मत्स्य क्षेत्र में विकास के लिए सीआईआईसी और सीआईबीए में करार पर हस्ताक्षर

मत्स्य क्षेत्र में विकास के लिए सीआईआईसी और सीआईबीए में करार पर हस्ताक्षर

चेन्नई, 20 फरवरीः मत्स्य क्षेत्र में विकास के लिए क्रिसेंट इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन काउंसिल(सीआईआईसी) और सेंट्रल इंस्टीच्यूट आफ बकिश वाटर एक्वाकल्चर (सीआईबीए) के बीच सोमवार को करार (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुआ। करार के तहत मत्स्य क्षेत्र में कार्य करने वाले स्टार्टअप की समस्याओं का समाधान करने की दिशा में दोनों संस्थाएं बेहतर समन्व्य के साथ काम करेंगी। दोनों संस्थाओं के बीच करार का मुख्य उद्देश्य नई तकनीक विकसित कर जल कृषि को बढ़ाना व मत्स्य क्षेत्र की समस्याओं और चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करना है। दोनों संस्थाएं मत्स्य क्षेत्र के स्टार्टअप के लिए सलाह समर्थन देने के साथ उनके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने तथा व्यापार की योजनाओं का आकलन कर उत्पादन के लिए प्रोटोटाइप आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

करार पर हस्ताक्षर के बाद सीआईबीए के निदेशक डॉ. कुलदीप के लाल और सीआईआईसी के सीईओ परवेज आलम के बीच दस्तावेजों का आदान-प्रदान हुआ। इस मौके पर दोनों संस्थाओं के अन्य वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक मौजूद थें। उल्लेखनीय है कि सीआईआईसी तमिलनाडू आधारित एक उत्कृष्ट बिजनेस इनक्यूबेटर केंद्र है जो खासकर जीव विज्ञान, 4.0 संबंधी उद्योग और स्मार्ट व स्वच्छ आवागमन के क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप को पोषित करता है। संस्थान ने मदुरै में भी एक केंद्र स्थापित किया है जहां टायर-2 और टायर-3 शहरों के स्टार्टअप्स के लिए नवाचार सहायता उपलब्ध कराई जाती है। आर्थिक व सामुदायिक विकास को ध्यान में रखकर सीआईआईसी संभावित व्यापार मॉडल में नवाचार की तकनीक अपनाने पर विशेष जोर देता है।

कृषि मंत्रालय के अधीन भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र(आईसीएआर) ने खारा जल में जल कृषि को गति देने में नोडल एजेंसी के तौर पर काम करने के लिए सीआईबीए की स्थापना की है। आईसीएआर-सीआईबीए जल कृषि अभियान को सफल बनाने के लिए व्यवहार में आने योग्य देशी तकनीक अपनाने पर जोर देता है। बीज का उत्पादन करने से लेकर विभिन्न जलीय प्रजातियों की खेती करने, जलीय पशुओं के स्वास्थ्य के लिए समाधान प्रस्तुत करने, देशी जलीय आहार तैयार करने तथा इसमें सामुदायिक भागीदारी को बनाए रखने पर संस्थान का विशेष जोर है।