समकालीन साहित्य में किन्नर विमर्श पर संगोष्ठी का आयोजन

समकालीन साहित्य में किन्नर विमर्श पर संगोष्ठी का आयोजन
 कोलकाता, 8 जुलाईः भारतीय भाषा परिषद में प्रगति शोध फाउंडेशन द्वारा पुस्तक विमोचन और ‘समकालीन साहित्य में किन्नर विमर्श’ पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ।कार्यक्रम की शुरुआत श्रीप्रकाश गुप्ता के शोक ज्ञापन के साथ किया गया। इस अवसर पर प्रकाश त्रिपाठी की संपादित पुस्तक ‘समकालीन साहित्य में किन्नर विमर्श’, अशोक आशीष की पुस्तक ‘गुम हुई पगडंडियों की तलाश’, गरिमा भाटिया की पुस्तक ‘पहल; बढ़ते कदम कामयाबी की ओर’ और डॉ. मीना घुमे निराली की पुस्तक ‘मुक्ति; स्त्री मुक्ति के आधुनिक संदर्भ’ का विमोचन हुआ। बीज वक्तव्य देते हुए महेंद्र भीष्म ने कहा कि कोई स्त्री लेखिका अपनी पीड़ा को लिख सकती है, दलित अपनी पीड़ा को दर्ज कर सकते हैं लेकिन किन्नर अपनी पीड़ा को शब्दबद्ध नहीं कर सकते क्योंकि ये अक्सर पढ़े-लिखे नहीं है इसलिए लेखक समाज को इनकी पीड़ा को व्यक्त करने के लिए सामने आना चाहिए, परिषद के निदेशक डॉ. शम्भुनाथ ने कहा कि पौराणिक काल से लेकर आज तक किन्नर हमारे समाज में अपनी सह्रदयता, प्रतिभा और शुभाकांक्षा के साथ रहते आए हैं।विगत पंद्रह वर्षों से किन्नर विमर्श ने समाज में अपने लिए स्पेस बनाया है।उनको संवैधानिक अधिकार के साथ सामाजिक स्वीकृति अभी मिलना बाकी है। ताजा टीवी के निदेशक विश्वम्भर नेवर ने कहा कि किन्नर के जीवन में आर्थिक और सामाजिक दो समस्याएं मुख्य रूप से बनी हुई हैं। प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो मंजूरानी सिंह ने कहा कि दिवंगत श्रीप्रकाश गुप्ता के सपने का प्रतिफलन है किन्नर विमर्श पर आयोजित यह संगोष्ठी।किन्नर हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं।उन्हें उपेक्षित दृष्टि की जगह संवेदनशील ढंग से देखने की जरूरत है। डॉ. इतु सिंह ने समकालीन हिंदी कविता में मौजूद किन्नर विमर्श को रेखांकित करते हुए कहा कि किन्नर की स्थिति पर उपहास की जगह हमें उन्हें प्रोत्साहित करते हुए उन्हें उनकी विशिष्टताओं के साथ जीवन व्यतीत करने में मदद करना चाहिए।इस अवसर पर डॉ. मीना घुमे, डॉ रश्मि वार्ष्णेय और प्रिया पाण्डेय रोशनी में शोध सार का वाचन किया। दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए विजय किशोर पाण्डेय ने कहा कि हिंदी का समकालीन कथा साहित्य किन्नर विमर्श का आख्यान है।साहित्य में उपस्थित विमर्श को आज समाज और जीवन में सहानुभूति के साथ रूपायित करने की जरूरत है। डॉ गरिमा भाटी ने कहा कि हमें किन्नरों के विकास के लिए पहल करनी चाहिए और उन्हें शिक्षा और रोजगार से सम्बद्ध करना होगा।इस अवसर पर रीता दास, डॉ करुणा पाण्डेय और स्वाति चौधरी ने शोध सार का वाचन किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ संजय जायसवाल, प्रकाश कुमार त्रिपाठी और दिव्या प्रसाद ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन इंदु गुप्ता दिया। इस कार्यक्रम में  सत्यप्रकाश गुप्ता,वंदना तिलावत, विनोद यादव,प्राची गुप्ता, श्रद्धा गुप्ता, शालिनी गुप्ता, प्रिया श्रीवास्तव और सुषमा कुमारी का विशेष सहयोग रहा।इस आयोजन में अजय राय,सेराज खान बातिश,मृत्युंजय, राज्यवर्धन, अल्पना नायक,सुरेश शा,इबरार खान,मधु सिंह, विकास कुमार सहित कोलकाता के सैकड़ों साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।