महापंचायत में किसान नेताओं की अगवानी करेंगे डॉ. राजाराम त्रिपाठी
-अनवर हुसैन
हमारा यह किसान आंदोलन इस सदी का विश्व का सबसे अनोखा और बड़ा आंदोलन साबित होने जा रहा है; यह कहना है देश के 40 से अधिक किसान संगठनों के साझा मंच “अखिल भारतीय किसान महासंघ” के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी का, जो कि कोंडागांव बस्तर के जाने माने किसान हैं। वह देश में हर्बल खेदी को नई पहचान देने और कृषि विशेषज्ञ के तौर पर भी जाने जाते हैं।
28 सितंबर को छत्तीसगढ़ के राजिम में किसानों की ऐतिहासिक “महापंचायत” होने वाली है, जिसमें राकेश टिकैत समेत किसान आंदोलन के प्रायः सभी प्रमुख चेहरे शिरकत करेंगे। मुजफ्फरनगर की किसान महापंचायत ने केवल देश के किसानों का ही नहीं बल्कि पूरे देश के किसानों से इतर सभी वर्गों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। मुजफ्फरनगर की महापंचायत के बाद किसान संगठनों ने देश के हृदय स्थल स्थित छत्तीसगढ़ में दूसरी महापंचायत हेतु खम ठोका है। यूं तो आदिवासी बहुल बस्तर में किसान समस्याओं या किसान आंदोलनों को लेकर सतह पर तो कोई विशेष सुगबुगाहट नहीं दिख रही है, जबकि हकीकत यह है कि, बस्तर का कोंडागांव “तीनों कृषि कानूनों” के विरोध के आंदोलनों का न केवल उद्गम बिंदु है, बल्कि छत्तीसगढ़ में होने जा रही पहली महापंचायत के आयोजन के निर्णायक सूत्र भी कोंडागांव से ही जुड़े हुए हैं। दरअसल वर्तमान किसान आंदोलन के बारे में देश को तब पता चला जब पिछले 26 नवंबर को पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली के मोर्चे बॉर्डर पर आ डटे। डॉ. त्रिपाठी के मुताबिक इन तीनों किसान कानूनो का विरोध तो इनके विधेयक की शक्ल में 5 जून को जन्म लेने के मात्र दो दिवस के भीतर ही कोंडागांव से शुरू हो गया था जबकि उस समय जानकारी के अभाव में ज्यादातर किसान संगठनों ने इन कृषि कानूनों के बारे में प्रकाशित लुभावने सरकारी विज्ञापनों से प्रभावित होकर इन कानूनों का स्वागत तक कर दिया था। किंतु 40 से अधिक किसान संगठनों के मंच “अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी जो कि छत्तीसगढ़ के कोंडागांव के किसान नेता हैं, ने इन तीनों कृषि बिल्स के पैदा होने की 72 घंटे के भीतर ही इनका बिंदुवार पोस्टमार्टम करके इन्हें पूरी तरह से कारपोरेट के पक्ष में गढ़ा हुआ तथा किसानों का विरोधी बताया था. इतना ही नहीं, उन्होंने 16 जून 2020 को ही राकेश टिकैत जी सहित देश के प्रमुख किसान नेताओं को वर्चुअल मीटिंग में शामिल करके इन कानूनों की खामियों बारे से अवगत कराया, और इनका समुचित तर्कसंगत विरोध करने को कहा था।
डॉ त्रिपाठी की इस पहल तथा किसान हितों के लिए सतत संघर्ष के लिए गाजीपुर मोर्चे पर भारतीय किसान यूनियन के द्वारा उनका नागरिक अभिनंदन भी किया गया था। यह बहुत कम लोगों को पता होगा कि वर्तमान किसान आंदोलन की शुरुआत के पूर्व राकेश टिकैत ,युद्धवीर सिंह जैसे प्रमुख किसान नेता कोंडागांव बस्तर आकर डॉ त्रिपाठी से गुफ्तगू कर चुके हैं। इधर पारसनाथ साहू सहित प्रदेश के कई लोग किसान नेता भी इसी सिलसिले में कोंडागांव पधार चुके हैं।
यह देश के किसानों का दुर्भाग्य कहा जाएगा कि किसान आंदोलन के पहले हफ्ते में दिल्ली से शिरकत कर कोंडागांव वापसी के वक्त उनकी कार की भीषण दुर्घटना में वे अपनी पत्नी समेत गंभीर रूप से घायल हो गए, जिसके कारण मजबूरी में उन्हें मोर्चे की अगुवाई से हटकर कई महीने इलाज में गुजारने पड़े। बिस्तर पर से भी उन्होंने किसान आंदोलन के पक्ष में अपनी कलम से तथा वर्चुअल उपस्थिति के जरिए अपनी लड़ाई जारी रखी, एंबुलेंस से दिल्ली के किसान मोर्चे पर भी पहुंचने वाले वह पहले किसान नेता हैं। विश्लेषक आज भी यह दावा करते हैं कि अगर डॉक्टर त्रिपाठी किसान तथा सरकार की वार्ताओं में शामिल होते, तो संभवत अब तक यह आंदोलन अपने लक्ष्य को प्राप्त कर चुका होता। बहरहाल छत्तीसगढ़ में इसी अट्ठाइस तारीख को राजिम में होने जा रही किसान महापंचायत पर न केवल प्रदेश ही नहीं पूरे देश की नजरें टिकी हुई है। इस महापंचायत में राकेश टिकैत, सहित संयुक्त किसान मोर्चा के अधिकांश प्रमुख नेता भाग लेने आ रहे हैं। राकेश टिकैत तथा अन्य प्रमुख किसान दिशाओं को छत्तीसगढ़ लाने की समूची जिम्मेदारी कोंडागांव के डॉ राजाराम त्रिपाठी संभाल रहे हैं। जगदलपुर बस्तर क्षेत्र से भी लगभग 11 गाड़ियों में सवार होकर किसान भाई इस महापंचायत में शामिल होने के लिए राजिम की ओर कूच कर रहे हैं।