कृषि विकास में छह दशक से अधिक की गौरवशाली यात्रा
कोलकाता, 12 फरवरीः भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली केविरासत संस्थानों में से भा.कृ.अनु.प.-क्रिजैफ,बैरकपूर, कोलकाता एक प्रमुख संस्थान है, जो पटसन, मेस्ता, रेमी, सनई , सीसल और फ्लैक्स जैसे प्राकृतिक रेशों के लिए उन्नत किस्मों और तकनीकियों के विकास एवं प्रसार के लिए अधिकृत शोध संस्थान है। इस संस्थान नेअपनी छह दशकों से अधिक की यात्रा के दौरान प्रौद्योगिकी विकास में कई मील के पत्थर हासिल किए हैं जो अन्य खाद्य फसलों और कृत्रिम फाइबर से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच पटसन और समवर्गीय रेशा फसलों को लाभदायक फसल के रूप में स्थापित कर सकते हैं।
भा.कृ.अनु.प.-क्रिजैफ ने दिनांक 9फरवरी, 2023को अपना 71वां स्थापना दिवस मनाया। इस शुभ अवसर पर, प्रो. स्वपन कुमार दत्ता, विश्व बांग्ला विश्वविद्यालय के कुलपति और पूर्व उप महानिदेशक (फसल विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने मुख्य अतिथिके रूप में उपस्थित होकर इस अवसर की शोभा बढ़ाई। । प्रो.तिमिर बरन झा, वनस्पति विज्ञान के पूर्व प्रमुख, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय;डॉ. बी.के. दास, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-सिफरी, बैरकपुर;डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.–अटारी, कोलकाता और श्री देबदत मुखर्जी, सहायक निदेशक, राष्ट्रीय पटसन बोर्ड (एन.जे.बी.), कोलकाता सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस उपलक्ष्य में अतिथियों व गणमान्य व्यक्तियों ने गुब्बारे, कबूतर उड़ाये एवं केक काटा। अतिथियों ने भा.कृ.अनु.प.-क्रिजैफ द्वारा विकसित विभिन्न तकनीकों और स्व निर्भर गोष्ठी द्वारा पटसन रेशा निर्मित विभिन्न को प्रदर्शित करने वाले प्रदर्शनी स्टालों का उद्घाटन किया।
समारोह के मुख्य अतिथि डॉ स्वपन कुमार दत्ता ने पटसन किसानों की सेवा के लिए संस्थान के निदेशक और सभी कर्मचारियों को बधाई दी।संस्थान के निरंतर प्रयासों और सराहनीय उपलब्धियों के लिए डॉ. दत्ता काफी आशावादी थे । उन्होने पटसन जीनोम की डिकोडिंगकी जानकारी उपलब्ध होने से डिजाइनर पटसन विकसित करने के नए अवसर खुलेंगेजिसमें जलवायु लचीलेपनसमेत पटसन के सभी वांछनीय गुणों को शामिल किया जा सकता है । उन्होंने संस्थान की दृश्यता,संबंधित हितधारकों के बीच बढ़ाने के उत्कृष्ट प्रयास करने के लिए संस्थान की सराहना की।डॉ. बी.के.दास, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-सिफरी, बैरकपुर ने इस अवसर पर बताया कि हर संस्थान को भा.कृ.अनु.प.-क्रिजैफ की तरह किसानों के साथ जुड़ाव विकसित करना चाहिए। उन्होंने ये विश्वास जताया भा.कृ.अनु.प.-क्रिजैफ के साथ संयुक्त कार्यक्रम से मछुआरों को वाणिज्यिक जलीय कृषि के लिए पटसन सड़ाने वाले टैंकों का उपयोग करने में मदद मिलेगी।
डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी ने ये आशा व्यक्त किया कि माइक्रो-प्लास्टिक प्रत्येक पारिस्थितिकी तं
त्र में प्रमुख प्रदूषक हैं जिन्हें पटसन आधारित विविध उत्पादों को बढ़ावा देकर ही बदला जा सकता है और क्रिजैफने इस दिशा में अपने प्रयासों से पहले ही अपनी पहचान बना ली है।प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. तिमिर बरन झा ने संस्थानके मौजूदा अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ-साथ पूर्व कर्मचारियों / अधिकारियोंको भी बधाई दी जिन्होंने पटसन किसानों और उद्योगों की बेहतरी के लिए अनुसंधान और तकनीकी विकास में कई सफलताएं हासिल करके संस्थान को वर्तमान स्थिति में लाया है।
श्री देबदत मुखर्जी, सहायक निदेशक, राष्ट्रीय पटसन बोर्ड (एन.जे.बी.), ने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से पटसन की खेती के लिए नई तकनीकों को लोकप्रिय बनाने के साथ-साथ खेतिहर महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में भा.कृ.अनु.प.-क्रिजैफ और एन.जे.बी.के संयुक्त प्रयासों के बारे में बताया ।
इससे पहले डॉ. गौरांग कर, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिजैफ ने इस अवसर पर सभी अतिथियों और गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने विशेष रूप से पटसन किसानों के सामने आने वाली बाधाओं और समस्याओं को हल करने के लिए संस्थान द्वारा विकसित उन्नत किस्मों और तकनीकियों की चर्चा की साथ-ही इस संस्थान के सुनहरे इतिहास, प्रमुख उपलब्धियोंइत्यादि का भी उल्लेख किया। उन्होंने समवर्गीय रेशा फसलों के न्यूट्रास्यूटिकल्स मूल्यों और अन्य उप-उत्पादों के जरिये पारिस्थितिक सेवामें इन फसलों की भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. कर ने तकनीकी विकास द्वारा उपज बाधा और उपज अंतर को मिटाने के प्रयासों के बारे में विशेष रूप से उल्लेख किया । यह दृष्टिकोण संयुक्त राष्ट्र के विकास लक्ष्य को पूरा करने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए भी व्यापक परिणामों (आउटपुट) से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा उन्होंने पटसन आधारित स्वयं सहायता समूहों और किसान उत्पादक संगठन के गठन की सुविधा के लिए संस्थान के महत्व और विशेष पहल पर जोर दिया और मूल्यवर्धित पटसन विविध उत्पादों के निर्माण पर प्रशिक्षण दिया जो उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और किसानों और अन्य की उच्च आय सुनिश्चित करने वाला है।
इस अवसर पर भाकृअनुप-क्रिजैफ तकनीकियों के व्यावसायीकरण में शामिल उद्योगों और अच्छे प्रदर्शन वाले स्वयं सहायता समूहों को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषदके अन्य संस्थानों,शैक्षणिक संस्थानों, पटसन संबन्धित उद्योग,स्वयं सहायता समूहों,प्रैस, मीडिया आदि के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। विभिन्न प्रदर्शनी स्टालों मेंभाकृअनुप-क्रिजैफ, कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके), स्वयं सहायता समूहों और कृषक उत्पादन कंपनी लि॰ के उत्पादों की प्रदर्शनी सभी हितधारकों और किसानों के लाभ के लिए प्रदर्शितकियागया।