फिलिस्तीन को संप्रभुत्व स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की जोरदार वकालात

फिलिस्तीन को संप्रभुत्व स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की जोरदार वकालात

कोलकाता में नागरिक समाज ने की इजराइल की कड़ी निंदा

कोलकाता, 30 नवंबरः कोलकाता में नागरिक समाज का एक बड़ा तबका व विशिष्ट बुद्धिजीवियों ने फिलिस्तीन को संप्रभुत्व व स्वाधीन राष्ट्र बनाने की जोरदार वकालात की है। फ्रेंड्स आफ प्लस्टाइन के बैनर तले गुरुवार को मुस्लिम इंस्टीच्यूट में आयोजित नागरिक सभा में बुद्धिजीवियों ने ‘’इंसान बनो इंसानियत बचाओ’’ नारे के साथ फिलिस्तिन के समर्थन में कई प्रस्ताव पारित किए। सभा में फिलिस्तिन को संप्रभुत्व स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के अतिरिक्त वहां नरसंहार के लिए जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध अंतराष्ट्रीय अदालत में मुकदामा चलाने का भी प्रस्ताव पारित किया गया। वक्ताओं ने एक स्वर से फिलिस्तिन पर इजराइल का अक्रमण बंद करने की मांग की।

कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जज तौफीकुद्दीन ने सभा में अपना वक्तव्य रखते हुए कहा कि इजराइल पर हमास का आक्रमण आतंकी हमले के दायरे में आएगा कि नहीं यह बहस का मुद्दा हो सकता है। लेकिन उसके बाद इजराइयल ने जिस क्रुरता से आक्रमण किया और बच्चे, बूढों तथा महिलाओं को भी नहीं बक्शा वह अति निंदनीय है। भारत सहित प्रायः हर प्रगतिशील राष्ट्र के संविधान में राइट टू राइट का प्रावधान है जो नागरिकों को मूलभूत अधिकार प्रदान करता है। फिलिस्तिन पर इजराइयल के आक्रमण में इस वैधानिक पक्ष का भी उल्लंघन किया गया है।

छपते छपते के प्रधान संपादक विश्वम्भर नेवर ने कहा कि भारत फिलिस्तिन का हमदर्द रहा है। इजराइल अगर चाहता है कि वह आक्रमण कर फिलिस्तीन को बर्बाद कर देगा तो यह उसका भ्रम है। फिलिस्तिन कभी खत्म नहीं हो सकता। लेकिन इस युद्ध में एक बात जो खुलकर सामने आई वह आश्चर्यजनक है। विश्व के अधिकांश मुस्लिम देशों ने फिलिस्तीन का समर्थन करने के बावजूद शरणार्थियों को अपने यहां पनाह नहीं दी। इससे यह धारण खत्म हो जाती है की मजहब के नाम पर कोई मुल्क अपना अस्तित्व बचा सकता है। उसे अपना अस्तित्व बचाने के लिए खुद लड़ना होगा और फिलिस्तीन यह लड़ाई लड़ रहा है।

फादर सुनिल रोजारियो ने कहा कि कोई भी धर्म हिंसा की बात नहीं कहता है। सभी धर्मों में आपसी प्रेम, मोहब्बत और भाईचारे के साथ रहने की बात की जाती है। इजराइल और फिलिस्तीन के लोग तो कभी एक साथ रहते थे। लेकिन राजनीतिक साजिश के तहत उनमें दूरियां बढ़ी और आज दोनों एक दूसरे के दुश्मन बन बैठे हैं। मुल्क बंटने पर हमारे जो लोग अलग-अलग मुल्क के हो जाते हैं उनका खून तो एक ही है। इसलिए मानवीय मूल्यों को खत्म करने वाली हिंसा बंद होनी चाहिए। राजनीतिक कारणों से गाजा पट्टी अस्तित्व में आया लेकिन उसको राजनीतिक स्वीकृति नहीं मिली।

लेखक व नाट्यकार जहिर अनवर ने कहा कि विश्वयुद्ध में यहूदियों को पशिचमी देशों ने सभी जगह से खदेड़ा। अंत में उन्हें फिलिस्तिन के सरजमीं पर पनाह मिली। आज इजराइल उसी धरती को खत्म करना चाहता है जिसने यहूदियों को अपने यहां बसने के लिए शरण दी थी।

सिख समुदाय से सोहन सिंह ऐटियाना ने कहा कि भारत की विदेश नीति गुटनीरपेक्ष रही है। यहां तक कि अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार ने भी फिलिस्तीन का साथ दिया था। लेकिन आज केंद्र की मोदी सरकार की विदेशी नीति हमारी परंपरागत नीति से अलग हो गई है। यह हमारे लिए परेशान करनेवाली बात है। सभा में कलीम हाजिक और निशाद आलम समेत अन्य वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। सभी वक्ताओं ने इजराइल की निंदी की और फिलिस्तीन के हक में आवाज बुलंद की।

शाहिद अहमद सईद ने अंग्रेजी में, अशोक सिंह ने हिंदी में, नौशाद मोमीन ने उर्दू में और एक कालेज छात्रा ने बांग्ला में प्रस्ताव का पाठ किया जिसको सभा ने सर्वसम्मति से समर्थन किया। सभा में साहित्य, कला, संस्कृति शिक्षा, फिल्म, पत्रकारिता और नाट्य जगत के विशिष्ट व्यक्तियों का भारी जमावड़ा हुआ। नासिर अहमद ने धन्यवाद ज्ञापन किया जबकि अनिस रफी ने सभा की अध्यक्षता की।