी सादिया की कहानियों में एक अंतर्दृष्टि  है जो लेंस की तरह समज को आइना दिखाने का काम करती है। भारत के ग्रामीण इलाकों में दशकों की रिपोर्टिंग अनुभव और बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में उनकी प्रबंधन शिक्षा उन्हें सूक्ष्म दृष्टिकोण  प्रदान करती है जिसका प्रभाव उनकी कहानियां में दिखता है। इस कथा संग्रह में “वन डे इन दिसंबर” और “द रिफ्यूजी कॉलोनी,” में सादिया आसिफा जैसी एक युवती के मार्फत हाशिए के लोगों की दर्दनाक वास्तविकताओं पर प्रकाश डालती हैं, जो एक व्यस्त शहर के फ्लाईओवर को अपना घर कहती हैं, या फिर एक अनधिकृत बस्ती में जन्मे राणा की कहानी बताती हैं।
लेखिका ने अपने पहले कहानी संग्रह में अपने निर्भीक प्रयासों से सांप्रदायिक दंगे, पूर्वाग्रह और असमानता के बीच गहरी सहानुभूति के साथ संतुलन बनाए रखा है। यह प्रयास उनकी लेखकीय प्रतिभा को  गहराई से प्रतिध्वनित करता है। सादिया के पात्र अद्भूत रूप से प्रामाणिक महसूस होते हैं। उनके संघर्ष स्वयं में विरोधाभासी राष्ट्र के जटिल सामाजिक ताने-बाने को दर्शाते हैं। सादिया की लेखन शैली प्रभावशाली है जो तीव्र गति वाली, स्पष्ट वर्णनात्मक कथाओं के साथ  पाठकों को बांधे रखती हैं। उनकी कथा शैली सामाजिक यथार्थ को उजागर करने के बावजूद राजनीति से परे  मानव की स्वाभाविक स्थिति पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
अंततः “ए नैरो लेन एंड अदर स्टोरीज” एक पठनीय कहानी संग्रह है जो आम भारतीयों के दैनिक जीवन में घुसपैठ करने वाली चुनौतियों की एक झलक प्रदान करता है।
– अनवर हुसैन