मानवाधिकार व लैंगिक मुुद्दा पर संगोष्ठी संपन्न

मानवाधिकार व लैंगिक मुुद्दा पर संगोष्ठी संपन्न

ट्रांसजेंडर के साथ भेद-भाव मानवाधिकार का उल्लंघन

कोलकाता, 9 जुलाईः इंडियन इंस्टीच्यूट आफ बायो सोशल रिसर्च एंड डेवलपमेंट( इबराड) की ओर से संस्थान के सभागार में मानवाधिकार व लैंगिक मुद्दा पर पर रविवार को आयोजित संगोष्ठी राष्ट्रीय स्तर के समाजिक कार्यकर्ता, लेखक, बुद्धिजीवी और अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे ट्रांसजेंडरों की उपस्थिति में संपन्न हुई। संगोष्ठी में बतौर वक्ता आईपीएस अधिकारी शशिकांत पुजारी ने कहा कि हमारे देश में ट्रांसजेंडर या किन्नर समुदाय के साथ भेद-भाव की समस्या पश्चिमी देशों की संस्कृति से उत्पन्न हुई है। प्राचीन भारत में भी किन्नर समुदाय की मौजूदगी थी लेकिन उन्हें तब समाज में समान अधिकार व सम्मान प्राप्त था। ट्रांसजेंडर से जुड़े मानवाधिकार के उल्लंघन के मामले बढ़ने का मुख्य वजह संसाधन की कमी है। पुलिस सीमित संसधान में काम करती है। मानवाधिकार के उल्लंघन की घटनाओं को रोकने और सभी को समान अधिकार देने के लिए समाज के जागरुक और प्रबुद्ध लोगों को सामने आना होगा।

ट्रांसजेंडर के अधिकार के लिए लड़ने वाली सामाजिक कार्यकर्ता अपराजिता गांगुली ने पुलिस अत्याचार का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि किसी ट्रांसजेंडर के साथ अन्याय होता है और वह पुलिस के पास अपनी शिकायत लेकर जाता है तो उसकी बात सुनी नहीं जाती है। थााना में शिकायत करने वाले ट्रांसजेंडर का मजाक उड़ाया जाता है और उसे अपमानित किया जाता है। वह खुद इसकी भुक्तभोगी हैं।

सोहिनी बोराल ने कहा कि दसवी में पढ़ने के दौरान उसे महसूस हुआ कि उसका स्वभाव लड़कियों जैसा है। इसलिए उसने लड़की की तरह अपने शरिर को विकसित करने और नारी रूप में ही रहने का निर्णय किया। इसलिए उसे अपने परिवार से अलग होना पड़ा। उसने अपने बूते पर उच्च शिक्षा प्राप्त की और आज एक बड़े कार्पोरेट हाउस में कार्यरत है। लेकिन यहां तक पहुंचने में उसे काफी यातनाएं झेलनी पड़ी। स्कूल कालेज या किसी भी स्थल पर ट्रांसजेंडर को अपमानलित करने से लोग पीछे नहीं रहते हैं। ट्रांसजेंडर को सार्वजनिक शौचालयों में जाने से रोका जाता है। अस्पताल,  स्कूल और काले्ज में भी उनको इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। पत्रकार नित्यानन गाएन ने कहा कि मानव जाति में जन्म लेने वाले सभी को संविधान के तहत मौलिक अधिकार प्राप्त है। ट्रांसजेंडर या किन्नर समुदाय को भी मौलिक अधिकार प्राप्त करने का हक है। उन्हें उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है।

लेखक और सामाजिक कार्यरक्ता महेंद्र भीष्म ने कहा कि ट्रांसजेंडर भी हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। सभी समुदाय के लोग कंधा से कंधा मिलाकर काम करेंगे तो समाज और देश आगे बढ़ेगा। ट्रांसजेंडर औऱ किन्नर समुदाय के साथ भेद-भाव की घटनाएं देखने सुनने को मिलती है। समाज में जागरूकता फैला कर इसे रोकना संभव है। ट्रांसजेंडर और किन्नर समुदाय को भी  अपना अधिकार प्राप्त करने और सम्मान के साथ जीने का  अधिकार है। अधिवक्ता सोनी बागची ने भी ट्रांसजेंडर और किन्नर समुदाय के हक की वकालत की। कार्यक्रम का संचालन लेखक औऱ कवि प्रभात पांडेय और अध्यक्षता इबराड के प्रमुख एसपी राय ने की।