आर्द्रभूमि को उसकी पारिस्थितिक विशेषतायों के कारण मानव जाति के लिए वरदान माना जाता है और आईसीएआर- सिफ़री पिछड़े हुए वर्गों की आजीविका के सुधार के लिए आर्द्रभूमि मत्स्य पालन विकास पर लगातार काम कर रहा है। निदेशक डॉ. बि.के. दास के नेतृत्व में अनुसूचित जाति उपयोजना कार्यक्रम (एससीएसपी) के तहत वर्ष 2021 में उत्तर 24 परगना, पश्चिम बंगाल के डूमा आर्द्रभूमि में एकीकृत आर्द्रभूमि प्रबंधन विकास पर कार्य शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य तीन साल की अवधि में मछली उत्पादन को 1000 किग्रा / हेक्टेयर / वर्ष तक बढ़ाना था। वर्ष 2021 में उन्होंने छोटी देशी मछली के अलावा लगभग 30 लाख मूल्य की लगभग 15 टन व्यावसायिक मछली का उत्पादन किया था। मछलियों को स्थानीय बाजार और मछली डीलरों के माध्यम से बेचा गया। इसके अलावा, 500 से अधिक सक्रिय मछुआरे नियमित रूप से 1-2 कि.ग्रा. औसत वजन के छोटी देशी मछलियों जैसे गुडुसिया छपरा, एंब्लीफरींगोडन मोला, सिस्टोमस सरना, पुंटियस एसपीपी, ग्लोसोगोबियस ग्यूरिस, मैक्रोग्नाथस एसपीपी, कैटफ़िश, छोटे आकार के मुर्रल आदि पकड़ते हैं।
पिछले वर्ष की गतिविधियों के क्रम को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष भी 17 जून 2022 को “पेन कल्चर प्रदर्शन सह जागरूकता कार्यक्रम” आयोजित किया गया था। छह पेन में लगभग 780 किलोग्राम मछली के बीज को रखा गया और खरपतवार अवरुद्ध आर्द्रभूमि होने के कारण ‘ग्रास कार्प मॉडल को ही अपनाया गया। इस जन जागरूकता कार्यक्रम में मछुआरों को एकीकृत आर्द्रभूमि प्रबंधन के विकास के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूक किया गया, जिसमें निवेश की लागत को कम करने के लिए पेन कल्चर के माध्यम से मछली के बीज को इन-सीटू बड़ा करना भी शामिल था। आर्द्रभूमि मात्स्यिकी के विकास के लिए पेन कल्चर का प्रदर्शन कर मछुआरों को प्रेरित किया गया। डूमा में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान सिफ़री के निदेशक डॉ. बि.के. दास ने मछुआरों को अपनी आय में वृद्धि और छोटी देशी मछली प्रजातियों के संरक्षण के लिए आर्द्रभूमि में ऑटो-स्टॉक किए गए उच्च मूल्य वाले माइनर कार्प को अपनाने की सलाह दी। जागरूकता के साथ-साथ एकीकृत आर्द्रभूमि प्रबंधन से संबंधित प्रमुख मुद्दों का आकलन करने के लिए भागीदारी ग्रामीण मूल्यांकन (पीआरए) गतिविधि भी की गई।