2050 तक पटसन का उत्पादन 47 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्यः गौरांग कर

2050 तक पटसन का उत्पादन 47 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्यः गौरांग कर

पटसन विकास निदेशालय- क्राइजैफ के कार्यशाला में वक्ताओं के विचार

लैब टू लैंड योजना पर  विशेष जोर

कोलकाताः 4 मार्चः पटसन विकास निदेशालय के सहयोग से बैरकपुर स्थित आईसीआर- क्राइजैफ के डॉ. बीसी कुंडू आडिटोरियम में जूट के विपणन और उपयोग विषय पर 4 मार्च 2022 को एक राष्ट्रीय कार्याशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में पटसन उत्पादन और विपणन से जुड़े संबंधित विभागों के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी व 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सेंट्रल रिसर्च इंस्टीच्यूट फार जूट एंड अलाएड फाइबर( क्राइजैफ) के निदेशक डॉ. गौरांग कर ने कार्यशाला में अपना वक्तव्य रखते हुए कहा कि उनका शोध संस्थान पटसन का उत्पादन बढ़ाने के लिए दीर्घकालीक योजना पर काम कर रहा है। 2050 तक पटसन का उत्पादन 47 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है। 26 क्विंटल से लेकर 32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाना संभव हुआ है। उत्पादन में प्रति हेकटेयर 15 क्विंटल का जो खालीपन है उसको संस्थान द्वारा विकसित नई तकनीकी का इस्तेमाल कर पूरा किया जाएगा। कच्चा जूट का उत्पादन बढाकर किसानों और संबंधित पक्षों की आय बढ़ाने की अपार संभावनाएं है। जूट शोध संस्थान के वैज्ञानिक उत्पादन बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। क्राइजैफ लैब टू लैंड योजना पर काम कर रहा है ताकि इसका सीधा लाभ किसानों को प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि क्राइजैफ सोना एक उच्च गुणवत्ता वाला बीज है। लेकिन 10 प्रतिशत किसान ही अब तक इसका लाभ उठा पाए हैं। अधिक से अधिक किसानों तक क्राइजैफ सोना पहुंचाना होगा ताकि उच्च गुणवत्ता वाले पटसन का उत्पादन बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाला पटसन का उत्पादन करने से निर्यात में वृद्धि होगी और देश के आर्थिक विकास में मदद मिलेगी।

निदेशक, आईसीआर-एनआईएनएफइटी डॉ. डीबी शकयवर ने कहा कि पटसन उत्पादन में उच्च गुणवत्ता वाला रेसा का बहुत महत्व है। लेकिन किसान इससे अनजान हैं। उच्चा गुणवत्ता वाला पटसन का उत्पादन करने के लिए किसानों को जागरूक करना होगा।  एमडी, जेसीआई एके जोली ने कहा कि भारतीय जूट निगम किसानों के हितों की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहता है। जहां तक संभव होता है निगम जूट की खरीद करता है ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति सुधर सके। विधानचंद्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीएस महापात्रा ने कहा कि जूट एक ऐसा प्राकृतिक रेसा है जो मानव के लिए हर तरह से उपयोगी है। अधिक से पटसन के इस्तेमाल और जूट से निर्मित वस्तुओं का उपयोग बढ़ाने की दिशा में काम करना होगा। पटसन विकास निदेशालय के निदेशक नरेंद्र कुमार ने स्वागत भाषण दिया। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता क्राइजैफ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसके झा ने की। कार्यशाला में जूट आयुक्त एमसी चक्रवर्ती ने कहा कि प्रति वर्ष जूट का निर्यात 3 हजार करोड़ रुपए से अधिक होने जा रहा है। यह किसानों और जूट कारोबारियों के लिए अच्छा संके है। उत्पादन और जूट का कारोबार बढ़ाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करना होगा।

उल्लेखनीय है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीन बैरकपुर स्थित सेंट्र्ल रिसर्च इंस्टीच्यूट फार जूट एंड एलायड फाइबर (क्राइजैफ) देश का अग्रणी शोध संस्थान है। संस्थान किसानों को पटसन की खेती और जूट से जुड़े संबंधित पक्षों को कारोबार से जुड़ी नई-नई जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए नियमित इस तरह का कार्यक्रम आयोजित करता रहता है।