मोयना में सिफरी का ‘राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस’ समारोह संपन्न

मोयना में सिफरी का ‘राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस’ समारोह संपन्न

उभरते जलीय कृषि प्रणालियों-प्रथाओं पर राष्ट्रीय अभियान

कोलकाता, 10 जुलाईः भाकृअप- केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी), बैरकपुर की ओर से रविवार को पूर्व मेदिनीपुर के मोयना में ‘राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस’ मनाया गया। इस मौके पर सिफरी के निदेशक डॉ. बीके दास ने जलीय कृषि खासकर मछली पालन के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने मत्स्य पालकों को संस्थान की ओर से मछली पालन पर किए गए शोध को व्यवहार में लाकर जलीय कृषि उत्पादन बढ़ाने की सलाह दी। इस मौके पर संस्थान के अन्य मतस्य वैज्ञानिकों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

उल्लेखनीय है कि के प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस 10 जुलाई को प्रेरित प्रजनन तकनीक की महान उपलब्धि के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो भारत में ‘प्रथम नीली क्रांति’ का सूचक है। प्रो. हीरालाल चौधरी को अपने अग्रणी शोध के  लिए देश भर  में ‘प्रेरित प्रजनन की तकनीक’ का जनक माना जाता है। इस तकनीक को पहली बार 10 जुलाई 1957 को अंगुल मछली फार्म, ओडिशा में तत्कालीन सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च स्टेशन के तहत सफलतापूर्वक विकसित किया गया था, जो वर्तमान में केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान , बैरकपुर,(CIFRI) है। पहली सफलता सिरिनहस रेबा पर हासिल की गई थी। बाद में, प्रो . चौधरी ने ओडिशा के कटक में संस्थान  के प्रायोगिक खेत में सिरिनस मृगला, लबियो रोहिता और पुंटियस सराना का भी इस तकनीक  के माध्यम से सफलतापूर्वक प्रजनन किया। यह भारतीय मत्स्यपालन के इतिहास में उल्लेखनीय मील के पत्थरों में से एक था, जिसने मत्स्य पालन में क्रांति पैदा की और बाद में देश में नीली क्रांति देखी गई और 1970 के दशक की शुरुआत में, मत्स्य उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई। वर्तमान में, मत्स्य पालन भारत में तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र है, जिसकी औसत वार्षिक वृद्धि  2022 में 8.9% है। वर्ष  2021 में इस क्षेत्र ने 17.4 मिलियन टन की मात्रा दर्ज की है।

खुले पानी के क्षेत्र में प्रमुख अनुसंधान संस्थान होने के नाते, भाकृअनुप – केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान की ओर से 10 जुलाई 2022 को मोयना, पूरबी मेदिनीपुर में ” राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस” आयोजित किया गया। राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस  के साथ ही, जलीय कृषि क्षेत्र में नए विचार और उद्यमिता पहल को  बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक जलीय कृषि प्रणालियों के साथ ‘उभरती जलीय कृषि  प्रणालियों और प्रथाओं’ पर राष्ट्रीय अभियान का भी शुभारंभ किया गया।

कार्यक्रम में 135 महिलाओं सहित लगभग 500 मछुआरों और मछली पालकों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुवात मछुआरों और वैज्ञानिकों  के बीच एक आलोचना सत्र के साथ हुई जिसमें विशेषज्ञों ने अंतर्स्थलीय मत्स्य क्षेत्रों की संभावनाओं और समस्याओं और चुनौतियों पर चर्चा की। इसके अतिरिक्त,  मत्स्य पालकों को वैज्ञानिक मत्स्य प्रबंधन की दिशा में आगे बढ़ने की सुविधा के लिए प्रौद्योगिकी, पर्यावरण निगरानी, ​​जलीय कृषि और मछली स्वास्थ्य के विशेषज्ञों के साथ एक ​​शिविर भी आयोजित किया गया था। इस अवसर पर संस्थान ने मोयना, पुरबी मेदिनीपुर में मत्स्य पालकों के लाभ के लिए प्रौद्योगिकियों का भी प्रदर्शन किया।