”हरिशंकर परसाई का व्यंग्य लेखन मनुष्य की अपराजेयता में विश्वास लाता है”

”हरिशंकर परसाई का व्यंग्य लेखन मनुष्य की अपराजेयता में विश्वास लाता है”

भारतीय भाषा परिषद में हरिशंकर परसाई जन्मशती समारोह

कोलकाता, 26 अगस्तः हरिशंकर परसाई हिंदी व्यंग्य लेखन में भारतेंदु और नागार्जुन के बाद सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उन्होंने हास्य-व्यंग्य को साहित्यिक ऊँचाई दी। उनके लेखन में लोकप्रियता और वैचारिक गहराई दोनों थी। भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनिर्निर्माण मिशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित हरिशंकर परसाई जन्मशती समारोह में वक्ताओं ने यह कहा।
बर्दवान विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व प्राध्यापक श्री गौतम सान्याल ने कहा कि हरिशंकर परसाई को मैं व्यंग्यकार से अधिक लेखक मानता हूँ। लेखक लेखक होता है, उन्हें व्यंग्यकार, कहानीकार, कवि, उपन्यासकार कहकर खंडित नहीं करना चाहिए।  उन्होंने यह भी कहा कि हम किताबों और रचनाओं से एक-दूसरे से परिचित होते थे। आज की तरह लाइक और कमेंट्स से नहीं।
खिदिरपुर कॉलेज की डॉ.इतु सिंह ने कहा कि हरिशंकर परसाई के व्यंग्य समाज की बुराइयों, निठल्लेपन और भ्रष्टाचार पर प्रहार करते थे। उन्होंने अपने अधिकांश रचनाओं में युवाओं को संबोधित किया है और सचेत किया है।
मृंत्युंजय श्रीवास्तव ने कहा कि जबतक व्यंग्य है, अभिव्यक्ति की आजादी है। समारोह के संयोजक प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि हास्य व्यंग्य ऐसे होने चाहिए कि वे मनुष्य को प्रफुल्लित करके जीवन में ताजगी लाएं। परसाई एक बड़े व्यंग्यकार थे।
आज के समारोह में सूत्रधार प्रकाशन, कांचरापाड़ा द्वारा प्रकाशित कुलदीप कौर की पुस्तक ‘गुरुग्रंथ साहिब में संतों की वाणी ः वर्तमान सामाजिक सरोकार’ का लोकापर्ण किया गया। कुलदीप कौर ने बताया कि इस पुस्तक में गुरुग्रंथ साहिब के कुछ अनछुए पहलुओं को उद्घाटित करने का प्रयत्न किया गया है।
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.शंभुनाथ ने कहा कि व्यंग्य का काम मजा देते हुए प्रहार करना है। आज के दौर में हास्य-व्यंग्य की विधा सस्ती लोकप्रियता का शिकार हो गई है। एक समय में हरिशंकर परसाई के साहित्यिक व्यंग्य समाज में नैतिक मूल्यबोध और समाज सुधार के उद्देश्य से प्रेरित थे। वे मनुष्य की अपराजेयता में विश्वास पैदा करते थे।
समारोह के बाद कविता पाठ का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर निर्मला तोदी, मंजू श्रीवास्तव, राज्यवर्धन, उमरचंद जायसवाल, सुरेश शॉ, शिप्रा मिश्रा, आनंद गुप्ता, नागेंद्र पंडित, अमरजीत पंडित, इबरार खान, सूर्य देव रॉय, सुषमा कुमारी,सिपाली गुप्ता, पूजा गोंड, रेशमी सेन शर्मा, सपना खरवार और चंदन भगत ने काव्य पाठ किया।इस अवसर पर अवधेश प्रसाद सिंह,गीता दूबे, योगेश साव,अनिल साह,विनोद यादव, रूपेश यादव,पूजा गुप्ता सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो.लिली साह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ.अनीता राय ने किया।