”शरदोत्सव मानवीय प्रेम और उल्लास का अवसर है”

”शरदोत्सव मानवीय प्रेम और उल्लास का अवसर है”

भारतीय भाषा परिषद में संगीत समारोह

कोलकाता, 14 अक्टूबर 2023ःशरदोत्सव हिंदी-बांग्ला, देशी-विदेशी, बच्चे-बुजुर्ग सभी के बीच मानवीय प्रेम और उल्लास लेकर आता है। आज इस अवसर पर भारतीय भाषा परिषद में एक संगीत समारोह का आयोजन हुआ और गायकों के मधुर गायन ने परिवेश में संगीत के नए रंग बिखेर दिए। शिवानी मिश्रा ने विद्यापति का गीत ’जय जय असुर भैरवि भयाउनी’बड़े मनोयोग से गाया। अमरजीत पंडित ने प्रसाद का गीत ’बीती विभावरी जाग री’ चुना। रमाशंकर सिंह ने अनोखे राग में  मां दुर्गा पर आराधना गीत का गायन किया। इनके अलावा रेशमी सेन शर्मा ने विद्यापति की कविता पर गायन किया।राजेश सिंह ने दुर्गा स्तुति प्रस्तुत किया।शरदोत्सव संगीत को अर्थपूर्ण बना दिया। इस अवसर पर अध्यक्षता करते हुए डॉ. शम्भुनाथ ने कहा कि शरदोत्सव नवता के अभिनंदन का पर्व है। बंगाल में यह स्त्री शक्ति का आदर करने का संदेश देता है। डॉ अवधेश प्रसाद सिंह ने कहा साहित्य और संगीत से मनुष्यता का संस्कार बनता है।डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि हम हिंदी के महान कवियों की रचनाओं को संगीत में ढालने का माहौल तैयार कर रहे हैं। युवा संगीतकारों ने अपनी प्रतिभा का अच्छा परिचय दिया। इस अवसर पर मंजु श्रीवास्तव का अभिनंदन किया गया। शरदोत्सव के अवसर पर सेराज खान बातिश, मंजु श्रीवास्तव, अभिज्ञात, गीता दूबे, प्रणति ठाकुर, डॉ इबरार खान,नमिता जैन,सुषमा कुमारी, चंदन भगत,सपना कुमारी,आशुतोष राऊत ने कविता पाठ किया। इस अवसर पर मृत्युंजय श्रीवास्तव, प्रो अल्पना नायक,संजय दास, सुशील पांडे, लिली शाह,योगेश साव, पूजा गुप्ता,विकास कुमार, मधु सिंह,सूर्यदेव राय,रूपेश यादव,कंचन भगत, अनिल साह, कुसुम भगत,प्रभाकर साव ने विशेष सहयोग दिया।कार्यक्रम का सफल संचालन राजेश मिश्र ने तथा समारोह के अंत में  श्रीराम निवास द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।