अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे इन्द्र चन्द संचेती : सीताराम शर्मा

अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे इन्द्र चन्द संचेती : सीताराम शर्मा

अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन की श्रद्धांजलि सभा

कोलकाता: सुप्रसिद्ध समाजसेवी, अधिवक्ता एवं लेखक इन्द्र चन्द संचेती का गत 10 सितम्बर 2021, शुक्रवार, को कोलकाता में निधन हो गया, आप 91 वर्ष के थे। अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा मंगलवार सायं एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सभा में सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोवर्धन प्रसाद गाड़ोदिया ने संचेती जी के निधन को समाज एवं सम्मेलन के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि संचेती जी सम्मेलन के परम हितैषी थे और सम्मेलन के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सहित अनेक गुरुमहत्व के दायित्वों का निवर्हन किया था। श्री गाड़ोदिया ने कहा कि नश्वर संसार से सबको जाना पड़ता है लेकिन कुछ लोग एक अमिट छाप छोड़ जाते हैं, संचेती जी उन्हीं लोगों में से एक थे।

सम्मेलन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम शर्मा ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे संचेती जी के साथ एक लम्बे समय तक कार्य करने का सौभाग्य मिला। उनका व्यक्तित्व अद्भुत था, वे सर्वरूपेण सरस्वतीपुत्र थे। अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए कानून की पढ़ाई पूरी की और एक सफल वकील बने। दूसरों की सहायता हेतु सदैव तत्पर रहते थे — आज कोलकाता में अनेक ऐसे सफल वकील हैं जिन्हें संचेती जी ने गढ़ा है। सीताराम शर्मा ने कहा कि संचेती जी जिस संस्था के साथ जुड़े, उसे ऊंचाइयों पर ले गए। सम्मेलन के भवन हेतु अम्हर्स्ट स्ट्रीट में जमीन प्राप्त करने में भी उनकी अहम भूमिका थी।

सम्मेलन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्षगण डॉ. हरिप्रसाद कानोड़िया, प्रह्लाद राय अगरवाला, रामअवतार पोद्दार, संगठन मंत्री बसंत कुमार मित्तल, उद्योगपति—समाजसेवी जगदीश प्रसाद चौधरी और पवन जालान ने सभा को सम्बोधित किया और स्व. इन्द्र चन्द संचेती से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। संचेती जी के सुपुत्र प्रदीप संचेती ने अपने पिता के बाल्यकाल और शिक्षा—दीक्षा के विषय में बताते हुए कहा कि अर्थाभाव या अन्य कोई समस्या संचेती जी को रोक नहीं पाती थी और वे जिस कार्य में लगते उसे पूर्ण करके ही छोड़ते थे।

सम्मेलन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सराफ ने संचेती जी से जुड़ी बातें बतायीं और शोक प्रस्ताव का वाचन किया। सभा में संचेती जी के ज्येष्ठ सुपुत्र अशोक संचेती, विवेक पसारी, विष्णु दयाल अग्रवाल, बाबूलाल अग्रवाल, डॉ. सुरेश कुमार अग्रवाल, भावना संचेती, अंकिता कुमार, उर्मिला दिनोदिया, सुषमा लाखोटिया सहित अच्छी संख्या में समाज के पुरुष—महिलायें उपस्थित थी।